रविवार, 12 जुलाई 2015

जैसलमेर बढ़ेगा नन्हे गोडावणों का कुनबा



जैसलमेर बढ़ेगा नन्हे गोडावणों का कुनबा


विश्वभर में ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के नाम से विख्यात गोडावण को संरक्षित करने के लिए दो साल पहले शुरू किया गए प्रोजेक्ट का असर अब दिखने लगा है। गोडावण के अस्तित्व को बचाने में जुटे वन्यजीव विशेषज्ञों के लिए एक बार फिर खुशखबरी आई है।

इस बार यह खुशखबरी जैसलमेर के डेजर्ट नेशनल पार्क के सुदासरी क्षेत्र से आई है। विशेषज्ञों के अनुसार सुदासरी क्षेत्र में 8 मादा गोडावण ने अंडे दिए है। इन अंडों की सुरक्षा के लिए सुदासरी वन क्षेत्र के कार्मिक व विशेषज्ञ इस क्षेत्र को मानवीय दखल से बचाने में जुटे हैं।

गौरतलब है कि गोडावण संरक्षण को लेकर शुरू की गई परियोजना के एक साल बाद जिले में पहली बार एक नन्हे गोडावण का जन्म हुआ। इसके ठीक एक साल बाद इस साल अब तक 12 मादा गोडावणों ने अंडे दिए हैं, जो गोडावण की संख्या में वृद्धि करने लिए शुभ संकेत माने जा रहे हैं। विशेषज्ञों की मानें तो मादा गोडावण जब अंडा देती है, तो उस दौरान वह जंगल में विचरण नहीं करती।

किसी सुरक्षित स्थान पर रहकर अंडे की देखभाल तब तक करती है, जब तक कि अंडा परिपक्व ना हो जाए। इन दिनों वन क्षेत्र में केवल नर गोडावण ही विचरण कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार अंडे से अगले महीने तक नन्हा गोडावण निकलने के बाद मादा गोडावण जंगल में नन्हे गोडावण के साथ विचरण करेगी। सूत्रों के अनुसार पोकरण के रामदेवरा क्षेत्र में दो और मादा गोडावण ने अंडे दिए हैं। पूर्व में भी इस क्षेत्र में दो मादा गोडावण अंडे दे चुकी है।

मानवीय दखल रही कम

क्षेत्र में वन्य जीव विशेषज्ञों व वन विभाग की मांग के अनुरूप पुलिस का सहयोग होने से क्षेत्र में इस बार मानवीय दखल कम रहा। इसके अलावा अभ्यारण्य में क्लोजर व गजलर की संख्या में की गई बढ़ोतरी, अवैध काश्त पर पूरी तरह से अंकुश रहने और सूर्यास्त के बाद मानव दखल पर पाबंदी होने से इस साल नन्हें गोडावणों के कुनबे में बढ़ोतरी हो रही है।

2013 में शुरू हुआ प्रोजेक्ट

ग्रेड इंडियन बस्टर्ड और राज्य पक्षी गोडावण को संरक्षण देने के लिए राज्य सरकार की ओर से 5 जून 2013 में गोडावण संरक्षण को लेकर प्रोजेक्ट शुरू किया था। योजना में बाघ की तरह ही गोडावण को विलुप्त होने से बचाने के लिए इसके संरक्षण की कवायद शुरू की गई थी। परियोजना की शुरुआत के एक साल बाद जिले में पहली बार एक नन्हें गोडावण का जन्म हुआ। इसके ठीक एक साल बाद इस साल 12 मादा गोडावणों ने अंडे दिए हैं।

मां की सुरक्षा में कर रहा अठखेलियां

जिले के रामदेवरा के जंगल में दो महीने का हुआ नन्हा गोडावण वन्यजीव विशेषज्ञों के लिए आकर्षण का केन्द्र बन रहा है। सुरक्षा की दृष्टि से वन्यजीव विशेषज्ञ नन्हे गोडावण व उसकी माता पर नजर रखे हुए हैं। विभाग की ओर से नन्हे गोडावण की सुरक्षा के लिए उसके रहवास क्षेत्र के आस-पास सीसीटीवी कैमरे भी लगा रखे हैं, ताकि सुरक्षा को पूरी तरह से चाक-चौबंद रखने के साथ आवश्यकता होने पर त्वरित सुरक्षा के बंदोबस्त किए जा सके। इस सबके साथ नन्हे गोडावण की हरकतें वन्यजीव विशेषज्ञों के लिए आकर्षण का केन्द्र बनी हुई है।

लगातार दूसरे साल नन्हे गोडावण की देखभाल विशेषज्ञों के लिए शोध का विषय बन गया है। इस संबंध में डीसीएफ (वाइल्डलाइफ) डीएनपी, अनूप केआर का कहना है कि जैसलमेर के डेजर्ट नेशनल पार्क क्षेत्र में दो मादा गोडावण ने अंडे दिए हैं। इनमें से एक अंडे में से नन्हा गोडावण निकल आया है। मादा गोडावण के साथ इसके अंडे व चूजे की सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए हैं।

संरक्षण व संवर्धन को लेकर बैठक कल

डीएनपी व आसपास के क्षेत्र में राज्यपक्षी गोडावण के संरक्षण व संवर्धन के लिए इस क्षेत्र को सुरक्षित रखने के सिलसिले में जिला कलक्टर विश्वमोहन शर्मा की अध्यक्षता में कलक्ट्रेट सभागार में सोमवार दोपहर 3 बजे बैठक का आयोजन होगा।

मानवीय दखल रोकने के प्रयास

सरहदी जिले में जल्द ही नन्हे गोडावणों की संख्या में इजाफा होने वाला है। सुदासरी व रामदेवरा में मादा गोडावण के अंडे देने की जानकारी मिल रही है। अंडा देने के स्थल की सुरक्षा के लिए इस स्थान पर मानवीय दखल ना हो इसके प्रयास किए जा रहे हैं।

अनूप केआर, डीसीएफ (वाइल्ड लाइफ), डीएनपी, जैसलमेर

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