रविवार, 24 अप्रैल 2016

पाकिस्तानी जेल में कैसे देते हैं भारतीय कैदियों को खतरनाक यातनाएं, पढ़िए

पाकिस्तानी जेल में कैसे देते हैं भारतीय कैदियों को खतरनाक यातनाएं, पढ़िए

पाकिस्तानी जेल से रिहा होने के बाद दो साल तक चला था लालसिंह का मेंटल अस्पताल में इलाज।
लाहौर का कोट लखपत जेल, रात के स्याह अंधेरे में जेल के सुरक्षाकर्मी ठहाका लगाते हैं और नींद से जगाकर बुरी तरह पीटते हैं। "ओए.. मारो इसे.. बता दो ये हिंदुस्तान नहीं है" कहते हुए लात-घूंसे बिना इस परवाह के बरसाए जाते हैं कि वो शरीर के किस अंग को चौपट कर रहे हैं। ये कहानी है खरगोन जिले के लालसिंह की। वह उसी जेल में रहे जहां सरबजीत और किरपालसिंह की मौत हुई। पाकिस्तानी जेल में भारतीयों के साथ कैसा व्यवहार होता है लालसिंह इसके जिंदा सबूत हैं। पढ़िए, क्या-क्या तरीके हैं जेल में प्रताड़ना के..

- खरगोन जिले के भसनेर निवासी 35 वर्षीय लालसिंह चौहान आज भी पाकिस्तानी जेल में मिली यातनाओं को सोचकर काँप उठते हैं।

- लालसिंह राजस्थान की सीमा से भटककर पाकिस्तान चले गए थे। तब उन्हें 49 पाकिस्तानी कैदियों के साथ रखा था।

- उनके साथ सेल में जम्मू व कश्मीर के धर्मसिंह व ब्रजेंद्र के अलावा अन्य 9 भारतीय कैदी भी थे। सभी को प्रताड़ना से गुजरना पड़ा।

- वे बताते हैं भारतीय कैदियों को वहां के नंबरदार (जेल प्रहरी) पाक कैदियों से पिटवाते हैं। पिटाई भी ऐसी कि सोचकर ही रूह कांप जाए।

- सीमा से भटककर आए भारतीयों को वे जासूस समझते हैं। बॉर्डर पर आने का मकसद पूछते हैं और फिर शुरू होता यातनाओं का दौर।

- कब, कहां और किस जगह मार दें, ये कोई नहीं जानता। मार भी ऐसी कि पिटने वाला जिंदा है या मर गया इससे कोई मतलब नहीं।

धर्म बदलने का भी डालते हैं दबाव

- वे बताते हैं एक बार पाक कैदी ने मेरी चप्पल ले ली। उसकी शिकायत जेल के नंबरदार से की।

- नंबरदार ने कहा, जिसने तुम्हारी चप्पल चुराई उसकी पिटाई करके ले लो। मैंने ऐसा ही किया तो नंबरदार ने पाक कैदियों के हाथों मुझे बुरी तरह से पिटवाया।

- पिटाई ऐसी कि बेहोश हो गया। डॉक्टर बुलाना पड़ा। यातना से राहत देने के लिए उन्होंने धर्म बदलने का दबाव भी बनाया।

- हाल में पाक जेल में प्रताड़ना से दम तोड़ने वाले किरपालसिंह को मैं नहीं जानता, लेकिन मुझे अहसास है कि उन्हें वहां किस हद तक यातनाएं दी गई होंगी।

- लालसिंह की मां सुशीलाबाई व भाई हरीश चौहान बताते हैं पाकिस्तान से लौटने के बाद वह मानसिक रूप से ठीक नहीं है।

- उसका स्वभाव चिड़चिड़ा हाे गया। बार-बार पाक जेल की घटनाएं याद कर बड़बड़ाता है। खलिहान में ही सोता है। घर में सिर्फ खाना खाने आता है।







खाने में भी भारतीय कैदियों से भेदभाव

लालसिंह ने बताया सुबह 6 बजे सभी को उठाया जाता है। 7 बजे पाक कैदी नहाते हैं। उनके बाद भारत व नेपाल के। पाक कैदी कई बार पानी बंद कर देते हैं। नंबरदारों को कहने पर गालियां सुनाते हैं। 9 बजे नाश्ते में दो पराठे व चाय मिलती है। यहां भी पाक कैदियों की तुलना में भेदभाव होता है। कम पराठे व रोटियां मिलती है। 12 बजे भोजन में नॉनवेज मिलता है। जो भारतीय कैदी नॉनवेज खाने से इनकार करते हैं तो उन्हें सिर्फ रोटियां ही मिलती हैं। डेढ़ माह सूखी रोटियों पर गुजारा किया। फिर नॉनवेज खाने लगा। अब वापस शाकाहारी हो गया हूं।




ऐसे पहुंचे पाक जेल

- लालसिंह 2006 में घर से पंजाब व उसके बाद 2008 में राजस्थान सीमा के पास भटककर पाक में प्रवेश कर गया।

- 24 जून 2010 को 17 भारतीयों के साथ उसकी रिहाई हुई। तब उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी।

- उसे अमृतसर स्थित मेंटल हॉस्पिटल में 29 जून 2010 को भर्ती कराना पड़ा।

- स्वस्थ होने के बाद 8 मई 2013 को रेडक्रॉस सोसायटी व पंजाब पुलिस के माध्यम से नए नाम सीताराम के साथ घर लौटा।

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