13 साल की बहिन ने कुएं में कूद बचाई 4 साल के भाई की जान
इनका कहना
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60 फीट गहरे कुएं में कूदी, आधे घंटे तक पानी में भाई को कंधों पर लेकर हाथ पैर मारती रही
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बाड़मेर
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वह उसी समय उसे बचाने के लिए कुएं में कूद गई। इतने में उसकी छोटी बहिन ने उसे कुएं में कूदते देखा और भागकर आधा किमी दूर एक ढाणी में गई। वहां उसने सारी घटना एक युवक पुरखाराम काे बताई उस पर युवक ने गांव वालों को सूचित किया और कुछ ग्रामीण इकट्ठे होकर कुछ देर बाद उस ढाणी पर पंहुचे। उन्होंने कुएं में देखा तो मंजू अपने भाई को कंधों पर रखे है। पानी उसके मुंह तक गया, वह कुएं में हाथ पैर हिला रही है। उसकी गहराई लगभग साठ फीट थी। ग्रामीणों ने रस्सी की व्यवस्था कर एक युवक को कुएं में उतारा। युवक ने जब मंजू को रस्सी से बांधा और बाहर निकलने को कहा तो उसने कहा कि पहले उसके भाई को बाहर निकालो। उसके समझाने के बाद पहले उसे रस्सी से बाहर निकाला गया। बाद में उस बच्चे को पुरखराम ने सीने से बांध कर बाहर निकाला। आधे घंटे की कोशिश करके उन्हें बाहर निकाला गया। मंजू उसके भाई को कुएं से बाहर निकालने के बाद राजकीय अस्पताल बाड़मेर लाया गया। उसके पैर में फैक्चर हो गया है। भाई को कुछ हो जाता तो राखी किसे बांधती तेरहसाल की मंजू छठी कक्षा की छात्रा है। उसके चार बहनें और एक ही भाई है। बहनों में वह सबसे बड़ी है। भाई चौथे नंबर का है। पिता अमराराम देवासी कमठा मजदूर हैं। उसने कहा कि मुझे तैरना नहीं आता, लेकिन कुएं में कूदने में कोई डर नहीं लगा क्योंकि उसे भाई को बचाना था। आधे घंटे तक कुएं में खड़ी रही और हाथ पैर मारती रही भाई रो रहा था उसे कंधे पर बैठा लिया। मैं मर भी गई तो क्या भाई को तो बचाना जरूरी था। हम बहनें रक्षाबंधन को राखी किसे बांधेंगी। ^छोटी बहनकविता दौड़ती हुई आई और कहा कि मंजू और उसका भाई दोनों कुएं में गिर गए है। मैं खेजड़ी से कूदा और आस-पास की ढाणियों में रस्सी लेने भागा और लोगों को कहा कि मंजू कुएं में गिर गई है। कुछ देर में सभी इकट्ठे हो गए। साठ फीट गहरे कुएं में रस्सी से लाेगों ने मुझे उतारा। आधे घंटे की कोशिश के बाद दोनों को बाहर निकाला। -पुरखाराम,ग्रामीण मंजू ने आज मेरी आंखें खोल दीं ^मेरेदो बेटे है। यह छोटे बेटे के बच्चे है। उसके चार लड़कियां और एक लड़का है। मैं बेटे बेटी में भेद करता हूं, लेकिन मंजू ने जो आज कर दिखाया उससे मुझे आज पता चला की बेटे और बेटी में कोई फर्क नहीं है। मंजू मेरा कुलभूषण है। अपनी जान पर खेल कर मेरे पोते की जान बचाई। मोटारामदेवासी, मंजू के दादा |
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