नई दिल्ली।मानसून सत्र आज से, ललितगेट और व्यापमं पर हंगामे के आसार
व्यापमं और ललितगेट जैसे मुद्दोंं पर विपक्ष के हमलों का सामना कर रही मोदी सरकार को फिलहाल राहत मिलती नजर नहीं आ रही है। मंगलवार से शुरु हो रहे मानसून सत्र में विपक्षी दल सदन के भीतर इन्हीं मुद्दों पर सरकार पर हमला बोलनेे को तैयार हैं।
सोमवार को कांग्रेस ने विदेश मंत्री सुष्रमा स्वराज, राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और शिवराज सिंह चौहान के इस्तीफे न होने तक संसद की कार्यवाही नहीं चलने देने की बात दोहराई।
वहीं सरकार ने भी साफ स्पष्ट कर दिया कि वे विपक्ष के दबाव के आगे अपने मंत्रियों के इस्तीफे नहीं लेगी। ऐसे में पूरी संभावना है कि संसद सत्र हंगामे की भेंट चढ़ेगा।
इससे पहले संसद को सुचारु रूप से चलाने के लिए सर्वदलीय बैठक हुई, जिसमें तृणमूल कांग्रेस को छोड़कर 29 दलों के 42 नेताओं ने हिस्सा लिया। बैठक में राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि ललितगेट और व्यापमं मामले से जुड़े नेताओं को जब तक नहीं हटाया जाता तब कांग्रेस संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही चलने देगी।
जिस पर संसदीय कार्यमंत्री वैंकेया नायडू ने आजाद की मांग को सिरे से खारिज कर दिया कि सरकार विपक्ष के दबाव में अपने मंत्रियों के इस्तीफे नहीं लेगी। हालांकि बैठक में संसद की कार्यवाही नहीं चलने के मुद्दे पर कांग्रेस को कई दलों का साथ नहीं मिल पाया।
सपा सहित कई दल कांग्रेस के इस रुख असहमत नजर आए। बैठक में समाजवादी पार्टी के रामगोपाल ने कहा कि लैंड बिल समेत सभी मुद्दों को सुलझाकर संसद का कामकाज सुचारु रूप से चलाने की कोशिश की जानी चाहिए। एसपी के अलावा बीजेडी, टीआरएस, सीपीएम, एनसीपी और शिवसेना व अकाली दल के नेताओं ने भी सदन में चर्चा की वकालत की।
बैठक के बाद वैंकेया नायडू ने दावा किया कि 29 विपक्षी दल कार्यवाही ठप करने के कांग्रेस के रुख से सहमत नहीं है। बाद में कांग्रेस के वेणुगोपाल ने कहा कि सरकार एक्शन ले तो हम बिल पास करने में सहयोग करने को तैयार हैं।
वहीं दूसरी ओर सोमवार शाम को एनडीए की बैठक भी आयोजित हुई,जिसमें विपक्ष के हमलों का करारा जवाब देने पर चर्चा हुई। बीते एक साल में यह पहला मौका है जब सत्र शुरू होने से पहले एनडीए की बैठक हुई है।
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