सोमवार, 28 मार्च 2016

बाड़मेर। सैटेलाईट नक्षे बने विवाद का कारण

बाड़मेर।  सैटेलाईट नक्षे बने विवाद का कारण

अवैध रूप से जारी हो रहे हैं खातेदारी सेटेलाईट नक्षे, एक नक्षे के नाम पर वसूले जा रहे हैं हजार से पन्द्रह सौ रूपये
बाड़मेर। राजस्थान राज्य के राजस्व मण्डल अजमेर द्वारा अपने एसडीओ, तहसीलदारों,नायब तहसीलदारों, आरआई व पटवारियों पर कितनी नकेल लगाये लेकिन पटवारियों की मिली भगत से पष्चिमी सरहद पर बसे बाड़मेर जिले में इन दिनों सेटेलाईट से जारी हो रहे अवैध खातेदारी नक्षें खातेदारों के बीच विवाद का कारण बने हुए हैं। हालनात यह है कि बिना जिला प्रषासन की स्वीकृति से जारी हो रहे इन सेटेलाईट नक्षों के नाम पर मोटी रकम खातेदारों से इन दिनों एक व्यक्ति द्वारा वसूल की जा रही है इससे भी सौकाने वाली बात तो यह है कि इस अवैध करोबार पर रोक लगाने की बजाया स्वयं पटवारी व आरआई तक सही मानते हुए खातेदारों की जमीनों की सीमा का निर्धारण कर रहे है जबकि गूगल अर्थ सेटेलाईट से जारी हुए ये नक्षे किसी भी सुरत में अधिमान्य नहीं है। जानकारी के मुताबिक बाड़मेर जिले के सेटलमेंट के समय से आवंटित जमीन को पिछले कई महिनों से सेटेलाईट नक्षों के जरिये चुनौती दी जा रही है। इनता ही नहीं इन नये सेटेलाईट नक्षों में सेटलमेंट के समय दी गई जमीनों की सीमा को ही उलट करके रख दिया है इसके कारण खातेदारों में इन दिनों में जमीनों के विवाद यकायक बढ गये है। जिले में बहुतायत मात्रा में मिले खनिज भण्डार एवं पेटोलियम पदार्थो के कारण बढी जमीनों की किमतों के कारण एक एक इंच जमीन के मायने बदल गये है। बिना स्वीकृति जारी हो रहे है सेंटलमेंट नक्षे। बाड़मेर जिले में इन दिनों सिणधरी चैराहे के पास एक व्यक्ति के द्वारा दुकान लगाकर सेटेलाईट के जरिये जमीनी नक्षें जारी कर खातेदारों को दिये जा रहे है इसकी एवज में एक खातेदार को उसके खसरे की प्रतिलिपि प्रिंट आउट देने के लिए करीब 1 हजार से 1500 रूप्ये तक वसूले जा रहे है। पिछले कई महिनों से चल रहे इस गोरखधंधे के जरिये दुकान मालिक द्वारा अच्छा खासा पैसा बटोर लिया गया है लेकिन बिना किसी प्रमाणिकता के जारी किये जा रहे इन नक्षोें में सेटलमेंट के समय से आंवटित जमीन और वर्तमान नक्षें में बड़े पैमाने में विविधता आ गई है इसके कारण जमीनी सीमा को लेकर खातेदारों के बीच विवाद पैदा रहे है। जबकि कानूनी रूप से इस सेटेलाईट नक्षों को किसी भी तरह से वैध नहीं माना गया है।

क्या है नियम -
जानकारों के मुताबिक बाड़मेर जिले में सेटेलाईट के जरिये जमीनी नक्षें जारी करने के लिए कोई भी फर्म या व्यक्ति अधिकृत नहीं है जबकि इसके लिए जिला कलेक्टर की स्वीकृति के बाद स्वयं जिला कलेक्टर, तहसीलदार, या नायब तहसीलदार स्तर के किसी सेवानिवृत अधिकारी को इस कार्य के लिए अधिकृत कर सकता है लेकिन वर्तमान में इस तरह की स्वीकृति जिला प्रषासन द्वारा किसी को भी नहीं दी गई है। इससे भी गंभीर बात तो यह है कि सेटेलाईट से जारी इन नक्षों को कानूनी रूप से अदालत से मान्यता नहीं है ऐसे में अगर कोई खातेदार इस नक्षें के आधार पर कोई दावा करता है तो अदालत इस दावें को पहले ही चरण में खारिज कर देती है।



