चेन्नई।इसरो का कमाल: स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन का 800 सेकेंड तक परीक्षण
भारत ने उच्च क्षमता वाले क्रायोजेनिक इंजन का तमिलनाडु के महेंद्रगिरि परिसर से सफल जमीनी परीक्षण किया। अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने सोमवार को यह जानकारी दी।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा कि देश के पहले स्वदेशी तकनीक से तैयार और विकसित उच्च क्षमता वाले क्रायोजेनिक रॉकेट इंजन की तापीय क्षमता का 16 जुलाई को 800 सेकेंड तक परीक्षण किया गया। परीक्षण तिरुनेलवेली जिले के महेंद्रगिरि स्थित इसरो के प्रणोदन परिसर में किया गया।
इसरो ने कहा, ''यह समयावधि प्रक्षेपण के दौरान इंजन जलने के समय का एक चौथाई थी।''
ताकतवर रॉकेटों में किया जाएगा इंजन का इस्तेमाल
इस इंजन का इस्तेमाल भारत के ताकतवर रॉकेटों जैसे भू-समकालिक उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी-मार्क 3) में किया जाएगा। यह चार टन वजनी उपग्रहों को प्रक्षेपित कर सकता है। क्रायोजेनिक इंजन कम ताप वाले तरल हाइड्रोजन और तरल ऑक्सीजन प्रणोदक का इस्तेमाल करते हैं।
इसरो ने बताया कि उच्च क्षमता वाले क्रायोजेनिक इंजन को केरल के तरल प्रणोदन प्रणाली केंद्र (एलपीएससी) में तैयार और विकसित किया गया।
एलपीएससी ने एक छोटे क्रायोजेनिक इंजन (12.5 टन प्रणोदक) को विकसित किया है और पांच जनवरी 2014 को जीएसएलवी मार्क-2 के प्रक्षेपण में इसका सफल परीक्षण किया जा चुका है।
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