मुंबई।
शीना मर्डर केस: पुलिस इंस्पेक्टर का दावा, FIR दर्ज करने से एसपी ने किया था मना
हाईप्रोफाइल शीना बोरा मर्डर केस में नया खुलासा हुआ है। 2012 में मामले की जांच कर रहे पुलिस अधिकारी ने बताया कि उसके सीनियर अफसर ने उसे मामला दर्ज करने से रोका था। तीन साल जब शीना का डेड बॉडी पुलिस को रायगढ़ के जंगल से मिली थी, तो उस समय मामले की जांच पुलिस इंस्पेक्टर सुभाष मिरगे के पास थी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पुलिस इंस्पेक्टर सुभाष मिरगे ने दावा किया है कि तत्कालीन रायगढ़ एसपी आर. डी. शिंदे ने उन्हें केस न दर्ज करने के आदेश दिए थे। पुलिस अधिकारी के इस बयान के बाद एक बार फिर से यह सवाल खड़ा होने लगा है कि कहीं शीना बोरा के मर्डर के मामले को दबाने की कोशिश तो नहीं की गई थी?
कैसे रची गई थी शीना के मर्डर की साजिश?
शीना बोरा का शव रायगढ़ के जंगल से 24 अप्रैल 2012 को मिला था। शीना की मां इंद्राणी, उसके पूर्व पति संजीव खन्ना और ड्राइवर ने कार में उसकी (शीना) की हत्या करके लाश को रायगढ़ के जंगल में ठिकाने लगाने का फैसला किया गया। शव के टुकड़े करके उसको आग लगाने की कोशिश की गई।
मामले में रायगढ़ पुलिस के खिलाफ जांच के आदेश
महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक संजीव दयाल ने हाई प्रोफाइल शीना बोरा हत्याकांड में लापरवाही बरतने के आरोप में रायगढ़ पुलिस के खिलाफ जांच का आदेश दिए थे। शीना बोरा का शव रायगढ़ के जंगल से 24 अप्रैल 2012 को मिला था।
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