क्या है गड़बड़झाला
जिले में तेजी से बढी जमीनों की कीमतों के कारण इन दिनों हर कोई ,खातेदार अपनपी जमीन का सीमाज्ञान कराने में जुटा हुआ है। इसके लिए वह पटवपरी से जब संपर्क करता है तो पटवरी द्वारा उसे उक्त सिणधरी चैराहे पर सिथत दुकान पर भेज दिया जाता है और वहां से सेटेलाईट नक्षे की प्रतिल लाने के लिए कहा जाता है सूत्रों के मुताबिक इस कार्य में दुकानदार एवं पटवारी के बीच कुछ कमीषन भी तय है। इसके बाद सेटेलाईट से जारी बिना प्रमाणिकता के इन नक्षों को पटवारी और आरआई ग्रामीणों की अज्ञानता का फायदा उठाकर उनकी जमीनों की सीमा में परिवर्तन होने के बात बताकर उनकी जमीन का काफी हिस्सा दूसरे खातेदार के हिस्से में चले जाने एवं आॅवरलिपिंग होने की बात कहकर उन्हें डरा देता है और बाद में बड़ी रकम खातेदार से वसूल लेता है। लेकिन काष्तकार अपनी अज्ञानता के कारण इस नक्षे की प्रमाणिकता का पता किए बिन वही अपने पडौसी खातेदारों से अपनी जमीन को लेकर लड़ रहे है जिसके कारण जिले का सौहार्दपूर्ण वातावरण खराब हो रहा है वहीं इस सेटेलाईट नक्षें की आड़ में भूमाफिया गिरोह के लोग पटवारी और आर आई से मिली भगत कर जमीनों में हैरा फैरी करने में जुटे हुए है।

देर रात्रि में बनते है सेटेलाईट नक्षें
सिणधरी चैराहे पर स्थित इस अवैध दुकान पर दिन में आने वाले काष्तकारों से खसरे व इससे संबंधित जानकारी ले ली जाती है और रात्रि में उक्त नक्षें तैयार किये जाते है और दूसरे दिन उक्त खातेदारों को नक्षे सुपुर्द कर दिये जाते है एवं उक्त खसरे की फाईल अपने लिए खसरा संख्या के नाम से सेव कर दी जाती है। भविष्य में खातेदारी इसी दुकान पर पुनः नक्षा प्राप्त करने के लिए आये तो उन्हेें जल्द वो प्रिन्ट निकालकर दी जा सके। संबंधित खातेदारों के विवाद होने पर उक्त नक्षें को प्रमाणित किया जाता है लेकिन मौके पर किसी तरह से कोई नक्षा नहीं बनाया जाता है ।

क्या कहते है उपखण्ड अधिकारी
इस संबंध में बाड़मेर उपखण्ड अधिकारी हिमताराम मेहरा से बात करने पर उन्होने कहा कि सेटेलाईट से जारी किये जा रहे ये खातेदारी नक्षे से किसी तरह से मान्य नहीं है। हमारी जानकारी में भी इस तरह के प्रकरण आये है। और इसके बाद हमारी और से सभी तहसीलदारों व पटवारियों को यह निर्देष जारी किये गये है वह इन सेटेलाईट नक्षों को आधार मानकर कोई कार्यवाही नहीं करें लेकिन यह भेजी सही है कि इन निर्देषों की पालना नहीं हो रही है और गरीब एवं अनजान किसान लूटे जा रहे है इस संबंध पुनः फिल्ड अधिकारियों को निर्देषा जारी किये जायेगें ताकि इन नक्षों के आधार पर भूमि की पैमाईष नहीं की जायें।

क्या कहते है विधि जानकारी
इस संबंध में विधि सलाहकार अम्बालाल जोषी ने बताया कि सेटेलाईट के जरिये जारी किये जा रहे जमीनों के नक्षें कानूनी रूप से वैद्य नहीं है अदालत में किसी जमीनी दावें के प्रकरण में इस तरह के नक्षों को अदालत मान्यता नहीं देता है।

क्या कहते है पटवारी
इस संबंध में नाम न छापने की शर्त पर एक पटवारी ने यह बताया कि बाड़मेर शहर में जारी किये जा रहे है सेटेलाईट नक्षें मान्य नहीं है सिर्फ राजस्व विभाग, तहसीलदार व पटवारी द्वारा जारी प्रमाणित नक्षें ही विधि मान्य है इसके अलावा सेटेलाईट नक्षें किसी भी रूप से जमीनी हकदारी के लिए भी अधिकृत नहीं है । उन्होने बताया कि बाड़मेर जिले में जो सेटेलाईट नक्षें जारी किये जा रहे है उसके लिए कोई व्यक्ति अधिकृत नहीं है ।

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