रायसिंहनगर.जिले का एक ऐसा गांव जहां 34 सालो में नही हुआ एक भी अपराध
अपराध मुक्त गांवों के विकास के लिए राज्य सरकार अलग से बजट जारी करेगी जिसे ग्राम पंचायत के माध्यम से विकास कार्यों पर खर्च किया जाएगा। राज्य सरकार ने प्रत्येक पुलिस थाना क्षेत्र में अपराध मुक्त गांवों की पहचान के निर्देश जारी किए है।
ग्रामीणों ने ली शपथ
थानाधिकारी विकास बिश्रोई जब मय जाब्ते ग्रामीणों की बैठक लेने सोमवार को गांव में पहुंचे तो गांव में पुलिस को देखकर ग्रामीण हैरान हुए। भूतपूर्व सरपंच बंजारासिंह ने बताया कि चक 42 पीएस में कभी पुलिस को आने की नौबत ही नहीं आई। ग्रामीण आपस में सौहार्दपूर्ण वातावरण में जीवनयापन करते है। छोटे मोटे विवाद अलबत्ता कभी हुए ही नहीं, हुए तो गांव में ही मौजिज लोगों की पंचायत बैठाकर सुलझा लिए जाते है।
1982 में दर्ज हुआ था अंतिम मुकदमा
समेजा थाना क्षेत्र के इस गांव में अंतिम मुकदमा 1982 में मारपीट के आरोप में दर्ज किया गया था। इसमें भी बाद में दोनों पक्षों में आपसी राजीनामा हो गया था। इसके बाद से ग्रामीणों में आज तक किसी प्रकार की कोई तूं-तूं मैं-मैं की नौबत नहीं आई। हालांकि भारत पाक सीमा पर अवस्थित अधिकांश गांव हथकढ़ शराब के गढ़ माने जाते है लेकिन इन सबके बीच अपराध मुक्त गांव का होना अपने आप में बड़ी बात है। इसी गांव के आसपास 43 पीएस व 44 पीएस जैसे गांव है जो अपराधों के लिए जाने जाते है।
अपराधमुक्त गांव घोषित होने पर गांव को विकास के लिए अतिरिक्त बजट मिलेगा, गांव में पिछले 34 सालों में कोई मुकदमा नहीं हुआ है, यह खुशी की बात है
विकास बिश्रोई, थानाधिकारी पुलिस थाना समेजा
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