लोग भगवान शिव को संहारक मानते है, लेकिन शहर में ऐसा शिवालय भी है जहां पर लोग संतान प्राप्ति के लिए भगवान शिव को नमन करते हैं। संतान की इच्छा पूरी करने के कारण श्रद्धालुओं ने इनका नाम संतानप्रदेश्वर महादेव रखा है।
पहाड़ी एवं सघन हरियाली से घिरे गालव ऋषि की तपोभूमि गलता तीर्थ के मुख्य द्वार गलता गेट के पास स्थापित प्राचीन मंदिर श्री गीता गायत्रीजी में संतानप्रदेश्वर मंशापूर्ण महादेव विराजमान हैं।
पहले यहां चारों और सघन वन था, आस-पास कोई बस्ती भी नहीं थी। मंदिर के सामने केवल अग्रवाल समाज की धर्मशाला बना हुई थी। शाम को पांच बजे बाद लोग यहां आने से कतराते थे।
मंदिर के महंत भरत लाल चौबे ने बताया कि चौबे परिवार में संतान नहीं होने से कई पीढि़यों से गोद संतान गोद लेने की परंपरा चल रही थी।
इस पर वेद मर्मज्ञ पंडित गोविंद नारायण चौबे ने जगत जननी और मोक्ष प्रदायिनी गायत्री माता के निकट भोले बाबा का भी मंदिर बनवाकर संतानप्रदेश्वर मंशापूर्ण महादेव की स्थापना की। इसके बाद चौबे परिवार में संतान होना शुरू हो गया।
जब लोगों को इस बारे में जानकारी मिली तो कई शिव भक्त भी संतान की इच्छा से यहां आने लगे और उनकी मनोकामनाएं भी पूरी हुईं। लोग यहां महादेव को संतानप्रदेश्वर या संतानेश्वर महादेव कहने लगे।
मंदिर में शिव परिवार विराजित है जिसमें गणेशजी दाहिनी आवृति के हैं। साथ ही बाल स्वरूप हनुमान भी विराजित हैं।
चढ़ाते हैं सवा लाख बिल्व पत्र
शिव आराधना के तहत प्रतिवर्ष सावन के महीने में यहां सवा लाख बिल्व पत्र अर्पित किए जाते हैं। इसमें शिवजी के दिव्य अभिषेक के बाद शिव भक्त 36 घंटे तक, शिवसहस्त्र नामावली, रुद्रीपाठ, शिवतांडव स्तोत्र आदि का पाठ करते हैं।
पुजारी परिवार के राजकुमार चतुर्वेदी ने बताया कि ऐसी मान्यता है कि इस शिवलिंग पर गन्ने के रस से अभिषेक कर सहस्त्र बिल्व पत्र अर्पित करें और संतान की कामना करने पर भोले बाबा प्रसन्न होकर मनोकामना अवश्य पूर्ण करते हैं। मंदिर में अखंड ज्योति हमेशा प्रज्वलित रहती है।
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