गुरुवार, 10 दिसंबर 2015

जालोर-सिरोही बाढ एवं सूखे से लड़ने वाले किसानो को पूरा मुआवजा दिया जाये:- पटेल



जालोर-सिरोही बाढ एवं सूखे से लड़ने वाले किसानो को पूरा मुआवजा दिया जाये:- पटेल

पुराने जल स्रोतो को पुनः प्रारम्भ किया जाये तथा वर्शात के पानी को सहेजा जायेः सांसद पटेल


नई दिल्ली, 12 दिसम्बर, 2015 गुरूवार।

जालोर-सिरोही सांसद देवजी पटेल ने 16वीं लोकसभा के छठें शीतकालीन सत्र में देश के विभिन्न भागों में सूखे की स्थिति के बारे में उठाई गई चर्चा 193 के दौरान क्षेत्र में अतिवृष्टि से उत्पन्न बाढ एवं अकाल से हुए नुकसान का मुआवजा दिलवाने एवं पुराने जल स्रोतो को पुनः प्रारम्भ करवाने तथा क्षैत्र में सालगांव परियोजना, माही बांध परियोजना, बŸाीसा नाला बांध परियोजना सहित वर्षात के पानी को सहेजने का मुद्दा उठाया।

सांसद देवजी पटेल ने देश के विभिन्न भागों में सूखे की स्थिति के बारे में उठाई गई चर्चा पर भाग लेते हुए कहा कि एक कहावत है कि बाढ़ में किसान जीता है, लेकिन सूखे में जीते जी मर जाता है. यह कहावत आज पुरे देश पर लागु हो रही है आज देश के अनेक हिस्से भयंकर सूखे के चपेट है। मेरे संसदीय क्षेत्र में जून जुलाई महिने में काफी बारिश हुई जिससे अनेक जगहो पर तबाही हुई, सडके टुट गयी केन्द्र और राज्य सरकार ने मुस्तैदी दिखाने से किसी व्यक्ति की जान की हानि नही हुई लेकिन सम्पतिओ का काफी नुकासान हुआ पुरा क्षेत्र जलमगन हो गया। किसानो की फसल बर्बाद हो गयी। माउट आबु मे हजारो पर्यटक फंस गए। लगातार भंयकर वर्षा होने से गांव के गांव एवं ढाणियां, खेत खलिहान, पशु एवं किसानों की सारी फसलें बाढ सें तबाह हो गई तथा खेत जलमगन हो गए। रास्ते जमीन के कटाव एवं पानी के भराव से कटे गए एवं गरीब लोगो के मकान ढह गए व पानी के तेज बहाव से खेत उल्ट फुल्ट हो गए तथा कई किसानो के दुधारू एवं पालतु पशु भी पानी में बह गए। किसानों की खड़ी फसल चैपट हो गई तथा लोगो के घरो में रखें किमती सामान पानी के साथ बह गए। साथ ही किसानों के कमाने का स्रौत (कुए, हेडपम्प, बोरिंग) भी ध्वस्त हो गए। कई लोग बेघर हो गए जो अभी भी खुले में बैठे है। अतिवृष्टि से उत्पन्न बाढ से गरीब किसानों के दाना, खाना, चारा जैसी तमाम चीजे पानी के साथ बह गई एवं खराब हो गई। क्षेत्र में 31 जुलाई, 2015 तक औसतन 796 एमएम बारिश दर्ज की गई। पूर्व में लगभग 70 वर्षो में इतनी भारी बारिश नहीं हुई थी।

सांसद पटेल ने कहा कि इस प्रकार के प्राकृतिक प्रकोप से उभरे ही नही कि क्षैत्र में उसके बाद दूसरी बारिश न होने के कारण पुरा क्षैत्र अकाल की चपेट मे आ गया। क्षैत्र में कही पर भी न तो पशुओं के लिए चारा (घास,फुस,बाजरा,गवार) ह,ै और न ही लोगों के खानें के लिए अनाज है। अतिवृष्टि से उत्पन्न बाढ़ के कारण हजारों हैक्टर वर्षाती फसल पूर्णतः नष्ट हो गयी एवं शेष फसले दूसरी बारिश के अभाव से सुख कर जल गई। पुरे संसदीय क्षैत्र भर में किसानों की बर्षा के अभाव में 65 प्रतिशत से अधिक फसले नष्ट हो गई हैं ,जुलाई के बाद एक दिन भी बारिश नही हुई जिससे अकाल की स्थिती बन गयी है जमीन की नमी कम हो गयी। बाजरे की फसल बारिश के अभाव में पुरी तरह से सुख गइ , यह कुदरत की विडम्बना है कि बारिश की मार से किसान अभी संभला भी नहीं था कि अब बढ़ी तपिश ने अन्नदाता के आंसू भी सुखा दिए हैं। उसके बाद तापमान में बढ़ी तपिश से जमीन की नमी गायब हो गई है। इसके चलते बाजरे में नुकसान उठाने के बाद अब किसान सरसों की फसल की भी बुवाई समय पर नहीं कर पाया है। क्षेत्र में बारिश कम होने व तापमान बढने से बाजरा भी कटने से पहले ही सूखने लगा था। इससे किसानों को नुकसान झेलना पड़ा था। बाजरे के बाद सरसों फसलों में पैदावार की आस लगाए बैठे किसानों के अरमानों पर बढ़े हुए तापमान व जमीन की गायब हुई नमी ने पानी फेर दिया है। बुवाई का समय निकलता जा रहा है था, लेकिन किसान एक बारिश का इंतजार करते रह गए जिससे बुवाई देरी से हुई जिसके कारण सरसों में पकने के समय तापमान बढने से नुकसान की आशंका भी बढने लगी हैं।

सांसद पटेल ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि आज पूरे विश्व इस मौसम के मार व मौसम के अनिश्चता से झुझ रहा हैं ग्लोबलवार्मिग का भारत सहित सारा विश्व परेशान है आज हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इसकी चिंता जता चुके है। सभी को मिलकर इससे बचने का तरिका निकालना होगा। आज जरूरत है समय की मांग है पूराने जल के स्रेातो को फिर से जिंदा किया जाए। पटेल ने कहा कि मेरा मानना है बरसात के पानी को नदियो में जाने से रोकना चाहिए और नदियो के पानी को समुद्र मे जाने से रोकना चाहिए। आज चारो तरफ कांकरिट का जंगल खडा हो रहा है जिससे भूमि का भूजल स्तर गिरता जा रहा है। भूजल स्तरको बढाने के लिए प्रत्येक गाॅव में तालाब का विकास किया जाना चाहिए। पहले हमारे संस्कृति मे बावडिया बनाने का रिवाज रहा है। गाॅवो मे बरसात के पानी को इसमे एकठा किया जाता था। आज हम इन बातो को भूल गये है। इसी का ही नतीजा है कि हमे मौसम के दौतरफा मार झेलनी पड रही है।

सालगांव डेम परियोजना शीघ्र शुरू की जाये:- सांसद देवजी पटेल
सांसद पटेल ने पूर जोर मांग करते हुए कहा कि आज संसदीय क्षेत्र सिरोही मे अनेक बावडिया है जिससे संरक्षण की आवश्कता है। वही राजस्थान का हिल स्टेशन माण्उट आबू पेयजल की गम्भिर समस्या का समाना कर रहा है। पेयजल के लिए यह जरूरी है कि पहाडो के पानी को वही पर रोका जाए। पर्वतीय पर्यटन स्थल माउट आबू की अहम पेयजल समस्या के एकमात्र निदान के लिए सालगांव परियोजना तीन दशक पूर्व आरंभ की गयी थी। तीन दशक बीतने के बाद यहां की आबादी एयरफोर्स आर्मी सी आर पी एफ होस्टल में अध्ययनरत स्कूली बच्चो के अतिरिक्त प्रतिवर्ष 22लाख से अधिक देश और विदेश से पर्यटक भी आते हैं। प्रतिवर्ष जिनमें लगभग दो लाख की संख्या की वृदि की अनुमान है। वर्तमान समय शहर की जलापूर्ति के लिए पीएचईडी के पास अपर कोदरा बांध व लोअर कोदरा बांध ही उपलब्ध हैं, जिनमें कुल मिलाकर लगभग 41 एमसीएफटी जलभंडारण क्षमता उपलब्ध हैं। जबकि वर्तमान में शहर की जलापुर्ति की आवश्यकता कम से कम 112 एमसीएफटी की है। यदि बारिश समय पर नहीं होती है तो जलसंकट गहरा हो जाता हैं। माउट आबू में भुमिगत पानी का भयंकर अभाव हैं। जिससे कुंए व हैण्डपंप आदि भी पानी की उपलब्धता नही ंके बराबर रह जाती हैं। जिससे पेयजल संकट और गहरा जाता हैं। ऐसी स्थिति मेें भविष्य में माउट आबू को खाली करने जैसी भयावह स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

बŸाीसा नाला बाध परियोजना निर्माण करवाया जाये सांसद पटेल
सांसद देवजी पटेल ने कहा कि सिरोही जिले की पेयजल के लिए ग्राम देलदर तहसील आबूरोड में बŸाीसा नाला बांध परियोजना प्रस्तावित है। परियोजना का प्रारम्भिक सर्वे कार्य किया गया जिसके तहत परियोजना हेतु 659.53 मि.घ.फु. पानी उपलब्ध है। जिसमे से 573.18 मि.घ.फु. पानी का उपयोग किया जा सकता है। सिरोही जिले मे 500 मि.घ फु0 पेयजल के लिए चाहिए। बांध के बन जाने हमारे सिरोही जिले के पेयजल व सिचाई की समस्या का समाधान हो जायेगा।

माही बाध परियोजना को मूर्त रूप दिया जायें सांसद देवजी पटेल
उन्हाने कहा कि संसदीय क्षेत्र मे माही नदी का पानी जालोर सिरोही के नागरिको को सुलभ कराने की महत्वकांक्षी योजना 25 साल से कागजो में दफन है ऐसे में आमजन के साथ ही भूमिपुत्रो की उम्मीदें भी टूटने लगी है। दरअसल वर्ष 1966 में राजस्थान व गुजरात सरकार में हुए समझौते के अनरूप माही परियोजना की कयावाद शुरू हुई। इसके बाद गुजरात सरकार ने राज्य को पानी की आवश्कता का हवाला देते हुए पानी देने से मना कर दिया। बाद में समझौता कमेटी के जरिए इस पर सहमति बनाने के प्रयास किए गए। वर्ष 1988 में आखिर बार इस पर मंथन किया गया । इसके बाद से यह परियोजना कागजो में दफन है।परियोजना के तहत बांसवाडा से सुरंग बनाकर जालोर सिरोही बाडमेर के अनेक गांवो को माही नदी से पानी दिया जा सकता है। परियोजना को माही क्रोसिग पर अनास पिकवियर व चैनल के जरिए डंूगपुर जिले के टिमरूआ गांव के पास माही नदी से शुरू कर जालोर के बागोडा उपखंड अंतर्गत बिशाला गांव तक प्रस्तावित किया जा सकता है। योजना से समांतर 5.94 लाख एवं 7.11 लाख एकड भुमि को लिफ्ट से सिचिंत किया जाना प्रस्तावित था। माही बजाज परियोजना की खोसला कमेटी एवं राजस्थान-गुजरात समझौते के अनुसार पानी की मात्रा 40 टीएमसी है। निष्पादित अनुबंध के अनुसार गुजरात राज्य से राजस्थान में उपयोग के लिए सहमति प्राप्त करने एवं इस जल उपयोग के माही बेसिन मास्टर प्लान का कार्य राज्य सरकार स्तर पर नेशनल वाटर डवलपमेंट एजेंसी नई दिल्ली को आवंटित किया हुआ है।जालोर सिरोही जिला में कम वर्षा के चलते एवं गिरते भू-जल स्तर से पूरा जिला डार्क जोन घोषित किया जा चुका है। गिरते भू-जल स्तर के स्थाई समाधन व जिले को हरा भरा बनाने के लिए माही बांध की वर्षो पुरानी प्रस्तावित योजना का मूर्त रूप देने की आवश्यकता है।

सांसद पटेल ने कहा कि सिरोही क्षेत्र में अनेक पहाडी और प्राकृतिक नाले है इन सबका संरक्षण करने की आवश्यकता है। पहाडो के नीचे व ढलान पर चैक डैम का निर्माण कर बरसात का पानी व्यर्थ बहने से रोका जा सकता है, जिससे भूजल के स्तर को उपर ला सकते है।इस उपयो से हम मौसम के दोहरे मार से बच सकते है।

सांसद पटेल ने लोकसभा अध्यक्ष से मांग करते हुए कहा कि आपके माध्यम से सिरोही जिले के पेयजल व सिचाई के लिए 200 करोड रूपये के अतिरिक्त विशेष पैकेज तथा सूखे से लडने के किसानो को पुरी फसल का मुआवजा दिया जाए।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें