भारत के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में एक - श्री सिद्धिविनायक मंदिर
भारत के महाराष्ट्र प्रदेश की राजधानी मुंबई न केवल देश की व्यावसायिक राजधानी मानी जाती है, बल्कि यह धर्म और परंपराओं की दृष्टि से भी प्रसिद्ध स्थान है। इसी कड़ी में यहां स्थित है हिन्दू धर्म के प्रथम पूज्य देवता भगवान गणेश के भारत के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में एक - श्री सिद्धिविनायक मंदिर। इस मंदिर से देशभर के धर्मावलंबियों की आस्था और श्रद्धा जुड़ी है। भगवान गणेश महाराष्ट्र के सबसे लोकप्रिय और पूजनीय देवताओं में एक हैं।
भगवान श्री सिद्धिविनायक का मंदिर महाराष्ट्र के मुंबई शहर में दादर प्रभादेवी में स्थित है। यह मंदिर लगभग दो शताब्दी पुराना है। मराठी भाषियों में श्री सिद्धि विनायक नवासाचा गनपति के नाम से प्रसिद्ध है। जिसका अर्थ होता है प्रार्थना करने पर कामनापूर्ति करने वाले देवता। पुराण अनुसार भगवान श्री गणेश की दो पत्नियां है - सिद्धि और बुद्धि। भगवान गणेश की बाएं भाग में सिद्धि और दाएं भाग में बुद्धि का वास माना जाता है। यही कारण है कि श्री सिद्धिविनायक की आराधना और दर्शन से मन और बुद्धि का जागरण होता है। इस संदेश के साथ कि बुद्धि के सही उपयोग से ही किसी भी कार्य में सफ लता और सिद्धि मिलती है। अन्यथा सफ लता पाना कठिन हो जाता है।
आदौ पूज्यो विनायक:जिसका अर्थ है हर मंगल कार्य की शुरुआत श्री सिद्धिविनायक की आराधना से करना चाहिए। भगवान श्री गणेश को विघ्रहर्ता माना जाता है। श्री गणेश के आशीर्वाद और प्रसन्नता से हर शुभ कार्य की विघ्र और बाधा का नाश होता है। कार्य और मनोकामना सिद्ध करने वाले देवता होने के कारण ही वह सिद्धिविनायक कहलाते हैं। पुराणों में वर्णन है कि स्वयं त्रिदेव यानि ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने जगत की रचना, पालन और संहार की व्यवस्था बिना बाधा के पूरी करने के लिए श्री गणेश की आराधना की। तुलसी रामायण में भी श्रीराम-सीता के विवाह प्रसंग में उनके अयोध्या प्रवेश के समय श्री सिद्धिविनायक के ध्यान का वर्णन किया गया है।
शास्त्रों के अनुसार ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने ही भगवान श्री गणेश को विघ्रकर्ता और विघ्रहर्ता दोनों का ही अधिष्ठाता देव बनाया है। जिसके अनुसार भगवान श्री गणेश की अप्रसन्नता से कार्य बाधित होते हैं किंतु उनकी पूजा और आराधना से श्री गणेश सभी विघ्र बाधाओं का नाश कर देते हैं। इसलिए धार्मिक और मंगल कार्यों में सफलता पाने के लिए श्री गणेश को सबसे पहले पूजा जाता है।
भारत के महाराष्ट्र प्रदेश की राजधानी मुंबई न केवल देश की व्यावसायिक राजधानी मानी जाती है, बल्कि यह धर्म और परंपराओं की दृष्टि से भी प्रसिद्ध स्थान है। इसी कड़ी में यहां स्थित है हिन्दू धर्म के प्रथम पूज्य देवता भगवान गणेश के भारत के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में एक - श्री सिद्धिविनायक मंदिर। इस मंदिर से देशभर के धर्मावलंबियों की आस्था और श्रद्धा जुड़ी है। भगवान गणेश महाराष्ट्र के सबसे लोकप्रिय और पूजनीय देवताओं में एक हैं।
भगवान श्री सिद्धिविनायक का मंदिर महाराष्ट्र के मुंबई शहर में दादर प्रभादेवी में स्थित है। यह मंदिर लगभग दो शताब्दी पुराना है। मराठी भाषियों में श्री सिद्धि विनायक नवासाचा गनपति के नाम से प्रसिद्ध है। जिसका अर्थ होता है प्रार्थना करने पर कामनापूर्ति करने वाले देवता। पुराण अनुसार भगवान श्री गणेश की दो पत्नियां है - सिद्धि और बुद्धि। भगवान गणेश की बाएं भाग में सिद्धि और दाएं भाग में बुद्धि का वास माना जाता है। यही कारण है कि श्री सिद्धिविनायक की आराधना और दर्शन से मन और बुद्धि का जागरण होता है। इस संदेश के साथ कि बुद्धि के सही उपयोग से ही किसी भी कार्य में सफ लता और सिद्धि मिलती है। अन्यथा सफ लता पाना कठिन हो जाता है।
आदौ पूज्यो विनायक:जिसका अर्थ है हर मंगल कार्य की शुरुआत श्री सिद्धिविनायक की आराधना से करना चाहिए। भगवान श्री गणेश को विघ्रहर्ता माना जाता है। श्री गणेश के आशीर्वाद और प्रसन्नता से हर शुभ कार्य की विघ्र और बाधा का नाश होता है। कार्य और मनोकामना सिद्ध करने वाले देवता होने के कारण ही वह सिद्धिविनायक कहलाते हैं। पुराणों में वर्णन है कि स्वयं त्रिदेव यानि ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने जगत की रचना, पालन और संहार की व्यवस्था बिना बाधा के पूरी करने के लिए श्री गणेश की आराधना की। तुलसी रामायण में भी श्रीराम-सीता के विवाह प्रसंग में उनके अयोध्या प्रवेश के समय श्री सिद्धिविनायक के ध्यान का वर्णन किया गया है।
शास्त्रों के अनुसार ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने ही भगवान श्री गणेश को विघ्रकर्ता और विघ्रहर्ता दोनों का ही अधिष्ठाता देव बनाया है। जिसके अनुसार भगवान श्री गणेश की अप्रसन्नता से कार्य बाधित होते हैं किंतु उनकी पूजा और आराधना से श्री गणेश सभी विघ्र बाधाओं का नाश कर देते हैं। इसलिए धार्मिक और मंगल कार्यों में सफलता पाने के लिए श्री गणेश को सबसे पहले पूजा जाता है।
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