बुधवार, 16 मार्च 2016

झालावाड़ मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान 11 जिलों के कलक्टरों ने झालावाड़ में देखे फोर वाटर कंसेप्ट के कार्य

झालावाड़ मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान
11 जिलों के कलक्टरों ने झालावाड़ में देखे फोर वाटर कंसेप्ट के कार्य



झालावाड़ 16 मार्च। राज्य मंे चल रहे मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के अन्तर्गत फोर वाटर कन्सेप्ट के कार्यों को देखने तथा एक दिवसीय भ्रमण कार्यशाला मंे भाग लेने के लिए आज राज्य के 11 जिलों के जिला कलक्टर झालावाड़ आये। उनके साथ कोटा के संभागीय आयुक्त रघुवीर सिंह मीणा भी थे।
जल ग्रहण विकास एवं भू-संरक्षण विभाग के तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में भरतपुर जिला कलक्टर रवि जैन, बून्दी जिला कलक्टर नरेश कुमार ठकराल, बारां जिला कलक्टर सत्यपाल सिंह भारिया, सवाईमाधोपुर जिला कलक्टर श्रीमती आनन्धी, धौलपुर जिला कलक्टर श्रीमती शुचि त्यागी, करौली जिला कलक्टर विक्रम ंिसंह चौहान, जयपुर जिला परिषद की मुख्य कार्यकारी अधिकारी अनुपमा जोरवा, अलवर के जिला कलक्टर मुक्तानन्द अग्रवाल, टोंक की जिला कलक्टर रेखा गुप्ता एवं दौसा के जिला कलक्टर स्वरूप सिंह पंवार ने भवानीमण्डी पंचायत समिति की सरोद ग्राम पंचायत में सरोद-1 तथा सरोद-2 और हरनावदा में किये गये फोर वाटर कंसेप्ट के कार्यों के तहत मिनी परकोलेशन टैंक, स्टेगर्ड ट्रैंच तथा एनीकट आदि के कार्य देखे। जिला कलक्टर झालावाड़ डॉ. जितेन्द्रसिंह भी इस पूरे दौरे में कलक्टरों के साथ रहे।
कार्यशाला की शुरुआत कालीसिंध थर्मल पावर रेस्ट हाउस में प्रातः 10 बजे पॉवर पॉइण्ट प्रेजेण्टेशन से हुई जिसमें वर्ष 2014 में कार्य आरम्भ करने से पहले सरोद एवं हरनावदा गांव के भूजल स्तर तथा जल सरंचनाओं के चित्र तथा आंकड़े प्रस्तुत किये गये तथा कार्य सम्पन्न होने के बाद वर्ष 2015 में इस क्षेत्र में आये भूजल स्तर, जल संरचनाओं के स्तर तथा कृषि उत्पादन में हुई वृद्धि के चित्र एवं आंकड़े प्रस्तुत किये गये। दोपहर लगभग 12 बजे सभी जिला कलक्टरों ने सरोद-1 और 2 तथा दोपहर 3 बजे हरनावदा जल संरक्षरण क्षेत्र का दौरा किया।
राजस्थान रीवर बेसिन के एक्सपर्ट राकेश रेडी तथा जंगा रेडी तथा सिंचाई विभाग के अधीक्षण अभियंता कैलाशदान सांदू ने जिला कलक्टरों को फोर वाटर कंसेप्ट के सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक पक्षों की जानकारी दी। जिला कलक्टरों ने एक्सपर्ट्स के समक्ष अपने जिले की परिस्थितियों एवं वहां चल रहे कार्यों के सम्बन्ध में सम्बन्ध में अपनी शंकाओं का भी समाधान किया। जिला कलक्टरों ने अपनी फील्ड विजिट में स्थानीय किसानों से भी बात की। किसानों ने उन्हें बताया कि यह कार्यक्रम निश्चित रूप से न केवल उनकी जिंदगी में अपतिु क्षेत्र के अन्य लोगों की जिंदगी में बदलाव ला रहा है। अब उनके पशुओं को साल भर पानी मिल रहा है। खेती के लिये जल उपलब्ध होने से खेती का उत्पादन भी बढ़ा है तथा स्थानीय तालाबों एवं कुंओं में साल भर पानी मिल रहा है।
संभागीय आयुक्त कोटा श्री रघुवीर सिंह मीणा ने इस अवसर पर जिला कलक्टरों का आह्वान किया कि वे आज के अनुभवों का लाभ उठाते हुए अपने जिलों में भी इसी गुणवत्ता के कार्य करवायें। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार पिपलांत्री में वाटर शेड के अच्छे कार्य हुए हैं, उसी प्रकार झालावाड़ जिले में बहुत अच्छी गुणवत्ता के कार्य हुए हैं। मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान में इस कंसेप्ट का बहुत अधिक लाभ मिलेगा।
जिला कलक्टरों ने आज की कार्यशाला के अनुभवों को अविस्मरणीय बताया तथा कहा कि वे अपने जिलों में भी इसी पैटर्न पर कार्य करवायेंगे। भरतपुर जिला कलक्टर रवि जैन ने कहा कि उन्हें इस कार्यशाला में आने से पहले फोर वाटर कंसेप्ट के विविधि पक्षों की इतनी जानकारी नहीं थी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे की दूरगामी सोच के कारण ही इस जिले में इतने अच्छे कार्य संभव हुए हैं। ये पूरे देश के समक्ष एक मिसाल बनेंगे तथा अन्य राज्यों से भी अधिकारी आकर इन कार्यों को देखेंगे तो उन राज्यों की जनता को भी इसका लाभ मिलेगा।
