मंगलवार, 22 मार्च 2016

बाड़मेर में अनुठे ‘ढूंढ महोत्सव’ का आयोजन



बाड़मेर में अनुठे ‘ढूंढ महोत्सव’ का आयोजन
कलेक्टर, सीएमएचओं ने बजाई थाली, मनाया लड़कियों का जनमोत्सव
बाड़मेर। लिंगानुपात के अंतर को कम करने और लड़कियों को बचानें के लिए किए जा रहे प्रयासों के बीच बाड़मेर जिला प्रशासन ने बुधवार को अनुठे अंदाज में ‘ढूंढ महोत्सव’ का आयोजन किया। इस मौके पर बाड़मेर जिला कलेक्टर सुधीर शर्मा और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ.सुनिल कुमार बिष्ठ ने थाली बजाकर 325 लड़कियों की सामूहिक ढूंढ की। यह पहला मौका होगा जब लड़कियों के लिए ढूंढ का आयोजन किया गया। सामान्यतः इस इलाकें में लड़कों को ही ढूंढा जाता रहा है। परंतु बुधवार को पंरपराओं से हटकर बेटियों के लिए भी ढूंढ का आयोजन किया गया।

बाड़मेर जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग और केयर इंडिया एवं केयर्न इण्डिया के संयुक्त तत्वाधान में संचालित रचना परियोजना द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम की खास बात यह थी कि इस कार्यक्रम के दौरान मुस्लिम समुदाय की कई महिलाओं ने भी कार्यक्रम में भाग लिया और अपनी बच्चियों की ढूंढ करवाई।

ढूंढ, राजस्थान में उन बड़े उत्सवों में एक है। पांरपरिक तौर पर लड़कें के जन्म के बाद आने वाली पहली होली पर ढूंढ का आयोजन किया जाता है। बच्चें की सलामती और लम्बी उम्र के लिए होलिका दहन के बाद जिस घर में लड़के का जन्म हुआ हो, उस घर में ढूंढ का आयोजन किया जाता है। इस मौके पर बच्चें को मां की गोद में रखकर उसके चारों और पांरपरिक गीतों गाते हुए हाथों में लकडि़या लिए लोग बच्चें की दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते है। इस बच्चें को ढूंढना कहा जाता है।

स्थानीय महावीर टाऊन हाॅल में आयोजित इस कार्यक्रम के दौरान जहां एक ओर बाड़मेर जिला कलेक्टर सुधीर शर्मा ने पारंपरिक अंदाज में हाथों में लकडि़या लेकर नवजात बेटियों को ‘ढूंढने’ की रस्म अदा की। वहीं दुसरी ओर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ.सुनिल कुमार बिष्ठ थाली बजाते नजर आए। इस इलाके में आमतौर पर लड़के के जन्म पर थाली बजाने की प्रथा है, लेकिन बुधवार को लड़कियों के जन्म पर भी थाली बजायी गयी और मिठाईयां बांटी गई।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बाड़मेर जिला कलेक्टर सुधीर शर्मा ने कहा कि यह एक प्रेरणादायक कार्यक्रम है और ऐसे कार्यक्रमों से समाज को प्रेरणा मिलेगी। उन्होनें कहा कि ऐसे कार्यक्रमों की सार्थकता तभी सिद्ध होगी जब लोग अपने स्तर पर उसी उत्साह के साथ बच्च्यिों की ढूंढ का आयोजन करने लगेगें, जैसे वे लड़के के जन्म पर आयोजित करते है।

सीएमएचओं डाॅ.सुनिल कुमार बिष्ठ ने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन से समाज में बेटियों को सम्मानजनक स्थान मिलने के अवसरांें में बढ़ोतरी के साथ लिंगानुपात के अंतर को कम करने में भी मदद मिलेगी। उन्होनें कहा कि होली के दौरान पूरे सप्ताह इस कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा।

इस मौके पर उपनिदेशक महिला एवं बाल विकास विभाग, श्रीमती सती चैधरी ने कहा कि आज के समय में भी लोग अपनी पंरपराओं से बंधे है और उनके प्रति उनकी गहरी निष्ठा है। पंरपराओं से जुड़े कार्यक्रमों के आयोजन से बदलाव की शुरूआत की जा सकेगी और जल्द ही वो दिन भी आएगें, जब समाज में लड़कियों को भी लड़को के बराबर सम्मान मिलेगा।

केयर्न इंडिया के सुंदरराज ने बताया कि कार्यक्रम में 325 बच्चियों की ढूंढ का आयोजन किया गया। उन्होनें बताया कि कार्यक्रम को पंरपराओं के अनुरूप आयोजित करने के मकसद से रचना परियोजना की आरे से सभी 325 बच्चियों को उपहार भी बांटे गए।

इस कार्यक्रम में केयर्न इण्डिया लिमिटेड के उमा बिहारी द्विवेदी, शान्ति चैधरी, केयर इण्डिया से संजय ठाकर, केदारनाथ शर्मा, शिशिरकान्त शर्मा, नारायण हरी सारस्वत, स्वास्थ्य विभाग से विक्रमसिंह चम्पावत, राकेश भाटी, हेमन्त, चेतन, महिला एवं बाल विकास विभाग से दुर्गसिंह, कुसुम चैधरी, सुभाष शर्मा सहित शहर की आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, आशा सहयोगिनियो सहित 500 से ज्यादा महिलाओं ने कार्यक्रम में अपनी भागीदारी निभाई।



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