राजा भी था इस वेश्या का कर्जदार, बुद्ध के उपदेश से बदली जिंदगी
इतिहास के गुमनाम पृष्ठों में उन लोगों की भी कहानियां हैं जो विजेता तो नहीं रहे लेकिन उनकी कुछ खूबियों की बदौलत जमाना उन्हें भूल नहीं सका।
ऐसा ही एक नाम है आम्रपाली। बौद्धकाल में वह वैशाली की प्रसिद्ध नृत्यांगना थी। वह बेहद खूबसूरत थी। कहते हैं कि जो एक बार उसे देख लेता था, उसकी खूबसूरती पर मोहित हो जाता था। कई प्रसिद्ध शासक भी उसके प्रेमी बताए जाते हैं।
आम्रपाली को इतिहास की सबसे सुंदर महिलाओं में शामिल किया जाता है। जीवन की परिस्थितियों के कारण उसे वेश्यावृत्ति को स्वीकार करना पड़ा था।
आम्रपाली के माता-पिता के बारे में इतिहास मौन है। कोई नहीं जानता कि वह किसकी संतान थी। जिन दंपत्ति ने उसका पालन-पोषण किया वह उन्हें आम के पेड़ के नीचे मिली थी। इसलिए उसका नाम आम्रपाली रखा गया।
युवावस्था में अनेक लोग उसे अपनी पत्नी बनाना चाहते थे। इस पर शहर में काफी विवादास्पद स्थिति थी। अगर कोई उसके समक्ष विवाह का प्रस्ताव रखता और दूसरों को इस बारे में मालूम हो जाता तो उस व्यक्ति का जीवन संकट में फंस सकता था।
आम्रपाली के पास इतना धन था कि राजा भी उससे धन उधार लेता था। महाराजा बिंबिसार भी उस पर मोहित थे और माना जाता है कि उन्हें आम्रपाली से एक पुत्र हुआ था।
उस समय महात्मा बुद्ध के उपदेशों की ओर लोगों का काफी रुझान था। बुद्ध क्षमाशील थे। वे जीवन के लिए उपयोगी व्यावहारिक उपदेश देते थे। एक बार जब आम्रपाली ने महात्मा बुद्ध के विचारों से प्रभावित होकर उन्हें नमन किया तो बुद्ध ने भी उन्हें आर्या अंबा कहकर संबोधित किया था।
महात्मा बुद्ध ने आम्रपाली की श्रद्धा, भक्ति और संसार से विरक्ति जानकर उसका आतिथ्य स्वीकार किया था। साथ ही उसके जीवन के कल्याण के लिए उसे संघ में प्रवेश का अधिकार भी दिया।
इस संबंध में लिखा गया है कि एक बार जब महात्मा बुद्ध नगर में आए तो राजपुत्रों ने उनसे भोजन ग्रहण करने की प्रार्थना की लेकिन बुद्ध ने यह प्रार्थना स्वीकार नहीं की। बल्कि उन्होंने आम्रपाली के घर का भोजन ग्रहण किया। बुद्ध के उपदेशों से आम्रपाली ने पापयुक्त जीवन त्याग दिया और उसका भी कल्याण हो गया।
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