रामेश्वरम।कलाम के अंतिम दर्शन को रामेश्वरम में उमड़ा जन सैलाब
दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम के अंतिम दर्शन के लिए बुधवार को रामेश्वरम में जन सैलाब उमड़ पड़ा। कलाम का पार्थिव शरीर मदुरै लाया गया और उसके बाद हेलीकॉप्टर से रामेश्वरम ले जाया गया।
कलाम के बड़े भाई के पोते ए पी जे एम के शेख सलीम ने बताया, ''बड़ी संख्या में लोग कलाम के अंतिम दर्शन के लिए उनके आवास पर पहुंचे। हमारे सभी रिश्तेदार भी उनकी अंत्येष्टि में शामिल होने के लिए आए हुए हैं।''
हिन्दुओं का तीर्थस्थल रामेश्वरम तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले के अंतर्गत आता है। यह राज्य की राजधानी चेन्नई से करीब 600 किलोमीटर दूर है।
कलाम का जन्म 15 अक्टूबर, 1931 को रामेश्वरम में हुआ था और उनके शुरुआती दिन बड़े अभाव में बीते। उनका सोमवार को मेघालय की राजधानी शिलांग में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट में एक व्याख्यान देते वक्त दिल का दौरा पडऩे से निधन हो गया।
गुरुवार को किया जाएगा कलाम के पार्थिव शरीर को सुपुर्द-ए-खाक
सलीम ने बताया कि कलाम का पार्थिव शरीर बस स्टैंड के करीब एक स्थान पर रखा जाएगा, जहां लोग उनका अंतिम दर्शन कर पाएंगे और उन्हें श्रद्धांजलि दे सकेंगे।
उन्होंने कहा, ''लोग आज (बुधवार) रात आठ बजे तक उन्हें श्रद्धांजलि दे पाएंगे, जिसके बाद उनका पार्थिव शरीर मस्जिद वाली गली में स्थित उनके आवास 'कलाम का घर' में ले जाया जाएगा।'' सलीम ने बताया कि कलाम को गुरुवार सुबह 10.30 बजे सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा।
'रामेश्वरम का एक तोहफा थे कलाम'
रामेश्वरम के स्थानीय निवासी ए. जॉनसन ने बताया, ''कलाम दुनिया को रामेश्वरम का एक तोहफा थे। यह दुखद है कि वह उपहार हमसे दूर हो गया।''
एक अन्य स्थानीय निवासी इनोजा ने कहा, ''मेरे पास भावनाएं बयां करने के लिए कोई शब्द नहीं है। मुझे अब भी यकीन नहीं हो रहा है कि कलाम नहीं रहे। मुझे रूलाई आ रही है।''
सुपुर्द-ए-खाक के लिए भूमि आवंटित
इस बीच, तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता ने एक बयान जारी कर कहा कि कलाम के परिजनों के अनुरोध पर सरकार ने उनके पार्थिव शरीर को दफनाने के लिए भूमि आवंटित की है।
रामेश्वरम में कलाम की अंत्येष्टि के मौके पर मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों सहित बड़ी संख्या में आम लोगों के उमडऩे का अनुमान है, जिसे देखते हुए यहां सुरक्षा कड़ी कर दी गई है।
कलाम का रामेश्वरम
रामेश्वरम वही शहर है, जहां कलाम ने युवावस्था में अपने परिवार की कमजोर आर्थिक स्थिति को संभालने के लिए अखबार विक्रेता के रूप में भी काम किया। उनके पिता के पास एक नाव थी और उनकी मां ने परिवार के भोजन और कपड़ों के लिए लगातार जद्दोजहद की।
कलाम ने जब रामेश्वरम छोडऩे और मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में पढ़ाई करने का निर्णय लिया तो उनकी बहन ने अपने गहने गिरवी रखे, ताकि इसके लिए जरूरी 600 रुपए मिल जाएं।
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