शनिवार, 6 जून 2015

जयपुर। डॉक्टरों की लापरवाही ने छीनी मासूम रोशनी की आंखें

जयपुर। डॉक्टरों की लापरवाही ने छीनी मासूम रोशनी की आंखें


— अब परिजनों से कहा, एक माह पहले आते तो बचा लेते आंखे
— राजधानी के जेके लॉन अस्पताल की घटना, सवावों के घेरे में डॉक्टर
— बुखार होने पर जयपुर के जेके लॉन अस्पताल में भर्ती करवाया था बच्ची को
— 21 अप्रैल को भर्ती करवाया था जेके लॉन अस्पताल में
— डॉक्टरों ने बच्ची को इलाज पूरा किए बिना दे दी अस्पताल से छुट्टी
— आंख की रोशी जाने के बाद डॉक्टरों ने किए हाथ खडे



जयपुर। राजधानी जयपुर में डॉक्टरों की लापरवाही ने एक नौ साल की मासूम बच्ची की आंखों की रोशनी छीन ली। बुखार की बिमारी के चलते अस्पताल में भर्ती हुई बच्ची की आँखों में अब सिर्फ अन्धेरा ही बाकी रहा गया है। राजधानी के सबसे बड़े अस्पताल जेके लोन अस्पताल की यह घटना है। एक महीना अस्पताल में भर्ती रहने के बाद आँखे की रोशनी गँवा चुकी रोशनी अपने माता पिता के साथ डॉक्टरों की लापरवाही की कहानी बता रही है।

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भरतपुर के नगला हिरदास की नौ साल की रोशनी को बुखार आने पर 21 अप्रेल को जेके लोन अस्पताल में डॉ.सीतारमण की यूनिट में भर्ती किया गया था । दूसरे दिन रात में बच्ची को बुखार 105 डिग्री हुआ तो यूनिट में डॉ अनुज गुप्ता ने ड्रिप लगा दी लेकिन बुखार नही उतारा परिजन डॉक्टर से कहने भी गए लेकिन डॉक्टरों ने अनसुना कर दिया सुबह जब बच्ची ने परिजनों को बताया की उसे कुछ नहीं दिख रहा तो परिजन फिर से डॉक्टर के पास गए लेकिन डॉक्टरों ने फिर से ये कह दिया की बुखार में ऐसा हो जाता है रोशनी आ जायेगी।



रोशनी के माता पिता और ताउ ने फर्स्ट इंडिया संवाददाता को अपनी व्यथा बताई। चौथी क्लास में पढ़ने वाली रोशनी का सपना था कि वो बड़ी होकर टीचर बने और अपने भाई बहिन के साथ और भी बच्चों को रास्ता दिखाए। लेकिन रोशनी कि मंजिल में अन्धेरा छा गया, अब रोशनी कभी भी देख नहीं सकती। रोशनी के ताऊ अस्पताल में एक महीना सात दिन का इलाज लेकर डिस्चार्ज होने के बाद एसएमएस अस्पताल के चरक भवन में डॉक्टरों से मिले और बच्ची को दिखाया तो डॉक्टरों कहा कि एक महीने पहले तक आ जाते तो शायद बच्ची की आँखों की रोशनी आ सकती थी। अब डॉक्टरों ने भी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया है।

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