बाड़मेर। काजू-बादाम से भी महंगे कैर-सांगरी
बाड़मेर।शीतला सप्तमी के पर्व पर घर-घर बनने वाले बास्योड़ा में कैर-सांगरी की सब्जी जरूरी व्यंजन है। गुरुवार को शीतला सप्तमी है और बुधवार को कैर-सांगरी के सर्वाधिक उत्पादन करने वाले रेगिस्तानी जिले बाड़मेर में भी यह आलम रहा है कि कैर 1600 और सांगरी 1200 रुपए प्रति किलोग्राम बिकी। इस पंचकूटे में स्वाद के लिए मिलाए जाने वाले सूखे मेवे काजू, किसमिस, बादाम और पिस्ता के दाम भी इससे कहीं कम रहे।
कैर-सांगरी क्यों
बास्योड़ा में कैर-सांगरी की सब्जी बनाने का मुख्य कारण है कि अन्य सब्जियां गर्मी के दिनों में खराब हो जाती है। सूखे कैर-सांगरी की सब्जी के स्वाद में कोई अंतर नहीं आता। कई परिवार शीतला सप्तमी का अगता यानि ठंडा भोजन तीन दिन तक भी खाते हंै। एेसे में इस सब्जी को ही प्राथमिकता दी जाती है।
हरी से सूखी महंगी
पंचकूटा में सूखे कैर और सांगरी, कुम्मट, काचरा, अमचूर, सूखे मेवे डालकर सब्जी बनती है। सूखे कैर और सांगरी की सब्जी ही तरोताजा रहती है। हरे कैर और सांगरी की सब्जी खराब हो जाती है। हरे कैर सौ रुपए और सांगरी भी करीब इसी दाम पर मिल रही है।
सभी राज्यों में मांगइन दिनों कैर व सांगरी की मांग बनी हुई है। जो कैर-सांगरी पहले गांवों में मुफ्त में ही मिल जाती थी, अब बाजार में बिकने आती है। इसमें भी कच्चे कैर और सांगरी केवल 15 दिन से महीना भर ही रहते हैं। इस दौरान अचार बनाने के लिए कैर की मांग बढ़ जाती है और सांगरी को कच्ची तोड़कर सुखाने पर ही सब्जी के काम आती है। पकने के बाद यह खोखा हो जाती है, जो सब्जी के काम की नहीं रहती।
लाखों की कमाईगांवों मेंं इन दिनों गरीब परिवारों के लिए यह रोजगार का बड़ा साधन बना हुआ है। बच्चे और महिलाएं कैर-सांगरी को एकत्र कर बाजार में पहुंचा रहे हैं और उनके लिए प्रतिदिन 500 से 1000 रुपए तक की आमदनी हो रही है।
भावों पर एक नजर
सूखे कैर : 1600 रुपए
सांगरी : 1200 रुपए
कुम्मट : 100 रुपए
गूंदा : 300 रुपए
अमचूर : 300 रुपए
काचरा : 200 रुपए
काजू : 600 रुपए
किशमिश : 170-200 रुपए
बादाम :750 रुपए
(भाव प्रतिकिलो के हिसाब से हैं।)
कैर-सांगरी क्यों
बास्योड़ा में कैर-सांगरी की सब्जी बनाने का मुख्य कारण है कि अन्य सब्जियां गर्मी के दिनों में खराब हो जाती है। सूखे कैर-सांगरी की सब्जी के स्वाद में कोई अंतर नहीं आता। कई परिवार शीतला सप्तमी का अगता यानि ठंडा भोजन तीन दिन तक भी खाते हंै। एेसे में इस सब्जी को ही प्राथमिकता दी जाती है।
हरी से सूखी महंगी
पंचकूटा में सूखे कैर और सांगरी, कुम्मट, काचरा, अमचूर, सूखे मेवे डालकर सब्जी बनती है। सूखे कैर और सांगरी की सब्जी ही तरोताजा रहती है। हरे कैर और सांगरी की सब्जी खराब हो जाती है। हरे कैर सौ रुपए और सांगरी भी करीब इसी दाम पर मिल रही है।
सभी राज्यों में मांगइन दिनों कैर व सांगरी की मांग बनी हुई है। जो कैर-सांगरी पहले गांवों में मुफ्त में ही मिल जाती थी, अब बाजार में बिकने आती है। इसमें भी कच्चे कैर और सांगरी केवल 15 दिन से महीना भर ही रहते हैं। इस दौरान अचार बनाने के लिए कैर की मांग बढ़ जाती है और सांगरी को कच्ची तोड़कर सुखाने पर ही सब्जी के काम आती है। पकने के बाद यह खोखा हो जाती है, जो सब्जी के काम की नहीं रहती।
लाखों की कमाईगांवों मेंं इन दिनों गरीब परिवारों के लिए यह रोजगार का बड़ा साधन बना हुआ है। बच्चे और महिलाएं कैर-सांगरी को एकत्र कर बाजार में पहुंचा रहे हैं और उनके लिए प्रतिदिन 500 से 1000 रुपए तक की आमदनी हो रही है।
भावों पर एक नजर
सूखे कैर : 1600 रुपए
सांगरी : 1200 रुपए
कुम्मट : 100 रुपए
गूंदा : 300 रुपए
अमचूर : 300 रुपए
काचरा : 200 रुपए
काजू : 600 रुपए
किशमिश : 170-200 रुपए
बादाम :750 रुपए
(भाव प्रतिकिलो के हिसाब से हैं।)
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