बाड़मेर। बॉर्डर की बेटियां करेगी बॉर्डर की सुरक्षा
बाड़मेर। पाकिस्तान की सीमा से सटे बाड़मेर जिले की बेटियों ने बॉर्डर की सिक्योरिटी का जिम्मा संभाल रही बीएसएफ (सीमा सुरक्षा बल) में प्रवेश कर लिया है। बीएसएफ की स्थापना के पचास वर्ष बाद पहली बार यह ऐतिहासिक अवसर आया है कि बाड़मेर की सात बेटियों ने सीमा सुरक्षा बल की एक वर्ष की ट्रेनिंग पूरी कर बॉर्डर की सिक्योरिटी करने की दक्षता हासिल की है। शनिवार को पंजाब के होशियार जिले के खड़का में इन बेटियों का दीक्षान्त समारोह हुआ और इन्हें पोस्टिंग दी गई। चूल्हा चौका संभालने वाले हाथों में हथियार देखकर इन बेटियों के परिजनों का सीना गर्व से चौड़ा हो गया और आंखों में खुशी के आंसू छलक पड़े। दीक्षान्त समारोह में बेटियों के परिजन शामिल हुए और वर्दी को सलाम किया।
इन बेटियों ने किया गौरवान्वित
रेगिस्तानी जिला बाड़मेर बालिका शिक्षा की दृष्टि से काफी पिछड़ा हुआ है। यहां बेटियों का पढऩा लिखना ही सपने के सच होने जैसा है। हालांकि बीते एक-दो दशक में काफी बदलाव आया है, लेकिन बेटियों के बीएसएफ व सेना में जाने की सोच ही समझ से परे हैं। इन हालात में मंजू पुत्री मोहनसिंह निवासी खड़ीन, दली पुत्री द्वारकाराम निवासी कोटड़ा, प्रियाकुमारी पुत्री मंगलाराम निवासी होडू, रेवंती पुत्री भूराराम निवासी जानियाना, रेवन्ती पुत्री खेराजराम निवासी शहर (बायतु), मानी पुत्री लूम्भाराम निवासी प्रहलादपुरा उण्डू, रेखी पुत्री रिड़मलराम निवासी चवा ने बीएसएफ में जाकर नई मिसाल कायम कर दी है।
ससुर का सपना सच किया
खड़ीन निवासी मंजू के हौसले की जितनी दाद दी जाए, कम है। शहर के गांधीनगर में यह संवाददाता जब मंजू के घर पहुंचा तो उसकी सास ने बताया कि मंजू के ससुर भूराराम बीएसएफ में भर्ती हुए थे, लेकिन वे महीने भर केे ट्रेनिंग के बाद घर आए तो उनकी मां ने उन्हें वापस जाने नहीं दिया। भूराराम के मन में यह टीस रह गई कि वे देश की सेवा नहीं कर सके। उनकी बीनणी (पुत्रवधु) मंजू का बीएसएफ सलेक्शन हुआ तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। बीनणी ने ससुर का सपना सच कर दिया। मंजू के पिता शिक्षक मोहनसिंह ने बताया कि बेटी को वर्दी में देखकर मैं धन्य हो गया। मंजू समेत चार बहनों के इकलौते भाई उगमराज ने बताया कि इससे ज्यादा खुशी क्या होगी कि जिस बहन की रक्षा मुझे करनी है, वह बहन अब देश की रक्षा करेगी।
जी-जान करुंगी देश सेवा
मेरे पिताजी शिक्षक है। हमारा परिवार सामान्य है। शादी के बाद ससुराल गई तो सुना कि ससुरजी बीएसएफ में भर्ती हो गए थे, लेकिन परिवार के दवाब में वे सेवा नहीं दे सके। यह सुनने के बाद मुझे बीएसएफ में भर्ती होने की प्रेरणा मिली। लिखित परीक्षा पास की तो आगे बढऩे का रास्ता मिल गया। पीहर व ससुराल दोनों ओर से सहयोग मिला और मुझे मेरी मंजिल मिल गई। मैं जी-जान से देश की सेवा करुंगी। -मंजू, नवआरक्षक बीएसएफ
मुझे बेटी पर गर्व है
मुझे मेरी बेटी पर गर्व है। मेरी इच्छा थी कि बीएसएफ या सेना में जाकर वह देश की सेवा करे। उसने मेरी भावना का सम्मान किया। बिटिया को वर्दी में देखकर प्रफुल्लित हंू।-लूम्भाराम, नव आरक्षक मानी के पिता
मुझे पत्नी पर गर्व है
मैं पढ़ लिख गया होता तो पिता का सपना मैं ही पूरा करता। लेकिन ऐसा हो न सका। मुझे मेरी पत्नी पर गर्व है कि उसने मेरे पिता का सपना साकार किया। उसे वर्दी में देखकर लगता है कि मैं ही वर्दी में हूं और देश सेवा कर रहा हूं। -ईश्वर, नव आरक्षक मंजू के पति
मुझे बहन पर गर्व है
मैं स्वयं पुलिस सेवा में हूं। मेरी बहन बीएसएफ में है। उसने मुझे और पूरे परिवार को गौरवान्वित होने का अवसर दिया है। उसे वर्दी में देखकर मेरा सीना चौड़ा गया। -देवाराम, नव आरक्षक रेखी के भाई
बाड़मेर। पाकिस्तान की सीमा से सटे बाड़मेर जिले की बेटियों ने बॉर्डर की सिक्योरिटी का जिम्मा संभाल रही बीएसएफ (सीमा सुरक्षा बल) में प्रवेश कर लिया है। बीएसएफ की स्थापना के पचास वर्ष बाद पहली बार यह ऐतिहासिक अवसर आया है कि बाड़मेर की सात बेटियों ने सीमा सुरक्षा बल की एक वर्ष की ट्रेनिंग पूरी कर बॉर्डर की सिक्योरिटी करने की दक्षता हासिल की है। शनिवार को पंजाब के होशियार जिले के खड़का में इन बेटियों का दीक्षान्त समारोह हुआ और इन्हें पोस्टिंग दी गई। चूल्हा चौका संभालने वाले हाथों में हथियार देखकर इन बेटियों के परिजनों का सीना गर्व से चौड़ा हो गया और आंखों में खुशी के आंसू छलक पड़े। दीक्षान्त समारोह में बेटियों के परिजन शामिल हुए और वर्दी को सलाम किया।
इन बेटियों ने किया गौरवान्वित
रेगिस्तानी जिला बाड़मेर बालिका शिक्षा की दृष्टि से काफी पिछड़ा हुआ है। यहां बेटियों का पढऩा लिखना ही सपने के सच होने जैसा है। हालांकि बीते एक-दो दशक में काफी बदलाव आया है, लेकिन बेटियों के बीएसएफ व सेना में जाने की सोच ही समझ से परे हैं। इन हालात में मंजू पुत्री मोहनसिंह निवासी खड़ीन, दली पुत्री द्वारकाराम निवासी कोटड़ा, प्रियाकुमारी पुत्री मंगलाराम निवासी होडू, रेवंती पुत्री भूराराम निवासी जानियाना, रेवन्ती पुत्री खेराजराम निवासी शहर (बायतु), मानी पुत्री लूम्भाराम निवासी प्रहलादपुरा उण्डू, रेखी पुत्री रिड़मलराम निवासी चवा ने बीएसएफ में जाकर नई मिसाल कायम कर दी है।
ससुर का सपना सच किया
खड़ीन निवासी मंजू के हौसले की जितनी दाद दी जाए, कम है। शहर के गांधीनगर में यह संवाददाता जब मंजू के घर पहुंचा तो उसकी सास ने बताया कि मंजू के ससुर भूराराम बीएसएफ में भर्ती हुए थे, लेकिन वे महीने भर केे ट्रेनिंग के बाद घर आए तो उनकी मां ने उन्हें वापस जाने नहीं दिया। भूराराम के मन में यह टीस रह गई कि वे देश की सेवा नहीं कर सके। उनकी बीनणी (पुत्रवधु) मंजू का बीएसएफ सलेक्शन हुआ तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। बीनणी ने ससुर का सपना सच कर दिया। मंजू के पिता शिक्षक मोहनसिंह ने बताया कि बेटी को वर्दी में देखकर मैं धन्य हो गया। मंजू समेत चार बहनों के इकलौते भाई उगमराज ने बताया कि इससे ज्यादा खुशी क्या होगी कि जिस बहन की रक्षा मुझे करनी है, वह बहन अब देश की रक्षा करेगी।
जी-जान करुंगी देश सेवा
मेरे पिताजी शिक्षक है। हमारा परिवार सामान्य है। शादी के बाद ससुराल गई तो सुना कि ससुरजी बीएसएफ में भर्ती हो गए थे, लेकिन परिवार के दवाब में वे सेवा नहीं दे सके। यह सुनने के बाद मुझे बीएसएफ में भर्ती होने की प्रेरणा मिली। लिखित परीक्षा पास की तो आगे बढऩे का रास्ता मिल गया। पीहर व ससुराल दोनों ओर से सहयोग मिला और मुझे मेरी मंजिल मिल गई। मैं जी-जान से देश की सेवा करुंगी। -मंजू, नवआरक्षक बीएसएफ
मुझे बेटी पर गर्व है
मुझे मेरी बेटी पर गर्व है। मेरी इच्छा थी कि बीएसएफ या सेना में जाकर वह देश की सेवा करे। उसने मेरी भावना का सम्मान किया। बिटिया को वर्दी में देखकर प्रफुल्लित हंू।-लूम्भाराम, नव आरक्षक मानी के पिता
मुझे पत्नी पर गर्व है
मैं पढ़ लिख गया होता तो पिता का सपना मैं ही पूरा करता। लेकिन ऐसा हो न सका। मुझे मेरी पत्नी पर गर्व है कि उसने मेरे पिता का सपना साकार किया। उसे वर्दी में देखकर लगता है कि मैं ही वर्दी में हूं और देश सेवा कर रहा हूं। -ईश्वर, नव आरक्षक मंजू के पति
मुझे बहन पर गर्व है
मैं स्वयं पुलिस सेवा में हूं। मेरी बहन बीएसएफ में है। उसने मुझे और पूरे परिवार को गौरवान्वित होने का अवसर दिया है। उसे वर्दी में देखकर मेरा सीना चौड़ा गया। -देवाराम, नव आरक्षक रेखी के भाई
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