गुरुवार, 4 अगस्त 2016

बाड़मेर। चौदह माह की अबोध आयु में हुआ था इस लड़की का विवाह, अब न्यायालय से कराया निरस्त

बाड़मेर। चौदह माह की अबोध आयु में हुआ था इस लड़की का विवाह, अब न्यायालय से कराया निरस्त


बाल विवाह निरस्त करवाने का आदेेश दिखाती एक बालिका वधू।
बाड़मेर। 17 साल पहले महज 14 माह की अबोध उम्र में बाल विवाह की बेड़ियों में जकड़ी सुमनलता को आखिर मुक्ति मिल गई। सुमनलता ने सारथी ट्रस्ट के सहयोग से पारिवारिक न्यायालय में बाल विवाह निरस्त की गुहार लगाई थी। जिस पर पारिवारिक न्यायालय संख्या जोधपुर ने सुमनलता के बाल विवाह निरस्त का फैसला सुनाया। सारथी ट्रस्ट की ओर से अब तक 31 बाल विवाह निरस्त कराए जा चुके है। जबकि बाल विवाह निरस्त कराने के पंद्रह मामले न्यायालयों में विचाराधीन है।




यह है मामला...


यह भी अपना बाल विवाह निरस्त करवा चुकी है।।


बाड़मेर जिले के चौहटन निवासी खेतीहर किसान रामचन्द्र बिश्नोई की 18 वर्षीया पुत्री सुमनलता का बाल विवाह वर्ष 1999 में महज 14 माह की उम्र में सेडवा तहसील निवासी प्रकाश बिश्नोई पुत्र घमंडाराम के साथ हुआ था।
- सारथी ट्रस्ट की मैनेजिंग ट्रस्टी एवं पुनर्वास मनोवैज्ञानिक कृति भारती का संबल पाकर सुमनलता ने करीब छह माह पूर्व बाल विवाह नहीं मानकर ससुराल जाने से इंकार कर दिया था।
- इसके बाद जोधपुर में रहकर पढ़ाई कर रही सुमनलता ने पारिवारिक न्यायालय संख्या में वाद दायर कर अपने बाल विवाह को निरस्त करने की मांग की।
- पारिवारिक न्यायालय संख्या के न्यायाधीश अजय कुमार ओझा ने बाल विवाह के खिलाफ ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए सुमनलता के 17 साल पूर्व 14 माह की उम्र में हुए बाल विवाह को निरस्त करने का फैसला सुनाया।
- बाल विवाह निरस्त की अनूठी मुहिम में जुटे सारथी ट्रस्ट की कृति भारती ने ही वर्ष 2012में देश का पहला बाल विवाह निरस्त कराया था।
- देश भर में अब तक केवल सारथी ट्रस्ट ने ही 31 जोड़ों के बाल विवाह निरस्त करवाए हैं। जबकि पंद्रह मामले न्यायालयों में विचाराधीन है।





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