जयपुर। अब आठवीं तक छात्रो को किया जा सकेगा फेल,विधानसभा ने पारित किया विधेयक
अब प्रदेश के कक्षा एक से आठवीं तक के छात्रों को सम्बन्धित कक्षा का स्तर प्राप्त नही करने की स्थिति में अगली कक्षा में जाने से रोका जा सकेगा। इस सम्बन्ध में राजस्थान विधानसभा ने गुरुवार को नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार (राजस्थान संशोधन) विधेयक, 2015 को ध्वनिमत से पारित कर दिया।
इससे पहले शिक्षा राज्य मंत्री वासुदेव देवनानी ने सदन में विधेयक को पारित करने का प्रस्ताव रखा।विधेयक पर हुई बहस के बाद शिक्षा राज्य मंत्री ने विधेयक के कारणों आैर उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार की प्रतिबद्घता दर्शाई थी। प्रदेश के लिए यह गर्व का विषय है कि राजस्थान देश का ऐसा पहला राज्य है, जिसने इस संबंध में संशोधन प्रस्तुत किए हैं।देवनानी ने कहा कि विधेयक में धारा 8 में संशोधन के तहत छह वर्ष से चौदह वर्ष तक की आयु के प्रत्येक बालक का कक्षा में 'लर्निंग लेवल देखा जाएगा। इसके लिए कक्षा एक से आठ तक अध्यापक उनका मूल्यांकन करेंगे और कमजोर विद्यार्थियों के लिए अतिरिक्त कक्षाएं लगाकर उन्हें समकक्ष लाने का प्रयास करेंगे।
शिक्षा राज्य मंत्री ने कहा कि राजस्थान सरकार गरीब बच्चों के शिक्षा के सपने को साकार कर रही है वर्तमान में 99 हजार 727 बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा प्रदान की जा रही है।
अब प्रदेश के कक्षा एक से आठवीं तक के छात्रों को सम्बन्धित कक्षा का स्तर प्राप्त नही करने की स्थिति में अगली कक्षा में जाने से रोका जा सकेगा। इस सम्बन्ध में राजस्थान विधानसभा ने गुरुवार को नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार (राजस्थान संशोधन) विधेयक, 2015 को ध्वनिमत से पारित कर दिया।
इससे पहले शिक्षा राज्य मंत्री वासुदेव देवनानी ने सदन में विधेयक को पारित करने का प्रस्ताव रखा।विधेयक पर हुई बहस के बाद शिक्षा राज्य मंत्री ने विधेयक के कारणों आैर उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार की प्रतिबद्घता दर्शाई थी। प्रदेश के लिए यह गर्व का विषय है कि राजस्थान देश का ऐसा पहला राज्य है, जिसने इस संबंध में संशोधन प्रस्तुत किए हैं।देवनानी ने कहा कि विधेयक में धारा 8 में संशोधन के तहत छह वर्ष से चौदह वर्ष तक की आयु के प्रत्येक बालक का कक्षा में 'लर्निंग लेवल देखा जाएगा। इसके लिए कक्षा एक से आठ तक अध्यापक उनका मूल्यांकन करेंगे और कमजोर विद्यार्थियों के लिए अतिरिक्त कक्षाएं लगाकर उन्हें समकक्ष लाने का प्रयास करेंगे।
शिक्षा राज्य मंत्री ने कहा कि राजस्थान सरकार गरीब बच्चों के शिक्षा के सपने को साकार कर रही है वर्तमान में 99 हजार 727 बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा प्रदान की जा रही है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें