डिंगळ कवियो ने बहायीं राजस्थानी डिंगळ काव्य की रस धाराएं
देर रात तक जमी काव्य संध्या, ख्यातनाम कवियों ने पेष की राजस्थानी कविताएं
जैसलमेर, 13 सितंबर। काव्य कलरव, डिंगळरी डंकार एवं थार थळी वाट्सअप ग्रुप के तत्वावधान में शनिवार को मरू सांस्कृतिक केन्द्र जैसलमेर में भव्य काव्य संध्या का आयोजन किया गया जिसमे डिंगळ एवं हिन्दी के ख्यातनाम लोक कवियों ने डिंगळ काव्य पाठ की कविताएं पेष कर पूरे माहौल को राजस्थानी साहित्य से सरोबार सा कर दिया। एक से बढकर एक प्रस्तुत किए गए डिंगळ कविताओं एवं वीर रस कविताओं ने रसीको को आनन्दित सा कर दिया।
मरू सांस्कृतिक केन्द्र में उपखंड अधिकारी पोकरण एवं कवि श्रवणसिंह राजावत के मुख्य आतिथ्य में आयोजित हुए इस रसिक काव्य पाठ की अध्यक्षता वरिष्ठ इतिहासकार नंदकिषोर शर्मा ने की एवं संस्था के मुख्य संरक्षक भूवदेवसिंह आढा, समाजसेवी महेन्द्र व्यास, ख्यातनाम कवि एवं पुलिस उपअधीक्षक मोहनदान रतनू, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक चंदनदान चारण, डाॅ. गजादान चारण विषिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
इस काव्य संध्या की शुरूआत जालेन्द्रसिंह सिंहढायच ने मां सरस्वती की इतनी सुंदर प्रस्तुति दी कि मानो साक्षत देवी प्रसन्नचित हो गई हो। उपखंड अधिकारी राजावत ने अपनी स्वरचित डिंगळ कविताओं को पेष किया वहीं हास्य कवि मोहनदान रतनू ने अपनी स्वरचित नाचना की संस्कृति की विरासत से ओत-प्रोत डिंगळ गीत ‘‘ये नाचना तो नाचना है, नाचना बिन नाच ना है तथा यातायात पुलिस नियमो के पालन की सीख के संबंध में कविता पेष कर सभी दर्षको की वाह वाहीं लूटी।
देर रात तक चली इस काव्य रसधारा में डाॅ. गजादान चारण डीडवाणा ने जहां अपनी ओजस्व वाणी एवं बीच-बीच में डिंगळ तुक बंदियो के साथ संचालन ही प्रस्तुत नहीं किया बल्कि मां अंबाजी के अंबा अष्टक एवं बचाराराय का नारद चंद पेष किया। ‘‘ क्यो परिनंद करें पगला अराळा पलको न जवै पतिहारौ, क्यो डीलगात रखे दिनरात ये धर हाथ सुभात विचारौ एक ही राज रखावण लाज कहै गजराज न और अधारौ वारहिवार उचार अलौकित अम्ब सु नाम उभारण वारौ ’’ गीत की सुंदर प्रस्तुति की। वरिष्ठ इतिहासकार नंदकिषोर शर्मा ने कहा कि चारण साहित्य व संस्कृति की मूल देन डिंगळ व पिंगळ साहित्य एवं संरचनाएं है, उनको आज के परिपेक्ष में संजोए रखने के लिए इस प्रकार के डिंगळ काव्य गोष्ठियों की महती आवष्यकता है ताकि युवा वर्ग भी इन डिंगळ पिंगळ काव्य रचनाओं के प्रति रसिक हो। उन्होंने भारत-पाक युद्व के वृतांत से ओत-प्रोत स्वरचित गीत भी प्रस्तुत किया।
कवि सम्मेलन में राजस्थानी क ेमूर्धन्य कवि गिरधारीदान रतनू दासोडी ने ‘‘हीणप नीं ल्याता जीवण में, मन में हद रखता मजबूती सिर कटियां भी लारै नी सिरकै, उणनै हिज कहता रजपूती’’ डिंगळ गीत प्रस्तुत कर रजपूती के इतिहास का स्व चित्रण प्रस्तुत किया। पुलिस निरीक्षक एवं आसू कवि प्रेमदान रतनू ने ‘‘ मोबाईल की घंटी, घंटी गले की बन गई फांस’’ हास्य कविता पेष कर रसिको को हंसी से खिला दिया। माडवा के डिंगळ कवि भंवरदान बिठू मधुकर ने ‘‘ श्री करणी ऐसो समो, हमो सीस दो हाथ, गळै रोग हमरो गयो, नमो अनाथां नाथ ’’ मां करणी द्वारा उनके कैंसर की गांठ के रोग के कष्ट को मेटने पर इस काव्य गीत की रचना की प्रस्तुति दी।
काव्य संध्या में गुजरात से आए कवि नरपतदान आसिया वैतालिक ने आवडजी के दोहे, त्रिकुटबंध गीत पेष किया वहीं ‘‘ आओ म्हारै देष बालम जी ने जाए केजो, आओ म्हारै देष ओळू गीत प्रस्तुत कर पूरे माहौल को प्रेमरस से भर दिया। राजस्थानी साहित्य अकादमी बीकानेर के पूर्व सचिव पृथ्वीराज रतनू ने इण डिंगळ कवि सम्मेलन री सराहना की एवं कहा कि इससे युवा कवियो को डिंगळ काव्य के प्रति प्रेरणा मिलेगी। उन्होंने इस ग्रुप के सराहनीय प्रयास के लिए मोहनदान रतनू को बधाई दी।
काव्य संध्या के अवसर पर समाजसेवी महेन्द्र व्यास ने कहा कि चारणों एवं ब्राहम्णों ने राजस्थानी एवं हिंदी साहित्य में जो योगदान दिया है वह वास्तव में अनुकरणीय है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के काव्य गोष्ठी को वृहत स्तर पर कराने की जरूरत है ताकि हम हमारी प्राचीन काव्य रचनाओं को संरक्षित रख सकें। छायण के युवा कवि महेन्द्र सिंह ने ढाणी में खुषहाली से ओत-प्रोत राजस्थानी कविता पेष की वहीं षिव से आए युवा कवित निधिराज सिंह सांधू ने आज के नेताओं पर व्यंग्य कस कविता, मीठे खां मीर ने महाराणी भटियाणी के परचों से ओत-प्रोत गीत पेष किया। स्थानीय कवि कन्हैयालाल सेवक ने हिन्दुस्तान वतन में जन्म लेने एवं कवि तेज द्वारा रचित काव्य पाठ की डिंगळ में शानदार प्रस्तुति दी।
काव्य संध्या में जोधपुर से आए राजस्थानी कवि नवलकिषोर जोषी ने डिंगळ एवं राजस्थानी कविताएं पेष की वहीं हनुमानगढ से आए मनोज देपावत, सांगड के उगमदान बीठू, चेलू चारण, जे.के. चारण, ओम अंकुर, अभिमन्यु सिंह उज्जवल ने भी अपनी काव्य रचनाएं पेष की। प्रारंभ में सहायक निदेषक हिम्मतसिंह कविया, जिला रोजगार अधिकारी भवानीप्रताप चारण, जयदेव उज्जवल, ईष्वरदान कविया ने विभिन्न स्थानों से आए विद्वान कवियों का हार्दिक स्वागत किया। अंत में संस्था के संरक्षक भुवदेव आढा ने सभी का आभार जताया।
देर रात तक जमी काव्य संध्या, ख्यातनाम कवियों ने पेष की राजस्थानी कविताएं
जैसलमेर, 13 सितंबर। काव्य कलरव, डिंगळरी डंकार एवं थार थळी वाट्सअप ग्रुप के तत्वावधान में शनिवार को मरू सांस्कृतिक केन्द्र जैसलमेर में भव्य काव्य संध्या का आयोजन किया गया जिसमे डिंगळ एवं हिन्दी के ख्यातनाम लोक कवियों ने डिंगळ काव्य पाठ की कविताएं पेष कर पूरे माहौल को राजस्थानी साहित्य से सरोबार सा कर दिया। एक से बढकर एक प्रस्तुत किए गए डिंगळ कविताओं एवं वीर रस कविताओं ने रसीको को आनन्दित सा कर दिया।
मरू सांस्कृतिक केन्द्र में उपखंड अधिकारी पोकरण एवं कवि श्रवणसिंह राजावत के मुख्य आतिथ्य में आयोजित हुए इस रसिक काव्य पाठ की अध्यक्षता वरिष्ठ इतिहासकार नंदकिषोर शर्मा ने की एवं संस्था के मुख्य संरक्षक भूवदेवसिंह आढा, समाजसेवी महेन्द्र व्यास, ख्यातनाम कवि एवं पुलिस उपअधीक्षक मोहनदान रतनू, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक चंदनदान चारण, डाॅ. गजादान चारण विषिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
इस काव्य संध्या की शुरूआत जालेन्द्रसिंह सिंहढायच ने मां सरस्वती की इतनी सुंदर प्रस्तुति दी कि मानो साक्षत देवी प्रसन्नचित हो गई हो। उपखंड अधिकारी राजावत ने अपनी स्वरचित डिंगळ कविताओं को पेष किया वहीं हास्य कवि मोहनदान रतनू ने अपनी स्वरचित नाचना की संस्कृति की विरासत से ओत-प्रोत डिंगळ गीत ‘‘ये नाचना तो नाचना है, नाचना बिन नाच ना है तथा यातायात पुलिस नियमो के पालन की सीख के संबंध में कविता पेष कर सभी दर्षको की वाह वाहीं लूटी।
देर रात तक चली इस काव्य रसधारा में डाॅ. गजादान चारण डीडवाणा ने जहां अपनी ओजस्व वाणी एवं बीच-बीच में डिंगळ तुक बंदियो के साथ संचालन ही प्रस्तुत नहीं किया बल्कि मां अंबाजी के अंबा अष्टक एवं बचाराराय का नारद चंद पेष किया। ‘‘ क्यो परिनंद करें पगला अराळा पलको न जवै पतिहारौ, क्यो डीलगात रखे दिनरात ये धर हाथ सुभात विचारौ एक ही राज रखावण लाज कहै गजराज न और अधारौ वारहिवार उचार अलौकित अम्ब सु नाम उभारण वारौ ’’ गीत की सुंदर प्रस्तुति की। वरिष्ठ इतिहासकार नंदकिषोर शर्मा ने कहा कि चारण साहित्य व संस्कृति की मूल देन डिंगळ व पिंगळ साहित्य एवं संरचनाएं है, उनको आज के परिपेक्ष में संजोए रखने के लिए इस प्रकार के डिंगळ काव्य गोष्ठियों की महती आवष्यकता है ताकि युवा वर्ग भी इन डिंगळ पिंगळ काव्य रचनाओं के प्रति रसिक हो। उन्होंने भारत-पाक युद्व के वृतांत से ओत-प्रोत स्वरचित गीत भी प्रस्तुत किया।
कवि सम्मेलन में राजस्थानी क ेमूर्धन्य कवि गिरधारीदान रतनू दासोडी ने ‘‘हीणप नीं ल्याता जीवण में, मन में हद रखता मजबूती सिर कटियां भी लारै नी सिरकै, उणनै हिज कहता रजपूती’’ डिंगळ गीत प्रस्तुत कर रजपूती के इतिहास का स्व चित्रण प्रस्तुत किया। पुलिस निरीक्षक एवं आसू कवि प्रेमदान रतनू ने ‘‘ मोबाईल की घंटी, घंटी गले की बन गई फांस’’ हास्य कविता पेष कर रसिको को हंसी से खिला दिया। माडवा के डिंगळ कवि भंवरदान बिठू मधुकर ने ‘‘ श्री करणी ऐसो समो, हमो सीस दो हाथ, गळै रोग हमरो गयो, नमो अनाथां नाथ ’’ मां करणी द्वारा उनके कैंसर की गांठ के रोग के कष्ट को मेटने पर इस काव्य गीत की रचना की प्रस्तुति दी।
काव्य संध्या में गुजरात से आए कवि नरपतदान आसिया वैतालिक ने आवडजी के दोहे, त्रिकुटबंध गीत पेष किया वहीं ‘‘ आओ म्हारै देष बालम जी ने जाए केजो, आओ म्हारै देष ओळू गीत प्रस्तुत कर पूरे माहौल को प्रेमरस से भर दिया। राजस्थानी साहित्य अकादमी बीकानेर के पूर्व सचिव पृथ्वीराज रतनू ने इण डिंगळ कवि सम्मेलन री सराहना की एवं कहा कि इससे युवा कवियो को डिंगळ काव्य के प्रति प्रेरणा मिलेगी। उन्होंने इस ग्रुप के सराहनीय प्रयास के लिए मोहनदान रतनू को बधाई दी।
काव्य संध्या के अवसर पर समाजसेवी महेन्द्र व्यास ने कहा कि चारणों एवं ब्राहम्णों ने राजस्थानी एवं हिंदी साहित्य में जो योगदान दिया है वह वास्तव में अनुकरणीय है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के काव्य गोष्ठी को वृहत स्तर पर कराने की जरूरत है ताकि हम हमारी प्राचीन काव्य रचनाओं को संरक्षित रख सकें। छायण के युवा कवि महेन्द्र सिंह ने ढाणी में खुषहाली से ओत-प्रोत राजस्थानी कविता पेष की वहीं षिव से आए युवा कवित निधिराज सिंह सांधू ने आज के नेताओं पर व्यंग्य कस कविता, मीठे खां मीर ने महाराणी भटियाणी के परचों से ओत-प्रोत गीत पेष किया। स्थानीय कवि कन्हैयालाल सेवक ने हिन्दुस्तान वतन में जन्म लेने एवं कवि तेज द्वारा रचित काव्य पाठ की डिंगळ में शानदार प्रस्तुति दी।
काव्य संध्या में जोधपुर से आए राजस्थानी कवि नवलकिषोर जोषी ने डिंगळ एवं राजस्थानी कविताएं पेष की वहीं हनुमानगढ से आए मनोज देपावत, सांगड के उगमदान बीठू, चेलू चारण, जे.के. चारण, ओम अंकुर, अभिमन्यु सिंह उज्जवल ने भी अपनी काव्य रचनाएं पेष की। प्रारंभ में सहायक निदेषक हिम्मतसिंह कविया, जिला रोजगार अधिकारी भवानीप्रताप चारण, जयदेव उज्जवल, ईष्वरदान कविया ने विभिन्न स्थानों से आए विद्वान कवियों का हार्दिक स्वागत किया। अंत में संस्था के संरक्षक भुवदेव आढा ने सभी का आभार जताया।
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