संसद में गूंजा रिफाइनरी का मुद्दा सांसद देवजी पटेल ने भवातड़ा में रिफाइनरी लगाने की रखी मांग
नई दिल्ली, 1 दिसम्बर, 2015 मंगलवार।
जालोर-सिरोही सांसद देवजी पटेल ने मंगलवार को 16वीं लोकसभा के छठें शीतकालीन सत्र में नियम 377 के दौरान भवातड़ा में रिफाईनरी लगाने का मुद्दा उठाया।
सांसद पटेल ने सदन में केन्द्र सरकार से भवातड़ा में रिफाइनरी लगाने की मांग रखते हुए बताया कि संसदीय क्षेत्र जालोर सिरोही में रणखार से जुड़ते गांव भवातड़ा गुजरात बोर्डर से करीब 10 किलोमीटर दूर हैं। जहां हजारों बीघा से अधिक सिवाय चक सरकारी जमीन उपलब्ध है, जो खेती योग्य नहीं है। जिससे सरकार को जमीन अवाप्ति केे लिए अतिरिक्त पैसा भी खर्च करना नहीं पडेगा। साथ ही भौगोलिक दृष्टि से जालोर, जोधपुर, पाली, बनासाकाठा जिला अर्थात् दोनों राज्य राजस्थान और गुजरात से जुडा हुआ है।
सांसद देवजी पटेल ने बताया कि जालोर जिला में ड्राईपोर्ट बनाने के दौरान गुजरात के समुद्र से भवातड़ा तक काल्पनिक नहर निर्माण के दौरान पानी लाया जाएगा। वहीं सांचैर के सीलू गांव में नर्मदा नहर का पानी उपलब्ध होने से भरपूर मात्रा में पानी की उपलब्धता रहेगी। सीलू हेड से भवतड़ा की दूरी मात्र 30 किमी होने से नर्मदा नहर के पानी का उपयोग भी आसानी से किया जा सकता हैं। सांचैर से होकर गुजरात के लिए जाने वाला नेशनल हाईवे होने से सडक की सुविधा उपलब्ध होगी।
सांसद पटेल ने कहा कि भविष्य में रिफाइरनी के बाद बाय प्रोडेक्ट इंडस्ट्रीज की संभावना बनती है तो ट्रांसपोर्टेशन को लेकर समस्या नहीं आएगी। क्योंकि जालोर एवं सिरोही जिले के रिको में कई हैक्टेयर जमीन उपलब्ध हैं तथा इसके विस्तार के लिए भी जमीन अवाप्त की जा सकती हैं।
सांसद पटेल ने बताया कि जालोर स्थित चितलवाना के काछेला गांव में ग्रीन पाॅवर प्लांट से बिजली उत्पादित करने के साथ रिफाइनरी के लिए सीधी बिजली ली जा सकती है। इसके बाद झाब में केयर्न कम्पनी की ओर से तेल कुओं का कार्य चल रहा है, जहाॅ प्रारंभिक तौर पर इस क्षेत्र मे गैस व तेल भंडार होने के संकेत मिले हैं। यहाॅ पर गैस आधारित पावर प्लांट लगा कर बिजली की मांग पूरी की जा सकती हैं।
सांसद पटेल ने कहा कि यदि भवातड़ा में रिफाइनरी लगती है तो जालोर, बाडमेर, सिरोही, उदयपुर, पाली सहित पश्चिमी राजस्थान एवं गुजरात प्रदेश के बनासकांठा जिला क्षेत्र के लोगों को रोजगार मिलेंगा एवं रोजगार के लिए युवाआंे का पलायन भी कम होगा। उक्त क्षेत्र में बरसात के भरोसे खेती की जाती है, ऐसे में मेनपाॅवर की समस्या भी नहीं रहेगी।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें