सीकर सीआरपीएफ का भगौड़ा कांस्टेबल दशरथ आखिर जिंदा मिल गया
साढ़े तीन साल बाद सीआरपीएफ का भगौड़ा कांस्टेबल दशरथ आखिर जिंदा मिल गया। वह हिमाचल के सोलन में एक महिला के साथ रह रहा था। उसकी पत्नी चंद्रकला ने सरकार से मदद के नाम पर 17 लाख रुपए उठा लिए थे और 12 हजार रुपए मासिक पेंशन भी ले रही थी।
हालांकि दशरथ के पिता उसे मृत मानने को तैयार नहीं थे। झुंझुनूं जिले के दोरादास गांव निवासी इस जवान की गिरफ्तारी पर पुलिस की ओर से 25 हजार रुपए का इनाम भी घोषित था। पुलिस ने जवान को बाद में उच्च न्यायालय में पेश किया। आईजी डीसी जैन ने बताया कि दशरथ सीआरपीएफ में सिपाही के पद 1998 से कार्यरत था। फरवरी 2012 में छुट्टी पर घर आया था। उसके बाद लापता हो गया। पिता ने उच्च न्यायालय, जयपुर में हैबीयर्स कॉपर्स दायर की।
कंकाल व हड्डियों को माना दशरथ
दशरथ के नहीं मिलने पर पुलिस ने लगभग उसे मृत मान लिया था। पुलिस जांच में दशरथ के मोबाइल लोकेशन की अंतिम कड़ी चूरू के रतननगर में आई। रतननगर में पुलिस को चार हड्डिया व कंकाल बरामद हुआ, लेकिन पुलिस ने हड्डियों व दशरथ के माता-पिता के डीएनए की जांच करवाई तो डीएनए का मिलान नहीं हुआ। दशरथ की तलाश में अक्टूबर 2014 तक झुंझुनूं पुलिस जुटी रही। बाद में यह
जिम्मा सीकर पुलिस को सौंपा गया
पुलिस को पिछले दिनो दशरथ के प्रतापगढ़ क्षेत्र में देखे जाने की जानकारी मिली। पुलिस ने प्रतापगढ़, छोटी सादड़ी, नीमच में उसकी तलाशी के लिए अभियान शुरू किया। पता चला कि दशरथ पिछले माह भीलवाड़ा के ठेकेदार की पत्नी को भगाकर ले गया।
पुलिस को दोनों के हिमाचल के सोलन के गांव बद्दी में होने की जानकारी मिली। पुलिस ने दशरथ व ठेकेदार की पत्नी को सोमवार को सीकर एएसपी के नेतृत्व में गठित टीम ने शाहजहांपुर अलवर से दस्तयाब कर लिया
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें