सोमवार, 2 नवंबर 2015

राजस्थान पुलिस बेड़े में बड़ा बदलाव, एसीबी डीजी और आईजी का ट्रांसफर, डीजी होमगार्ड को भी हटाया

जयपुर राजस्थान पुलिस बेड़े में बड़ा बदलाव, एसीबी डीजी और आईजी का ट्रांसफर, डीजी होमगार्ड को भी हटाया 

राजस्थान सरकार ने पुलिस बेड़े में अप्रत्याशित और चौंकाने वाला बड़ा फेरबदल किया है। सरकार ने एक आदेश जारी कर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के महानिदेशक नवदीप सिंह का तबादला कर दिया है। नवदीप सिंह को तत्काल प्रभाव एसीबी से हटाकर डीजी होमगार्ड के पद पर लगाया है।
इसी तरह से ब्यूरो में महानिरीक्षक पद संभाल रहे हवा सिंह घुमारिया को भी एसीबी से हटाकर महानिरीक्षक विशेष अपराध एवं आर्थिक अपराध शाखा सीबी-सीआईडी के पद पर लगाया है।
एडीजी भूपेंद्र सिंह दक को फिलहाल के लिए एसीबी डीजी का अतिरिक्त चार्ज सौंपा गया है।
सरकार ने तीसरा और महत्वपूर्ण बदलाव करते हुए महानिदेशक गृह रक्षा जसवंत सम्पतराम का तबादला कर उन्हें अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक राजसीको लगाया गया है।
कार्मिक विभाग ने तबादला आदेश जारी कर इन सभी अधिकारियों को तुरंत प्रभाव से अपने विभाग छोड़कर नए पद पर कार्य ग्रहण करने के आदेश दिए हैं।
 इसलिए हटाया डीजी एसीबी नवदीप सिंह को
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक़ केंद्रीय गृह मंत्रालय को एसीबी डीजी नवदीप सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतें मिली थी। जिसके बाद इस बदलाव को हरी झंडी दी गई है।
बताया जा रहा है कि शिकायतों की जांच करने के संबंध में गृह मंत्रालय के डिप्टी सेक्रेट्री (पुलिस) जीसी यादव ने राज्य के मुख्य सचिव को एक पत्र भेजा है।
पत्र में मंत्रालय को मिली शिकायत पर उचित कार्रवाई कर इसकी जानकारी न केवल शिकायतकर्ता को देने बल्कि मंत्रालय को भी भिजवाने के निर्देश दिए गए हैं।
गृह मंत्रालय ने चिट्ठी के साथ श्रीगंगानगर जिले के भाजपा भ्रष्टाचार विरोधी मंच के शमशेर की उस शिकायत को भेजा है जो गृह मंत्री राजनाथ सिंह को भेजी गई थी। शिकायत में शमशेर ने पार्टी एवं मुख्यमंत्री की छवि में लगातार आ रही गिरावट को रोकने के लिए नवदीप सिंह एसीबी के डीजी पद से हटाने की मांग की गई थी।
शिकायतकर्ता ने लिखा है कि अजमेर नगर सुधार न्यास के पूर्व चेयरमैन नरेश साहनी के रिश्वत प्रकरण में एफआर सहित आधा दर्जन मामलों में नवदीप सिंह की भूमिका पर सवाल उठाए हैं।
इसमें बताया गया है कि किस तरह से भ्रष्टाचारियों से सांठगांठ करके उन्हें रियायत देने की कोशिश हो रही है। शिकायतकर्ता ने एसीबी के खिलाफ हाईकोर्ट की ओर से समय-समय पर की गई टिप्पणियों का भी हवाला दिया गया है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें