इस जांबाज बेटी ने पिता को लीवर देकर बचाई जान, बनीं अंगदान कार्यक्रम की ब्रांड एम्बेसडर
जयपुर। माता-पिता की इकलौती बेटी है सिमरन। लाड़ली भी। उसे अपना लाड़ छिनने का डर लगने लगा था। वह खुद कोई भी कष्ट झेल सकती थी, पिता का कष्ट देखना उसके लिए सबसे ज्यादा दुखदायी होता था। पर, पिता को कुछ ऐसे ही कष्ट ने घेर लिया था। सिमरन के सामने परीक्षा की घड़ी थी। एक ही रास्ता था। अपना कुछ खोकर पिता की जान बचा ले। उसने पलक झपकते ही फैसला किया। शरीर के एक हिस्से को त्यागने से भी वह जिंदा तो रह ही सकती है, फिर पिता की जान क्यों न बचा ले। वही किया।
लीवर सिरोसिस से पीढि़त पिता की जान बचाने के लिए वह अपना लीवर डोनेट करने को तैयार थी। डॉक्टर्स ने कहा कि तुम छोटी हो। 18 वर्ष से कम उम्र में हम लीवर नहीं ले सकते हैं। जांबाज बेटी ने 18 वर्ष तक इंतजार किया। और वही हुआ, जिसने उसे सबसे बड़ी खुशी दी। लीवर डोनेट किया और पिता की जान बचाई।
सिरसी रोड पर रोजवुड अपार्टमेंट में रहने वाली सिमरन बताती हैं कि पिता राकेश शर्मा और मां शेफाली शर्मा कांवटिया हॉस्पिटल में डॉक्टर हैं। सिमरन उनकी इकलौती संतान है, उन्होंने एक बेटे की तरह पाला है। वर्ष 2008 में पिता को लीवर सिरोसिस हो गया। उनकी हालत कभी काफी बिगड़ जाती तो कभी स्थिर रहती। गत वर्ष उनकी तबियत ज्यादा खराब हो गई तब उन्हें दिल्ली इलाज के लिए जे जाया गया। वहां डॉक्टर्स ने लीवर ट्रांसप्लांट करने की बात कही। डॉक्टरों का कहना था कि यह जल्दी नहीं किया गया तो इन्हें बचाना मुश्किल हो जाएगा।
सिमरन को लीवर देने से मना कर दिया
सिमरन की मां को भी कैंसर है। ऐसे में वह अपना लीवर डोनेट नहीं कर सकती थीं। ऐसे में महज 17 साल की सिमरन ने जब पिता की जान बचाने के लिए लीवर डोनेट करने को कहा तब डॉक्टर्स ने उन्हें मना कर दिया। उन्होंने कहा कि 18 साल से कम उम्र में वे लीवर डोनेट नहीं कर सकती हैं। ऐसे में सिमरन ने इंतजार किया। सिमरन की उम्र जून 2014 में 18 साल हो रही थी। ऐसे में उन्होंने जून तक इंतजार किया।
ले गए चेन्नई
सिमरन ने बताया कि वो निराश थीं। उनके पिता की तबीयत लगातार बिगड़ती जा रही थी। ऐसे में उन्हें चेन्नई के एक डॉक्टर मोहम्मद रैला का नाम पता चला। ये लीवर ट्रांसप्लांट के लिए मशहूर थे। सिमरन अपने मामा के साथ चेन्नई पहुंची।
डॉक्टर्स ने कहा ये तो रिस्की है
वहां पहुंचने पर डॉक्टर ने कहा कि यह बेहद रिस्की है। खैर उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा ट्रांसप्लांट उन्होंने किया है और वह सफल भी रहा है। यह सुनकर सिमरन की जान में जान आई। आखिरकार सितंबर 2014 में लीवर ट्रांसप्लांट के लिए करीब 13 घंटे सर्जरी चली।
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