सरकार का फैसला, मंत्रियों से छिनेगा गृह जिले का प्रभार!
गृह जिले में प्रभारी लगे मंत्रियों के दिन अब लदने वाले हैं। लगातार मिल रही शिकायतों के चलते राज्य सरकार ने निर्णय किया है कि जिस मंत्री का विधानसभा क्षेत्र उसके प्रभार वाले जिले में ही आ रहा है, उसका जिला बदला जाएगा।
उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक सरकार की ओर से लिए गए फीडबैक मंे सामने आया कि इन मंत्रियों को ज्यादा जोर खुद के विधानसभा क्षेत्र का काम करवाने में ही रहता है। इसको लेकर कुछ जिलों से अधिकारियों पर दबाव डालने की शिकायतें भी मुख्यमंत्री कार्यालय को मिली हैं। पंचायत और निकाय चुनावों में भी पार्टी गृह जिले में लगे एक मंत्री की मनमानी से हार चुकी है।
जिले के दूसरे विधायक भी गृह जिले में लगे मंत्रियों की मनमानी की कई बार शिकायत कर चुके हैं। करीब एक माह पहले इसे लेकर मुख्यमंत्री स्तर पर हुई बैठक के बाद मंत्रियों को नए जिले का प्रभार सौंपने का काम शुरू हो गया है। जल्द ही नई सूची को अंतिम रूप दे दिया जाएगा। राज्य सरकार ने मंत्रिमण्डल विस्तार के बाद दिसम्बर, 2014 में ही जिलों के प्रभारी मंत्री लगाए थे।
तीन पहले ही हटाए जा चुके
बारां के प्रभारी कृषि मंत्री प्रभु लाल सैनी को कुछ समय पहले कोटा तथा सार्वजनिक निर्माण मंत्री युनूस खान को नागौर से हटाकर झालावाड़ और बूंदी जिले का प्रभारी मंत्री बनाया गया था। बूंदी के प्रभारी परिवहन राज्यमंत्री को बारां का प्रभारी मंत्री बनाया जा चुका है।
उठते रहे हैं सवाल
राजस्थान भाजपा के संगठन प्रभारी रह चुके सौदान सिंह ने भी एक बैठक में कहा था कि प्रभारी मंत्री जिलों में जाने के बाद लोगों से मिलते ही नहीं है। नजदीकी तीन-चार लोग ही उन्हें घेरे रहते हैं। मंत्रियों को पूरे जिले के लोगों से मिलना चाहिए।
इनसे वापस होगी जिम्मेदारी
गुलाब चंद कटारिया- उदयपुर
कालीचरण सराफ-जयपुर
नन्द लाल मीणा- प्रतापगढ़
राजेन्द्र राठौड़- चूरू, झुंझुनूं
गजेन्द्र सिंह खींवसर- जोधपुर, जालोर
सुरेन्द्र गोयल- पाली
डॉ. रामप्रताप- हनुमानगढ़
किरण माहेश्वरी- राजसमंद
हेम सिंह भडाना- अलवर
अजय सिंह किलक-नागौर, सीकर
अमराराम- बाड़मेर, जैसलमेर
कृष्णेन्द्र कौर दीपा- भरतपुर
वासुदेव देवनानी- अजमेर
सुरेन्द्र पाल सिंह टीटी- श्रीगंगानगर
जीतमल खांट- बांसवाड़ा
ओटाराम देवासी- सिरोही
गृह जिले में प्रभारी लगे मंत्रियों के दिन अब लदने वाले हैं। लगातार मिल रही शिकायतों के चलते राज्य सरकार ने निर्णय किया है कि जिस मंत्री का विधानसभा क्षेत्र उसके प्रभार वाले जिले में ही आ रहा है, उसका जिला बदला जाएगा।
उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक सरकार की ओर से लिए गए फीडबैक मंे सामने आया कि इन मंत्रियों को ज्यादा जोर खुद के विधानसभा क्षेत्र का काम करवाने में ही रहता है। इसको लेकर कुछ जिलों से अधिकारियों पर दबाव डालने की शिकायतें भी मुख्यमंत्री कार्यालय को मिली हैं। पंचायत और निकाय चुनावों में भी पार्टी गृह जिले में लगे एक मंत्री की मनमानी से हार चुकी है।
जिले के दूसरे विधायक भी गृह जिले में लगे मंत्रियों की मनमानी की कई बार शिकायत कर चुके हैं। करीब एक माह पहले इसे लेकर मुख्यमंत्री स्तर पर हुई बैठक के बाद मंत्रियों को नए जिले का प्रभार सौंपने का काम शुरू हो गया है। जल्द ही नई सूची को अंतिम रूप दे दिया जाएगा। राज्य सरकार ने मंत्रिमण्डल विस्तार के बाद दिसम्बर, 2014 में ही जिलों के प्रभारी मंत्री लगाए थे।
तीन पहले ही हटाए जा चुके
बारां के प्रभारी कृषि मंत्री प्रभु लाल सैनी को कुछ समय पहले कोटा तथा सार्वजनिक निर्माण मंत्री युनूस खान को नागौर से हटाकर झालावाड़ और बूंदी जिले का प्रभारी मंत्री बनाया गया था। बूंदी के प्रभारी परिवहन राज्यमंत्री को बारां का प्रभारी मंत्री बनाया जा चुका है।
उठते रहे हैं सवाल
राजस्थान भाजपा के संगठन प्रभारी रह चुके सौदान सिंह ने भी एक बैठक में कहा था कि प्रभारी मंत्री जिलों में जाने के बाद लोगों से मिलते ही नहीं है। नजदीकी तीन-चार लोग ही उन्हें घेरे रहते हैं। मंत्रियों को पूरे जिले के लोगों से मिलना चाहिए।
इनसे वापस होगी जिम्मेदारी
गुलाब चंद कटारिया- उदयपुर
कालीचरण सराफ-जयपुर
नन्द लाल मीणा- प्रतापगढ़
राजेन्द्र राठौड़- चूरू, झुंझुनूं
गजेन्द्र सिंह खींवसर- जोधपुर, जालोर
सुरेन्द्र गोयल- पाली
डॉ. रामप्रताप- हनुमानगढ़
किरण माहेश्वरी- राजसमंद
हेम सिंह भडाना- अलवर
अजय सिंह किलक-नागौर, सीकर
अमराराम- बाड़मेर, जैसलमेर
कृष्णेन्द्र कौर दीपा- भरतपुर
वासुदेव देवनानी- अजमेर
सुरेन्द्र पाल सिंह टीटी- श्रीगंगानगर
जीतमल खांट- बांसवाड़ा
ओटाराम देवासी- सिरोही
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