शनिवार, 23 जनवरी 2016

नई दिल्ली।PM ने सार्वजनिक की नेताजी की फाइलें, परिजन भावुक

नई दिल्ली।PM ने सार्वजनिक की नेताजी की फाइलें, परिजन भावुक 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस से जुड़ी गोपनीय 100 फाइलों को शनिवार को उनकी 119वीं जयन्ती पर आम जनता के लिए सार्वजनिक कर दिया जिसके बाद उनकी मृत्यु के रहस्य पर से पर्दा उठने की संभावना है।
मोदी ने राष्ट्रीय अभिलेखागार में नेताजी के परिजनों की मौजूदगी में एक समारोह में इन फाइलों की डिजिटल प्रतियों को जारी किया। इस मौके पर संस्कृति मंत्री महेश शर्मा एवं शहरी विकास राज्य मंत्री बाबुल सुप्रियो भी मौजूद थे। इस दौरान नेताजी से जुड़ी फाइलें देखकर उनके परिवारवाले भावुक हो गए। नेताजी के पड़पोते चंद्रा बोस ने कहा कि ये देश के उन लोगों की जीत है जिन्हें नेताजी के बारे में जानने का हक है।
प्रधानमंत्री के साढ़े बारह बजे राष्ट्रीय अभिलेखागार पहुंचने पर नेताजी की आवक्ष प्रतिमा पर माल्यार्पण करके उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इससे पहले उन्होंने संसद भवन परिसर में नेताजी के तैलचित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की जहां नेताजी के परिवार के लोग मौजूद थे जो बाद में राष्ट्रीय अभिलेखागार पहुंचे।
अभिलेखागार को 1997 में आजाद हिन्द फौज से जुड़ी 990 फाइलें रक्षा मंत्रालय से मिली थी। इसके बाद 2012 में उसे गृह मंत्रालय से नेताजी की मौत की जांच करने वाले खोसला आयोग की 1030 फाइलें एवं दस्तावेज तथा मुखर्जी आयोग की सात सौ पांच फाइलें एवं दस्तावेज मिले थे।
ये सभी सामग्री पहले से ही सार्वजनिक हैं। कहा जाता है कि 18 अगस्त 1945 को नेताजी की एक विमान दुर्घटना में ताईवान में मृत्यु हो गई थी लेकिन देश की जनता ने उनकी मृत्यु की बात को स्वीकार नहीं किया। इसके मद्देन•ार सरकार ने अलग अलग समय पर तीन आयोग गठित किए।
खोसला आयोग तथा शाहनवाज आयोग ने विमान दुर्घटना में नेताजी की मृत्यु होने की बात कही थी लेकिन मुखर्जी आयोग का कहना था कि इस दुर्घटना के साक्ष्य नहीं है। इस तरह देश के महान सपूत की मृत्यु के संबंध में अब तक विवाद बना हुआ है।
यह उम्मीद की जा रही है कि केंद्र सरकार द्वारा नेताजी से जुड़ी गोपनीय फाइलें सार्वजनिक किए जाने से उनकी मृत्यु की हकीकत का पता चल सकेगा। पहले भी समय समय पर इन फाइलों को सार्वजनिक करने की मांग होती रही है लेकिन केंद्र में रही विभिन्न सरकारें यह कहते हुए इन्हें सार्वजनिक करने से इंकार करतीं रहीं कि ऐसा करने से मित्र देश के साथ संबंध बिगड़ सकते हैं।

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