रविवार, 26 जुलाई 2015

जयपुर वादा-समझौता पूर्ववर्ती सरकार से, मनवाने के लिए अड़े मौजूदा सरकार से



जयपुर वादा-समझौता पूर्ववर्ती सरकार से, मनवाने के लिए अड़े मौजूदा सरकार से


राज्य कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर एक बार फिर आंदोलन की रह पर है। इस बार राज्य कर्मचारी पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के दौरान अधीनस्थ मंत्रालयिक संवर्ग के 26 हज़ार पदोन्नति के पदों के लिखित समझौते को मौजूदा सरकार से लागू करने की मांग कर रहे है।

सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले राज्य कर्मचारियों ने आंदोलन की रूपरेखा तैयार की है। इसके तहत 29 जुलाई को राजधानी जयपुर सहित तमाम ज़िलों में कर्मचारियों को जनजागरण के माध्यम से सरकार के समझौते को लेकर जागरूक किया जायेगा।

इसके बाद भी सरकार की तरफ से कोई सकारात्मक रुख नज़र नहीं आया तो 24 अगस्त को प्रदेश भर के कर्मचारी जयपुर में एकजुट होकर धरना देंगे। इसी दिन आगामी आंदोलन की रणनीति तैय्यार की जायेगी।

राजस्थान राज्य मंत्रालयिक कर्मचारी संघर्ष समिति से जुड़े पदाधिकारियों का कहना है कि पूर्ववर्ती सरकार ने 26 हज़ार पदोन्नति के पदों पर कर्मचारियों के साथ लिखित समझौता किया था लेकिन मौजूदा सरकार ने कुछ कथित कर्मचारी संगठनो से मिलकर इन पदोन्नति पदों की संख्या में कटौती कर समझौता कर लिया।

इस समझौते से पहले कर्मचारियों के एक बड़े तबके को भरोसे में नहीं लिया गया। लिहाज़ा अब पहले के 26 हज़ार पदों पर हुए लिखित समझौते की पुनर्बहाली की मांग की जा रही है।

ये हुआ था समझौता

पूर्ववर्ती सरकार से हुए लिखित समझौते के तहत 26 हज़ार पदों पर पदोन्नति किया जाना स्वीकार किया गया था। इसमें 10 हज़ार पद प्रशासनिक अधिकारी, 10 हज़ार पद सहायक प्रशासनिक अधिकारी, 5 हज़ार पद वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी और 1 हज़ार पद मुख्य प्रशासनिक अधिकारी के शामिल थे।

साथ ही कार्यालय अधीक्षक के पद को पुनः राजपत्रित अधिकारी का दर्ज़ा देते हुए समस्त पदनाम समझौते के अनुरूप किया जाना भी स्वीकार किया गया था।

karmchari

यहां बिगड़ा मामला

पूर्ववर्ती सरकार ने तब कर्मचारी संघर्ष समिति के साथ कुल 7 मांगों को पूरा करने पर सहमति जताई थी। लेकिन इसके बाद चुनाव हो गए और प्रदेश में तख्तापलट हो गया। सत्ता में आई नई भाजपा सरकार ने पहले की सरकार के साथ हुए समझौते को रिव्यू किया।

कुछ कर्मचारी संगठनों के साथ वार्ता कर समझौते को नई शक्ल दी गई। इसमें पदोन्नति के 26 हज़ार पदों में 4 हज़ार पद ही स्वीकृत किये गए। इसका विरोध होने के बाद पदोन्नति के पदों की संख्या को 10 हज़ार 763 कर दिया गया।

आंदोलन ने सरकार को किया था समझौते के लिए मज़बूर

अधीनस्थ मंत्रालयिक संवर्ग की कृष्णा भटनागर समिति द्वारा वेतनमानों में की गई उपेक्षा से आन्दोलनरत मंत्रालयिक कर्मचारियों ने वर्ष 2013 में राजस्थान राज्य मंत्रालयिक कर्मचारी संघर्ष समिति के बैनर तले कार्यालय बहिष्कार, प्रदर्शन, हड़ताल और अंत में जयपुर स्थित उद्योग मैदान में महापड़ाव दिया था।

कर्मचारियों के इस रुख को देखते हुए सरकार ने 16 अगस्त 2013 को तत्कालीन सरकार ने संघर्ष समिति के साथ लिखित समझौता किया था।

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