बाड़मेर। पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान से हमारे रिश्ते भले ही मधुर न हो, लेकिन दोनों देशों के आम लोगों बीच रिश्तेदारियां बनती-मजबूत होती जा रही है। पिछले नौ साल में पाक की 10 बेटियां यहां शादी होकर आई और हिन्दुस्तानी बन गई। सीमावर्ती बाड़मेर जिले में 2006 में शुरू हुए थार एक्सप्रेस के संचालन के बाद जिला कलक्टर कार्यालय में अब तक 11 पाकिस्तानी नागरिकों ने अपनी शादी का पंजीयन करवाया है। इसमें 10 पाकिस्तान की बेटियां हैं। एक युवक यहां आकर शादी के बाद बसा है।
यहां से बहुत कम
भारत से कम ही बेटियां हैं जो पाकिस्तान शादी करके गई हैं। शादी हुई भी है तो पाकिस्तान से लड़के आकर भारत में बसे हैं।
अमरकोट और बाड़मेर का संबंध गहरा
अब तक पंजीकृत हुई शादियों में पाकिस्तान के अमरकोट और छाछरो से ही बेटियां यहां आई हैं। जिले के राजपूत, मेघवाल और मुस्लिम समाज की इन बेटियों ने अपना घर बसा लिया है। सीमावर्ती जिलों से पाकिस्तान का रोटी-बेटी का रिश्ता बरसों से है। रिश्तेदारियां जिंदा है और जैसे ही थार एक्सप्रेस का संचालन हुआ रिश्ते फिर से जीवंत हो गए। एक दूसरे से मिलन होने के बाद सगे संबंधियों ने फिर से दोनों देशों के बीच रिश्तों की इस प्रगाढ़ता को बेहिचक बढ़ाया है।
हमारे परिवार जुड़े हैं
दोनों देशों से हमारा पारिवारिक रिश्ता है। मैं यहां हूं और मेरे परिवार के शेष्ा सदस्य पाकिस्तान है। दोनों देशों में यही तो बड़ा जुड़ाव है। बेहिचक शादियां होती है क्योंकि आधा परिवार यहां और आधा वहां है। फिर बेटी देने में क्या हर्ज? तेजदान चारण
बेटियां बहुत त्याग करती हैं
बेटियां हैं, बहुत त्याग करती है। उनके लिए शादी के बाद ससुराल सबकुछ हो जाता है। पाकिस्तान से आई बेटी यहां परिवार में बहुत कद्र पाती है। वे भी कभी महसूस नहीं करती कि यहां अलग रह रही है। उसके अपने परिजन जो यहां रहते हैं वे पूरी सार संभाल रखते हैं।
हिन्दू सिंह सोढ़ा
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