मंगलवार, 2 जून 2015

क्या मोदी सरकार कारगिल शहीद भीखाराम को मिलेगा न्याय

क्या मोदी सरकार कारगिल शहीद भीखाराम को मिलेगा न्याय 



सुनील दवे / समदड़ी 



IMG_20150601_175139.jpg दिखाया जा रहा हैबाड़मेर। कारगिल युद के दौरान भारतीय सेना के केप्टन संदीप कालिया छः जवानों का पाकिस्तान सेना द्वारा अपहरण करने के बाद उनकी हत्या कर शव को क्षतविक्षिप्त अवस्था में वापस लौटाने के मामले को अन्तर्राष्ट्रीय न्यायलय में ले जाने से वर्तमान मोदी सरकार के यू टर्न के बाद शहीद भीखाराम के परिवार से फैसले से काफी दुखी व मायूस है। हलाकि केंद्र सरकार ने कहा है कि अगर सुप्रीम कोर्ट इजाज़त दे तो वह पाकिस्तान के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय अदालत में जाने को तैयार है। यह परिवार पिछले 15 साल न्याय के इन्तजार में है गौरतलब है कि कारगिल शहीद कैप्टन सौरभ कालिया के साथ छः जवानों की टोली में भीखाराम भी साथ में था।  कारगिल में ऑपरेशन विजय के दौरान भीखाराम को अप्रैल के अंत में कारगिल भेजा गया। वह उन कुछ जवानों में से एक था, जिन्हें सबसे पहले कारगिल में लगाया गया। वह कारगिल की काकसर अग्रिम चौकी पर तैनात था। 4 जाट रेजीमेंट के छः जवानों की जिस टोली को, घुसपैठ की सूचना के बाद 14 मई 99 को पेट्रोलिंग के लिए कारगिल के काकसर सैक्टर में भेजा गया, उनमें भीखाराम भी शामिल था। 



बजरंग चैक पोस्ट पर तैनात भीखाराम को पेट्रोलिग के दौरान वहां मौजूद पाकिस्तानी घुसपैठियों व रेंजरों ने चारों और से घेर कर अचानक हमला बोला। कई घंटो के खूनी संघर्ष के बाद अततः उन्हें अन्य पांच साथियों सहित बंदी बना लिया और पाकिस्तान ले जाकर उन्हें भंयकर यातनाएं दी उनके अंग-भंग कर नृशंस हत्या कर दी। इनमें लेफ्टिनेंट सौरभ कालिया, भीखाराम, अर्जुनराम, भंवरलाल, मूलाराम व नरेशसिंह शामिल थे। इनमें से चार भीखाराम, भंवरलाल, अर्जुनराम व मूलाराम राजस्थान के थे। इनके क्षत-विक्षत शत पाकिस्तान ने 26 दिन बाद 9 जून 1999 को भारत को लौटाए। शहीद भीखाराम के छोटे भाई पद्मा राम ने निराषा जाहिर करते हुवे कहा कि कि उन्हें केन्द्र में भाजपा के नरेन्द्र मोदी सरकार के सत्ता में आने पर काफी उम्मीदें थी, तथा विष्वास था कि सत्ता में आते ही वे इस मामले को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ले जायेंगे तथा उन्हें न्याय दिलाएंगे, उन्हें पूरा विष्वास था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्वयं इस मामले में रूचि दिखाकर इस पूरे मामले को अन्तर्राष्ट्रीय न्यायलय में ले जाकर पाकिस्तानी सेना के दोषी व्यक्तियों को जरूर सजा दिलवाएंगे, मगर केन्द्र में पूर्ण बहुमत होने के बावजूद भी वे ऐसा नहीं कर पाए तथा आज उनकी सरकार की तरफ से स्पष्ट मना करने से उन्हें निराषा व दुख हुवा हैं, उन्होंने कहा कि दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिये वे इस मामले को लेकर लड़ाई लड़ रहे शहीद केप्टन संदीप कालिया के परिवार के साथ में हैं तथा अपने शहीद भाई को न्याय दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। उधर शहीद की पिता चेनाराम ने भी केन्द्र के एन.डी.ए सरकार के इस फैसले पर नाराजगी व्यक्त करते हुवे कहा कि उन्हें गहरी निराषा हुई हैं कि देष के लिये शहीद हुवे उसके पति को न्याय दिलवाने में सरकार पीछे हट रही हैं। वे कहती हैं कि सरकार ने उनके बेटे को किसी प्रकार के वीर चक्र या किसी प्रकार के अन्य गौरव, सेवा पदक देने की घोषणा नहीं की है। उन्हें मोदी सरकार से बहुत आषाएं थी मगर सरकार द्वारा आज इस मामले को अन्तर्राष्ट्रीय न्यायलय में ले जाने से साफ इंकार करने से वे शहीद भीखाराम के परिवार के पास इतने पैसे नहीं है कि अपने बेटे के लिए कोर्ट में लड़ाई लड़े लिहाजा शहीद भीखाराम का परिवार हमेशा इस बात की आस रहा है कि अगर कैप्टन कालिया को न्याय मिल जाए तो उसके बेटे को भी न्याय मिल जाएगा दरसल पाक सेना की गिरफ्त में कैप्टन कालिया और उनके 5 सैनिकों को जो यातनाएं दी गयीं, उसके खिलाफ न्‍याय के लिए कैप्टन कालिया परिवार जो जंग लड़ रहा है उसके साथ हमारे बेटे को भी इतने सालो बाद अब तो मोदी सरकार न्याय दिलाए

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