सीकर Exclusive लापरवाही की हद पार: एड्स के नाम पर जिंदगी से हो रहा खिलवाड़
पत्रिका से साभार
जांच के नाम पर एड्स पीडि़तों के साथ धोखा हो रहा है। कई निजी अस्पताल पॉजिटिव रोगियों को जांच में निगेटिव बता रहे हैं। पत्रिका टीम ने पड़ताल की तो हालात चौंकाने वाले मिले। एसके अस्पताल स्थित एआरटी सेंटर पर एेसे दर्जनभर मामले सामने आए। जिनको सरकारी रिपोर्ट में तो एचआईवी पॉजिटिव घोषित किया गया है। जबकि निजी अस्पतालों की लैब रिपोर्ट में इन्हीं रोगियों को एचआईवी निगेटिव बताया जा रहा है। इनमें पुरुष व महिला मरीज दोनों शामिल हैं।
जानकारी के अनुसार एसके अस्पताल में आने वाले जिन मरीजों को जांच में एचआईवी पॉजिटिव घोषित किया जा चुका है और जो जानलेवा बीमारी से लडऩे के लिए दवा ले रहे हैं। इनमें कुछ रोगी एेसे हैं, जिनको निजी अस्पताल की रिपोर्ट में निगेटिव बताया गया है। एेसे में मरीजों के सामने दुविधा की स्थिति है। एआरटी सेंटर के स्टाफ का मानना है कि मरीज को कोम्ब एड्स, एसटी बायो लाइन व ट्राइडोट टेस्ट से गुजरने के बाद सही रिपोर्ट आती है।
काउंसलिंग के बाद ही रोगी को रिपोर्ट सौंपी जाती है। इसलिए रिपोर्ट गलत साबित होना संभव ही नहीं है। इधर, एआरटी सेंटर के नोडल अधिकारी डॉक्टर देवेंद्र दाधीच का कहना है कि निजी अस्पतालों में केवल कार्ड टेस्ट की स्क्रीनिंग के जरिए मरीज को जांच रिपोर्ट सौंपी जाती है जो गलत है। इसके आधार पर मरीज को एचआईवी निगेटिव साबित करना सही नहीं है।
बर्दाश्त नहीं होगी लापरवाही
एचआईवी पीडि़तों के लिए काम कर रहे एसएनपी प्लस के प्रोजेक्टर डायरेक्टर महेंद्र शर्मा ने बताया कि रिपोर्ट गलत आने की सूचना उनके पास भी मरीजों से आई है। जांच में बरती जाने वाली लापरवाही में कार्रवाई के लिए कलक्टर को लिखा जाएगा।
...पैरों तले से खिसक गई थी जमीन
लक्ष्मणगढ़ के गोपाल (बदला हुआ नाम ) ने बताया कि एसके अस्पताल के एआरटी सेंटर पर जांच के दौरान उसे पॉजिटिव घोषित किए जाने के बाद से वह दवा ले रहा है। लेकिन, मई 2015 को निजी अस्पताल में एचआईवी की जांच कराने पर उसे रिपोर्ट निगेटिव दी गई तो पैरों तले से जमीन ही खिसक गई थी। तीन जनवरी 2016 को दोबारा जांच कराई तो उसमें भी उसे निगेटिव बताया गया। संदेह पर एआरटी सेंटर पहुंचकर जांच कराई तो फिर रिपोर्ट पॉजिटिव आई।
असहनीय सदमा पहुंचा
खंडेला के जाकिर (बदला हुआ नाम ) का कहना था कि उसने भी बाहर जांच कराई तो उसे निगेटिव बताया था। लेकिन, एआरटी सेंटर पर जांच के दौरान उसे पॉजिटिव बताया गया। बीमारी के कारण उसे सदमा पहुंचा। बाहर की जांच से भरोसा उठ गया है।
400 तक वसूली
सरकारी अस्पताल में एचआईवी जांच पूरी तरह निशुल्क व गोपनीय होती है। जबकि निजी लैब व अस्पताल में इसी जांच के 300 से 400 रुपए तक वसूले जाते हैं।
2200 तक पहुंची पीडि़तों की संख्या
एआरटी सेंटर के आंकडों के अनुसार जिले में करीब 2200 एड्स रोगी रजिस्टर्ड हैं। इनमें एक हजार पुरुष, 950 महिलाएं व 250 के करीब बच्चे शामिल हैं।
