जैसलमेर.जैसलमेर में पानी के लिए त्राहि-त्राहि....
गर्मी के प्रहार से आहत जैसाणे में इन दिनों पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है। सरकारी बैठकों में किए जा रहे दावों के बीच जमीनी सच्चाई यह है कि जैसलमेर के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में कुल आबादी की तुलना में पानी मुहैया कराने में जिम्मेदारों को पसीना आ रहा है। अभी चैत्र में यह हालात है तो वैशाख व ज्येष्ठ में होने वाली परेशानियों का अनुमान सहज लगाया जा सकता है।
सार्वजनिक नल के समीप मटके लिए दर्जनों महिलाएं बच्चों के हाथ में दो जरीकन, टूटी हुई पाइप लाइन से घरों में पीने के लिए पानी ले जाने की मशक्कत और सूखे नलों में पानी तलाशने के नजारे जैसलमेर में इन दिनों देखना आम है। जिले भर में इन दिनों पानी की आपूर्ति में हो रही अव्यवस्था का दौर जारी है। समयबद्ध, नियमित व पर्याप्त पानी की आपूर्ति नहीं हो पा रही है।
बेजुबान भी आहत
पशुपालन का व्यवसाय करने वाले लोगों को भी अपने पशुओं की प्यास बुझाने के लिए काफी परेशानी झेलनी पड़ती है। तल्ख धूप में भरी दुपहरी में घर से दो कदम घर से बाहर ले जाना पीड़ादायक होता है, ऐसे में हाथों में जरीकन व बोतलें लिए बच्चे घरों से पानी की जुगत में निकल जाते हैं। बच्चों के साथ-साथ महिलाएं भी मटका व बाल्टी लिए निकल पड़ती हैं, पानी की जुगत में। जिले के ग्रामीण क्षेत्रों के बाशिंदों व शहर में कच्ची बस्तियों के बाशिंदो को हर दिन इसी तरह पानी के लिए पेयजल के लिए जूझना पड़ता है।
टंकियों में नहीं हो रही सफाई
आम जन की प्यास बुझाने के लिए बनाई गई पानी की टंकियां व जीएलआर में माकूल व समयबद्ध सफाई की कोई व्यवस्था नहीं है। इन टंकियों में झांककर देखने के बाद किसी की पानी पीने की इच्छा नहीं हो सकती। शहर और गांव, दोनों ही क्षेत्रों टंकियों का यही हाल है।
करोड़ो खर्च कर भी नहीं बुझ रही प्यास
सरहदी जैसलमेर जिले में शहर व गांवों में पेयजल व्यवस्था को लेकर सरकार ने करोड़ों रुपए खर्च कर दिए हैं, लेकिन पेयजल व्यवस्था जस की तस बनी हुई है। शहर में कभी दो तो कभी तीन, वहीं गांवों में कभी तीन दिन में तो कभी पांच दिन तक तक भी पेयजल आपूर्ति नहीं हो रही है। गर्मी के मौसम में पानी की बढ़ती खपत के कारण जल वितरण व्यवस्था पटरी से उतर गई है। जैसलमेर जिले के बाशिंदों को टंैकर व कैंपर खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
यह भी है हकीकत
कब पानी आ जाए, यही बात ध्यान में रखते हुए लोग खाली बर्तन लिए तैयार ही रहते हैं। कई बार तो पूरे दिन केवल इंतजार ही बना रह जाता है और पानी की आपूर्ति ही नहीं होती। पानी की समस्या के बीच एक परेशानी यह भी है कि उन्हें जलापूर्ति के समय की भी जानकारी नहीं रहती। कभी अल सुबह तो कभी दिन में तो कभी शाम या रात को पानी की आपूर्ति होती है।
फैक्ट फाइल
-जैसलमेर जिले का भौगोलिक क्षेत्रफल- 38, 392
उपखंड -4
तहसील- 4
पंचायत समितियां- 3
ग्राम पंचायत - 140
शहर में पानी की अनुमानित खपत- 1 करोड़ लीटर प्रतिदिन
शहर में पानी की आपूर्ति- 80 लाख लीटर आपूर्ति
ग्रामीण क्षेत्र में पानी की अनुमानित खपत - 6 करोड़ लीटर प्रतिदिन
