मंगलवार, 8 नवंबर 2016

82,000 करोड़ के टैंक और फाइटर प्लेन खरीदेगा रक्षा मंत्रालय, ऐसे छुड़ाएगा दुश्मनों के छक्के

  82,000 करोड़ के टैंक और फाइटर प्लेन खरीदेगा रक्षा मंत्रालय, ऐसे छुड़ाएगा दुश्मनों के छक्के

82,000 करोड़ के टैंक और फाइटर प्लेन खरीदेगा रक्षा मंत्रालय, ऐसे छुड़ाएगा दुश्मनों के छक्के
नई दिल्ली: सरकार ने वायु सेना के लिए 83 हल्के लड़ाकू विमान की खरीद सहित 82,000 करोड़ रुपए के रक्षा खरीद सौदों को सोमवार मंजूरी दे दी। रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर की अध्यक्षता में यहां हुई रक्षा खरीद परिषद (डी.ए.सी.) की बैठक में जापान से 12 एम्फिबियस विमान की खरीद के सौदे पर भी चर्चा हुई। हालांकि इसके बारे कोई निर्णय नहीं लिया गया। रक्षा सूत्रों के अनुसार बैठक में जापान से यू.एस.-2 विमान खरीदने के मुद्दे पर चर्चा हुई। हालांकि इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया। सरकार ने रक्षा सौदों में भ्रष्टाचार पर शिकंजा कसने के लिए भ्रष्ट कम्पनियों को ब्लैकलिस्ट करने की नीति को मंजूरी दे दी। हालांकि इसमें कम्पनियों पर हड़बड़ी में बिना सोचे-समझे पूरी तरह प्रतिबंध लगाने का कोई प्रावधान नहीं है। नई नीति के प्रावधानों को अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है और इस नीति का ब्यौरा कुछ दिन में रक्षा मंत्रालय की वैबसाइट पर डाला जाएगा।




रक्षा सूत्रों के अनुसार नई नीति में भ्रष्ट कम्पनियों को पूरी तरह से प्रतिबंधित करने के प्रावधान को समाप्त कर दिया गया है और इसकी जगह प्रतिबंध इस तरह से लगाने की बात कही गई है जिससे देश की रक्षा जरूरतों पर असर न पड़े। अब तक भ्रष्ट कम्पनियों को पूरी तरह प्रतिबंधित करने से सौदा पूरी तरह अटक जाता था और सेनाओं को नए रक्षा उत्पाद की आपूर्ति भी रुक जाती थी। वहीं देश का पहला स्वदेशी लाइट कॉम्बेट एयरक्राफ्ट तेजस वायुसेना के बेड़े में शामिल हो चुका है। वायुसेना प्रमुख एयरचीफ मार्शल अरुप राहा ने जब इसी साल 17 मई को इस लड़ाकू विमान में उड़ान भरी और उसके बाद एक जुलाई 2016 को तेजस वायुसेना में शामिल हो गया।

ये हैं तेजस की खुबियां

-टी सुवर्णराजू ने बताया कि अगर खूबियों की बात करें तो ये 50 हजार फीट तक उड़ सकता है।

-दुश्मन पर हमला करने के लिए इसमें हवा से हवा में मार करने वाली डर्बी मिसाइल लगी है तो जमीन पर निशाने लगाने के लिए आधुनिक लेजर गाइडेड बम लगे हुए हैं।

-अगर ताकत की बात करें तो पुराने मिग 21 से कही ज्यादा आगे है और मिराज 2000 से इसकी तुलना कर सकते हैं।

-ये ही नहीं चीन और पाकिस्तान के साक्षा उपक्रम से बने जेएफ-17 से कहीं ज्यादा बेहतर है।

तेजस का फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम जबरदस्त है।

-तेजस 50 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ान भर सकता है।

-1350 किलोमीटर प्रति घण्टे की रफ्तार से तेजस एक उड़ान में 2,300 किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है, जबकि जेएफ-17 2,037 किलोमीटर की दूरी।

-तेजस जहां 3000 किलो विस्फोटक और बम लेकर उड़ सकता है, वहीं जेएफ-17 2,300 किलो लेकर ही जा सकता है।

-तेजस हवा में ही तेल भरवा सकता है पर जेएफ-17 ऐसा नहीं कर सकता। सबसे अहम बात यह है कि तेजस 460 मीटर चलने के बाद ही हवा में उड़ सकता है, जबकि चीनी विमान को ऐसा करने के लिए 600 मीटर की दूरी तय करनी होती है।




दुश्मन के छक्के छुड़ाएगा

तेजस में लगे लेजर गाइडेड बम दुश्मन के ठिकाने पर सटीक निशाना लगा सकते हैं. दुनिया के सबसे ऊंचे युद्ध के मैदान सियाचिन से लेकर देश की किसी भी सरहद पर तेजस अपनी तेजी से दुश्मन के छक्के छुड़ा सकता है। इसके अलावा आसमान में तेजस हर तरह की कलाबाजी दिखा रहा है. तेजस को सीसीएम यानि क्लोज कॉम्बेट मिसाइल और बीबीएम बियॉन्ड विसुअल रेंज मिसाइल भी लैस किया गया है। विमान का ढांचा भी भारत में बने कार्बन फाइबर से बना है जो कि धातु की तुलना में कहीं ज्‍यादा हल्‍का और मजबूत होता है। हमनें तेजस पर 600 से ज्यादा बार उड़ान भरने वाले पाइलट ग्रुप कैप्टन आर आर त्यागी ने बताया कि विमान में लगे सामान्‍य सिस्‍टम जिसमें ईंधन प्रबंधन से लेकर स्‍टीयरिंग तक सब भारत में ही निर्मित हैं। एक महत्‍वपूर्ण सेंसर तरंग रडार, जो कि दुश्‍मन के विमान या जमीन से हवा में दागी गई मिसाइल के तेजस के पास आने की सूचना देता है, भारत में ही बना है।

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