जांच के नाम पर एड्स पीडि़तों के साथ धोखा हो रहा है। कई निजी अस्पताल पॉजिटिव रोगियों को जांच में निगेटिव बता रहे हैं। पत्रिका टीम ने पड़ताल की तो हालात चौंकाने वाले मिले। एसके अस्पताल स्थित एआरटी सेंटर पर एेसे दर्जनभर मामले सामने आए। जिनको सरकारी रिपोर्ट में तो एचआईवी पॉजिटिव घोषित किया गया है। जबकि निजी अस्पतालों की लैब रिपोर्ट में इन्हीं रोगियों को एचआईवी निगेटिव बताया जा रहा है। इनमें पुरुष व महिला मरीज दोनों शामिल हैं।
जानकारी के अनुसार एसके अस्पताल में आने वाले जिन मरीजों को जांच में एचआईवी पॉजिटिव घोषित किया जा चुका है और जो जानलेवा बीमारी से लडऩे के लिए दवा ले रहे हैं। इनमें कुछ रोगी एेसे हैं, जिनको निजी अस्पताल की रिपोर्ट में निगेटिव बताया गया है। एेसे में मरीजों के सामने दुविधा की स्थिति है। एआरटी सेंटर के स्टाफ का मानना है कि मरीज को कोम्ब एड्स, एसटी बायो लाइन व ट्राइडोट टेस्ट से गुजरने के बाद सही रिपोर्ट आती है।
काउंसलिंग के बाद ही रोगी को रिपोर्ट सौंपी जाती है। इसलिए रिपोर्ट गलत साबित होना संभव ही नहीं है। इधर, एआरटी सेंटर के नोडल अधिकारी डॉक्टर देवेंद्र दाधीच का कहना है कि निजी अस्पतालों में केवल कार्ड टेस्ट की स्क्रीनिंग के जरिए मरीज को जांच रिपोर्ट सौंपी जाती है जो गलत है। इसके आधार पर मरीज को एचआईवी निगेटिव साबित करना सही नहीं है।
बर्दाश्त नहीं होगी लापरवाही
एचआईवी पीडि़तों के लिए काम कर रहे एसएनपी प्लस के प्रोजेक्टर डायरेक्टर महेंद्र शर्मा ने बताया कि रिपोर्ट गलत आने की सूचना उनके पास भी मरीजों से आई है। जांच में बरती जाने वाली लापरवाही में कार्रवाई के लिए कलक्टर को लिखा जाएगा।
...पैरों तले से खिसक गई थी जमीन
लक्ष्मणगढ़ के गोपाल (बदला हुआ नाम ) ने बताया कि एसके अस्पताल के एआरटी सेंटर पर जांच के दौरान उसे पॉजिटिव घोषित किए जाने के बाद से वह दवा ले रहा है। लेकिन, मई 2015 को निजी अस्पताल में एचआईवी की जांच कराने पर उसे रिपोर्ट निगेटिव दी गई तो पैरों तले से जमीन ही खिसक गई थी। तीन जनवरी 2016 को दोबारा जांच कराई तो उसमें भी उसे निगेटिव बताया गया। संदेह पर एआरटी सेंटर पहुंचकर जांच कराई तो फिर रिपोर्ट पॉजिटिव आई।
असहनीय सदमा पहुंचा
खंडेला के जाकिर (बदला हुआ नाम ) का कहना था कि उसने भी बाहर जांच कराई तो उसे निगेटिव बताया था। लेकिन, एआरटी सेंटर पर जांच के दौरान उसे पॉजिटिव बताया गया। बीमारी के कारण उसे सदमा पहुंचा। बाहर की जांच से भरोसा उठ गया है।
400 तक वसूली
सरकारी अस्पताल में एचआईवी जांच पूरी तरह निशुल्क व गोपनीय होती है। जबकि निजी लैब व अस्पताल में इसी जांच के 300 से 400 रुपए तक वसूले जाते हैं।
2200 तक पहुंची पीडि़तों की संख्या
एआरटी सेंटर के आंकडों के अनुसार जिले में करीब 2200 एड्स रोगी रजिस्टर्ड हैं। इनमें एक हजार पुरुष, 950 महिलाएं व 250 के करीब बच्चे शामिल हैं।
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