ग्रामीण क्षेत्र में पानी की अनुमानित आपूर्ति - 4 करोड़ लीटर प्रतिदिन
जलदाय विभाग के पास टैंकर - 12
पेयजल आपूर्ति के लिए टैंकर पर निर्भर- 51 गांव व 136 ढाणियां
जिले में नलकूपों की संख्या- 516
गांवों में हैंडपम्प- 4300
डी-फ्लोराइडेशन संयंत्र खराब
रामदेवरा क्षेत्र के विमदेवरा गांव में स्थित जीएलआर गत लम्बे समय से क्षतिग्रस्त पड़ी है तथा यहां समय पर पर्याप्त मात्रा में जलापूर्ति नहीं हो पा रही है। यदि कई बार जलापूर्ति होती भी है, तो क्षतिग्रस्त जीएलआर के कारण पानी व्यर्थ बह जाता है। इन संयंत्रों की समय पर मरम्मत नहीं होने के कारण ये संयंत्र खराब पड़े हैं। जिसके चलते आज भी ग्रामीणों को फ्लोराइडयुक्त पानी पीना पड़ रहा है।
दर्जनों टंकियां, सब सूखी
खुईयाला. जिले के सीमावर्ती खुईयाला क्षेत्र में करीब एक दर्जन जीएलआर व पशुखेलियां जब से बनी है तब से पानी के लिए तरस रही है। सरकार द्वारा क्षेत्र में विगत करीब 15 वर्षों से लगभग एक दर्जन से अधिक पानी की टंकियां व पशुखेलियां बना दी है, जिसमें एक बार भी पानी नहीं आने से जर्जर हो रही है जबकि ग्राम से मात्र 15 किलोमीटर दूर ही नहर चल रही है।
मवेशियों के हाल बुरे
फलसूण्ड. गर्मी की दस्तक के साथ ही क्षेत्र में पेयजल संकट गहराने लगा है। एक तरफ भीषण गर्मी में पानी की खपत बढ़ गई है। दूसरी तरफ जलदाय विभाग की ओर से नियमित व पर्याप्त मात्रा में जलापूर्ति नहीं की जा रही है। जलापूर्ति के अभाव में ग्रामीणों सहित मवेशी का बेहाल हो रहा है। ग्रामीणों को ट्रैक्टर टंकियों से पानी खरीदकर मंगवाना पड़ रहा है, तो मवेशी पेयजल के लिए इधर उधर भटकते नजर आ रहे हैं।
पक्षियों ने डाला डेरा
क्षेत्र के कई गांवों व ढाणियों में स्थित जीएलआरों में वर्षों से जलापूर्ति बंद होने के कारण पक्षियों ने अपना डेरा डाल दिया है। क्षेत्र के श्यामपुरा, मदुरासर, खुमाणसर में गत लम्बे समय से जलापूर्ति बंद पड़ी है। ऐसे में यहां पक्षियों ने अपना डेरा डाल दिया है। उनकी ओर से यहां घौंसले बनाकर अण्डे दिए जा रहे हैं। जिससे जीएलआर में कचरा व गंदगी जमा हो गई है।
दावे हैं दावों का क्या
पोकरण. एक तरफ केन्द्र व राज्य सरकार की ओर से आमजन व दूर दराज छितराई ढाणियों में निवास कर रहे लोगों को पेयजल मुहैया करवाने के दावे किए जा रहे हैं। दूसरी तरफ गर्मी का मौसम शुरू होने के साथ ही क्षेत्र में पेयजल संकट गहराने लगा है। सर्दी के मौसम में पानी की खपत कम रहती है। ऐसे में जलापूर्ति नहीं होने पर भी काम चल जाता है। गर्मी के मौसम में पानी की खपत बढ़ जाती है। ऐसे में आवश्यकतानुसार पानी नहीं मिलने पर क्षेत्र में त्राही-त्राही मच जाती है। जिससे आमजन को परेशानी होती है। जलापूर्ति ठप होने के कारण ग्रामीणों को पेयजल संकट का सामना करना पड़ रहा है।
अभी तक शुरू नहीं हुए टैंकर
गर्मी शुरू होने के साथ ही दूर दराज स्थित ढाणियों तथा जहां पानी नहीं पहुंच रहा है, उन जगहों पर जलदाय विभाग की ओर से टैंकरों से जलापूर्ति की जाती है, लेकिन इस वर्ष अप्रेल माह आधा बीत चुका है, लेकिन अभी तक टैंकर शुरू करने को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
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