शनिवार, 10 अक्तूबर 2015

रिश्वत प्रकरण : जीआरपी थानाधिकारी व एसआई को 4-4 साल कठोर कैद

रिश्वत प्रकरण : जीआरपी थानाधिकारी व एसआई को 4-4 साल कठोर कैद


कोटा. तस्करी के झूठे केस में फंसाने की धमकी देकर एक व्यक्ति से 25 हजार रुपए रिश्वत मांगने और रिश्वत के लिए षड्यंत्र रचने के मामले में अदालत ने शुक्रवार को जीआरपी के तत्कालीन थानाधिकारी व उप निरीक्षक को 4-4 साल कठोर कैद की सजा से दंडित किया है।
बारां जिले के झारखंड गांव निवासी परिवादी मोहनलाल मीणा ने 26 मार्च 2001 को एसीबी कोटा में शिकायत दी थी। इसमें कहा था कि जीआरपी कोटा के थानाधिकारी दशरथलाल मीणा और उप निरीक्षक नूर मोहम्मद उसे 21 मार्च को थाने लेकर आए थे।
यहां उन्होंने उससे कहा कि तस्कर रामसिंह के साथी ने बताया है कि तुमने ही उसे अफीम बेची थी। उसे तस्करी के झूठे केस में फंसाने की धमकी देकर उससे 25 हजार रुपए रिश्वत मांगी। वह घबरा गया और उसने 19 हजार रुपए उसी समय दे दिए।
बाद में राशि कम करने को कहा तो वे 22 हजार में माने। वह शेष 3 हजार रुपए के लिए दबाव बनाने लगे, जबकि वह बाकी रकम नहीं देना चाहता था। शिकायत की पुष्टि होने पर एसीबी टीम ने 31 मार्च को नूर मोहम्मद को तीन हजार रुपए रिश्वत लेते गिरफ्तार कर लिया।
पूछताछ में नूर मोहम्मद ने रिश्वत की मांग थानाधिकारी दशरथ लाल के कहने पर करना बताया। इस आधार पर एसीबी ने दशरथ के खिलाफ भी मामला दर्ज कर उसे भी गिरफ्तार किया था।
करीब 14 साल चली सुनवाई के बाद भ्रष्टाचार निवारण न्यायालय के न्यायाधीश राघवेन्द्र काछवाल ने अपने 48 पेज के फैसले में नूर मोहम्मद को रिश्वत लेने व षड्यंत्र में शामिल होने पर 4-4 साल कठोर कैद, दस-दस हजार रुपए जुर्माने व रिश्वत मांगने के आरोप में 3 साल कैद व 5 हजार रुपए जुर्माने से और दशरथ लाल को रिश्वत के लिए षड्यंत्र रचने का दोषी मानते हुए 4 साल कठोर कैद व दस हजार रुपए जुर्माने से दंडित किया है।

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