जैसलमेर। प्रसूता को चढाया गया सडक पर खून,जिम्मेदार चिकित्सा अधिकारी बोले मेरे काम करने का यही तरीका है सरकार चाहे तो मुझे भले ही नौकरी से निकाल
जैसलमेर। प्रदेश में बेहतर चिकित्सा व्यवस्थाओं के दावे करने और प्रसूताओं की बेहतर देखभाल के लिये जननी सुरक्षा सरीखी योजनाएं बनाने वाली राजस्थान सरकार की इन योजनाओं की धज्जियां जब सरकार के ही नुमाईंदे उडाते दिखें तो सरकार को इन योजनाओं को लेकर एक बार फिर से मनन करने की जरूरत है। जी हां जिस प्रदेश की मुखिया एक महिला है और उस प्रदेश में महिलाओं को उपचार के लिये दर दर की ठोकरें खानी पड रही हो और जिम्मेदार चिकित्सा अधिकारी ये कहते हैं कि उन्हें नौकरी की परवाह नहीं है ऐसे में सरकार की इन योजनाओं का धरातल स्वतः ही दिखाई देता है।
जी हां हम बात कर रहे हैं प्रदेश के सीमावर्ती जिले जैसलमेर की जहां पर एक प्रसूता एक घंटे तक सडक पर तडपती रही और शहर के राजकीय जवाहिर चिकित्सालय के चिकित्सकों ने उसे यह कह कर जोधपुर रैफर कर दिया कि हमारे पास कोई इलाज नहीं हैं। जी हां जैसलमेर के ग्रामीण इलाके से अपने परिजनों के साथ आई इस प्रसूता को खून की कमी के चलते चिकित्सालय में खून चढाया जा रहा था और इसी बीच चिकित्सकों ने इस प्रसूता को जोधपुर जाकर इलाज करवाने की बात कह कर चिकित्सालय से बाहर निकाल दिया और प्रसूता के साथ आये उसके लाचार परिजनों ने इसे चिकित्सालय के बाहर सडक पर लिटा दिया जहां पर करीब एक घंटे से भी अधिक समय तक ये प्रसूता पडी रही।
प्रसूता की मां के हाथ में खून की थैली थी जिससे इस प्रसूता के शरीर में खून चढ रहा था और लाचार और बेबस नजरों से ये परिवार सडक पर आने जाने वालों से मदद की गुहार लगा रहा था। जैसलमेर के राजकीय चिकित्सालय के इस अमानवीय चेहरे को भले ही इस प्रसूता पर दया नहीं आई हो लेकिन सडक पर चल रहे राहगीरों ने जब इसे देखा तो इंसानियत के नाते एकत्र हुए और इस प्रसूता को जोधपुर रैफर किये जाने के लिये आपस में पैसा एकत्र किया और इसके परिवार को गाडी करवाकर जोधपुर के लिये रवाना किया गया। वहीं इस पूरे मामले पर जब राजकीय जवाहिर चिकित्सालय के प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डाॅ. झांझणाराम पंवार से जब हमने इस मामले में जानकारी लेनी चाही तो उन्होंने इस पीडित प्रसूता की सुध लेने के बजाय इस मामले से अपना पल्ला झाड दिया और यह तक कह दिया कि उन्हें इस नौकरी की परवाह नहीं है। उन्होंने यह तक भी कहा कि उनका काम करने का यही तरीका है सरकार चाहे तो मुझे भले ही नौकरी से निकाल दे मैं प्राईवेट नौकरी कर लूंगा। आईये आपको सुनाते हैं कि जब जिम्मेदार मीडिया की तरह हमने इन प्रमुख चिकित्सा अधिकारी महोदय से इस मामले पर जानकारी लेनी चाही तो वे किस भडक उठे
जैसलमेर। प्रदेश में बेहतर चिकित्सा व्यवस्थाओं के दावे करने और प्रसूताओं की बेहतर देखभाल के लिये जननी सुरक्षा सरीखी योजनाएं बनाने वाली राजस्थान सरकार की इन योजनाओं की धज्जियां जब सरकार के ही नुमाईंदे उडाते दिखें तो सरकार को इन योजनाओं को लेकर एक बार फिर से मनन करने की जरूरत है। जी हां जिस प्रदेश की मुखिया एक महिला है और उस प्रदेश में महिलाओं को उपचार के लिये दर दर की ठोकरें खानी पड रही हो और जिम्मेदार चिकित्सा अधिकारी ये कहते हैं कि उन्हें नौकरी की परवाह नहीं है ऐसे में सरकार की इन योजनाओं का धरातल स्वतः ही दिखाई देता है।
जी हां हम बात कर रहे हैं प्रदेश के सीमावर्ती जिले जैसलमेर की जहां पर एक प्रसूता एक घंटे तक सडक पर तडपती रही और शहर के राजकीय जवाहिर चिकित्सालय के चिकित्सकों ने उसे यह कह कर जोधपुर रैफर कर दिया कि हमारे पास कोई इलाज नहीं हैं। जी हां जैसलमेर के ग्रामीण इलाके से अपने परिजनों के साथ आई इस प्रसूता को खून की कमी के चलते चिकित्सालय में खून चढाया जा रहा था और इसी बीच चिकित्सकों ने इस प्रसूता को जोधपुर जाकर इलाज करवाने की बात कह कर चिकित्सालय से बाहर निकाल दिया और प्रसूता के साथ आये उसके लाचार परिजनों ने इसे चिकित्सालय के बाहर सडक पर लिटा दिया जहां पर करीब एक घंटे से भी अधिक समय तक ये प्रसूता पडी रही।
प्रसूता की मां के हाथ में खून की थैली थी जिससे इस प्रसूता के शरीर में खून चढ रहा था और लाचार और बेबस नजरों से ये परिवार सडक पर आने जाने वालों से मदद की गुहार लगा रहा था। जैसलमेर के राजकीय चिकित्सालय के इस अमानवीय चेहरे को भले ही इस प्रसूता पर दया नहीं आई हो लेकिन सडक पर चल रहे राहगीरों ने जब इसे देखा तो इंसानियत के नाते एकत्र हुए और इस प्रसूता को जोधपुर रैफर किये जाने के लिये आपस में पैसा एकत्र किया और इसके परिवार को गाडी करवाकर जोधपुर के लिये रवाना किया गया। वहीं इस पूरे मामले पर जब राजकीय जवाहिर चिकित्सालय के प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डाॅ. झांझणाराम पंवार से जब हमने इस मामले में जानकारी लेनी चाही तो उन्होंने इस पीडित प्रसूता की सुध लेने के बजाय इस मामले से अपना पल्ला झाड दिया और यह तक कह दिया कि उन्हें इस नौकरी की परवाह नहीं है। उन्होंने यह तक भी कहा कि उनका काम करने का यही तरीका है सरकार चाहे तो मुझे भले ही नौकरी से निकाल दे मैं प्राईवेट नौकरी कर लूंगा। आईये आपको सुनाते हैं कि जब जिम्मेदार मीडिया की तरह हमने इन प्रमुख चिकित्सा अधिकारी महोदय से इस मामले पर जानकारी लेनी चाही तो वे किस भडक उठे
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