सवाईमाधोपुर की कलक्टर श्रीमती आनंधी ने कहा कि वे अपने जिले से कुछ तकनीकी अधिकारियों की टीम भेजेंगी ताकि उन्हें भी यह प्रशिक्षण प्राप्त हो सके। धौलपुर जिला कलक्टर शुचि त्यागी ने कहा कि वे चाहेंगी कि झालावाड़ जिले के तकनीकी अधिकारी उनके जिले में आकर फील्ड में कार्य करवाकर इसका प्रशिक्षण दें।
झालावाड़ जिला कलक्टर डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी ने अन्य जिला कलक्टरों को बताया कि जियो टैगिंग तथा मिट्टी की कुटाई इस कार्यक्रम की सफलता के दो बड़े आधार हैं। तकनीकी जानकारी के साथ-साथ स्थानीय जन भागीदारी भी इस कार्यक्रम की सफलता के लिये आवश्यक है। उन्होंने कहा कि ड्रोन से पूरी पहाड़ी जल संरक्षण कार्य की फोटोग्राफी करवाकर अन्य जिलों को उपलब्ध कराई जायेगी। उन्होंने कहा कि ट्रैंचेज तथा सिल्ट ट्रैप में एकत्रित होने वाली सिल्ट किसानों के खेतों के लिये अत्यंत लाभदायक है।
इस अवसर पर जिला प्रमुख झालावाड़ श्रीमती टीना भील, मुख्यकार्यकारी अधिकारी श्री रामपाल शर्मा, उपखण्ड अधिकारी भवानीमण्डी, प्रधान पंचायत समिति भवानी मण्डी, सरपंच सरोद सहित अनेक विभागों के एक्सपर्ट अधिकारी भी मौजूद थे। जिला प्रमुख ने सभी जिला कलक्टरों का धन्यवाद ज्ञापित किया।
कार्यशाला का समापन राजस्थान टैक्सटाइल मिल में डीब्रीफिंग सेशन से हुआ जिसमें दिन भर में हुई कार्यवाही से निकले निष्कर्षों पर चर्चा की गई।
ज्ञातव्य है कि मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे द्वारा राज्य मंे फोर वाटर कन्सेप्ट आधारित जल संरक्षण का कार्यक्रम चलाया जा रहा है जिसके अन्तर्गत झालावाड़ जिले मंे सबसे अच्छे कार्य किये गये हैं। इन कार्यों के आधार पर राज्य के अन्य जिलों मंे भी जल संरक्षण के कार्य किये जायें, इस उद्देश्य से राज्य के जलग्रहण विकास एवं भू संरक्षण विभाग द्वारा 21 जिला कलक्टरों की एक दिवसीय भ्रमण का कार्यक्रम बनाया गया है। 18 मार्च को अजमेर, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमन्द, बांसवाड़ा, उदयपुर, डूंगरपुर, जालौर, सिरोही तथा पाली जिलों के कलक्टर भ्रमण कार्यशाला में भाग लेने आयेंगे।
सरोद में किये जा रहे फोर वाटर कंसेप्ट के कार्य
फोर वाटर कन्सेप्ट योजनान्तर्गत झालावाड़ जिले की पंचायत समिति भवानीमंडी के अन्तर्गत पायलेट प्रोजेक्ट में 04 जलग्रहण क्षैत्रों का चयन किया गया था जिसमें जलग्रहण क्षेत्र सरोद-1, सरोद-2, आकियाखेडी एवं लोडला को चयनित किया गया था। सरोद 1 का कुल एरिया 100.57 हैक्टेयर एवं लागत 37.39 लाख रुपये तथा सरोद-2 कुल एरिया 242.13 हैक्टेयर एवं लागत 52.13 लाख रुपये है।
भवानीमण्डी पंचायत समिति की सरोद ग्राम पंचायत में माईनर इरीगेशन टेंक (एमआईटी)-1 के जलग्रहण क्षेत्र को उपचारित करने हेतु चलाई जा रही परियोजना में सरोद-1 टेंक के जलग्रहण क्षेत्र में 16 एमपीटी, 125 सीसीटी, 75 एसजीपीटी, 950 एसजीटी एवं 17 हैक्टेयर में फील्ड बंडिंग के काम करवाये जा रहे हैं। इस क्षेत्र को चार जल संकल्पना के आधार पर उपचारित करने पर कुल लागत 37.39 लाख रुपये की लागत आनी अनुमानित है।
सरोद-2 माईनर इरीगेशन टेंक (एमआईटी) के जलग्रहण क्षेत्र को उपचारित करने हेतु चलाई जा रही परियोजना में सरोद-2 टेंक के जलग्रहण क्षेत्र में 32 एमपीटी, 2200 डीप सीसीटी, 216 एसजीपीटी, 900 एसजीटी एवं 49.0 हैक्टेयर में फील्ड बंडिंग प्रस्तावित की गई है। इस क्षेत्र को चार जल संकल्पना के आधार पर उपचारित करने पर 52.13 लाख रुपये लागत आनी अनुमानित है। स्ट्रेक्चर्स में जमा सिल्ट को पास के काश्तकार स्वंय खोदकर अपने खेतों में ले जायेंगे इसलिये प्रतिवर्ष में डी-सिल्टिंग पर होने वाला व्यय इस प्रोजेक्ट में सम्मिलित नहीं किया गया है।

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