सीकर| पांच साल तक शादी नहीं करेंगी सीकर की जिला प्रमुख
सीकर| राजस्थान की सबसे युवा जिला प्रमुख अपर्णा रोलण सीकर जिले की जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए अभी शादी करना नहीं चाहती| अलका का कहना है कि जब तक जिला प्रमुख का कार्यकाल पूरा नहीं हो जाता वह शादी नहीं करेंगी। अलका के अनुसार वह जिला प्रमुख के रुप में उसे जो जिम्मेदारी दी गई है उसे अच्छी तरह निभाने में विश्वास करती है क्यों कि अगर वह शादी करती है तो वह न तो ससुराल कि जिम्मेदारी ढंग से ऩिभा पायेगी और न ही जिले के लोगों के साथ न्याय कर पायेगी|
अलका एक समय में एक कार्य को ही करना उचित मानती हैं| उनका मानना है कि वह दो नावों पर पैर रखकर नहीं चलना चाहती| गौरतलब है कि 22 वर्षीय अलका एमए प्रीवियस में अध्ययनरत है| वह दिन में जिला परिषद स्थित अपने ऑफिस में बैठने के अलावा पंचायतों का भी दौरा करती है और रात को पढ़ाई करती हैं| वहीं पिपराली प्रधान संतोष भी जनसेवा करने को धर्म मानती है और फिलहाल शादी करना नहीं चाहती|
नहीं और युवा राजनेताओं के ये विचार आम जनता का कितना भला कर पाते हैं| यह तो समय ही बतायेगा लेकिन यह सच है कि इस बार राज्य सरकार के दवारा पंचायतों के चुनावों में शैक्षणिक योग्यता अनिवार्य करने से कई युवा व पढ़े-लिखे लोगों को जनता कि सेवा करने का मौका मिला है और अब देखना यह है कि ये युवा चेहरे अपनी जिम्मेदारी को कितना निभाते हैं|
सीकर| राजस्थान की सबसे युवा जिला प्रमुख अपर्णा रोलण सीकर जिले की जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए अभी शादी करना नहीं चाहती| अलका का कहना है कि जब तक जिला प्रमुख का कार्यकाल पूरा नहीं हो जाता वह शादी नहीं करेंगी। अलका के अनुसार वह जिला प्रमुख के रुप में उसे जो जिम्मेदारी दी गई है उसे अच्छी तरह निभाने में विश्वास करती है क्यों कि अगर वह शादी करती है तो वह न तो ससुराल कि जिम्मेदारी ढंग से ऩिभा पायेगी और न ही जिले के लोगों के साथ न्याय कर पायेगी|
अलका एक समय में एक कार्य को ही करना उचित मानती हैं| उनका मानना है कि वह दो नावों पर पैर रखकर नहीं चलना चाहती| गौरतलब है कि 22 वर्षीय अलका एमए प्रीवियस में अध्ययनरत है| वह दिन में जिला परिषद स्थित अपने ऑफिस में बैठने के अलावा पंचायतों का भी दौरा करती है और रात को पढ़ाई करती हैं| वहीं पिपराली प्रधान संतोष भी जनसेवा करने को धर्म मानती है और फिलहाल शादी करना नहीं चाहती|
नहीं और युवा राजनेताओं के ये विचार आम जनता का कितना भला कर पाते हैं| यह तो समय ही बतायेगा लेकिन यह सच है कि इस बार राज्य सरकार के दवारा पंचायतों के चुनावों में शैक्षणिक योग्यता अनिवार्य करने से कई युवा व पढ़े-लिखे लोगों को जनता कि सेवा करने का मौका मिला है और अब देखना यह है कि ये युवा चेहरे अपनी जिम्मेदारी को कितना निभाते हैं|
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