बाड़मेर। केयर्न के विरोध में ग्रामीणों का धरना छठे दिन जारी
अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस पर ये कैसी विडम्बना
बाड़मेर। इसे विडम्बना ही कहेगें कि जहां पूरा विष्व जैव विविधता दिवस मना रहा था वहीं बाड़मेर के मरूस्थल में हरियाली लाने वाले प्रहरी ग्रामीणों ने अपने बकाया भुगतान व भीषण गर्मी में कयर्न द्वारा भगवान भरोसे छोड़े गये पेड़ पौधों को बचाने के लिये सड़को पर धरना प्रदर्षन करते नजर आये। विदित रहे कि इस पुरे प्रकरण में ग्रामीणों का धरना छठे दिन तक जारी रहा। ग्रामीण हनुमानराम जिसके साये से बचपन से ही पिता का साया उठ गया , संस्था द्वारा पौधों की देखभाल व रोजगार से अपने परिवार का पालन पोषण करता था लेकिन पिछले कई महिनों से उसे न तो वेतन मिला और अब वो बेरोजगार होकर असहाय सा दिखता है। हनुमानराम ने बताया कि जिन पौधों को उसने ग्रामीणों के साथ कड़ी मेहनत से बड़ा किया वे आज केयर्न कंपनी के नकारात्मक रवैये से मुर्झाये खड़े है।
वह यह प्रष्न करता है कि कल ये बड़ी कंपनीया अपने को सारे विष्व के सामने पर्यावरण का सबसे बड़ा प्रेमी होकने का दावा करती है तो वह पिछले 25 दिनों से आधे से अधिक पौधो को मारकर क्या सिद्ध करना चाहती है। स्थानीय करणसिंह ने बताया कि भीषण गर्मी में सुचारू रूप से पौध संरक्षण कार्य को बीच में रोककर केयर्न ने न सिर्फ ग्रामीणों के साथ अत्याचार किया बल्कि दूसरे उनका पर्यावरण प्रेम भी उजागर होता हैं उन्होंने यह बताया कि इस केयर्न के इस पुरे प्रकरण में उदासीन रवैये से न तो उन्होनें पेड़ो ंकी कोई सुध ली और न ही पीडि़त ग्रामीणों का समाधान किया क्या से सामाजिक व पर्यावरण दृष्टि से महत्वपूर्ण पहलू पर उनकी वास्तविकता को उजागर नहीं करता।
धरने पर बैठे ग्रामीणांे ने शनिवार की रोज अपने कार्य पर केयर्न के अधिकारीयों द्वारा दिये जा रहे गैर जिम्मेदाराना बयानों पर भी नाराजगी जाहिर की गई साथ ही केयर्न द्वारा संस्था के कार्यो को आॅडिट पार्टी के निरीक्षण पर खरा नहीं उतरने की बात कही गई है जो कि तथ्यों से परे है ग्रामीणों ने संस्थान के कार्यो को थर्ड पार्टी की आॅडिट रिपोर्ट व काजरी की रिपोर्ट का मुल्याकन करने की मांग की। ज्ञात रहे कि पूर्व में नियुक्त संस्था के कार्यमुक्त होने के 25 दिन बाद भी पिडि़त ग्रामवासीयों व लगाये गए हरे भरे पौधे व्याकुल व भुखे प्यासे नजर आये। ग्रामीणांे ने बाड़मेर स्थित केयर्न आॅफिस के पास धरना प्रदर्षन किया। इस पुरे प्रकरण पर केयर्न के उदासीन रवैये पर अपूर्व भंडारी ने कहा कि केयर्न द्वारा तीसरी पार्टी द्वारा आॅडिट करवाने पर कयर्न द्वारा पुरी रिपोर्ट को परिवर्तित कर दिया गया। मौेके पर आज भी पौधे अच्छे और पुरी संख्या में है जो कि केन्द्रिय शुष्क अनुसंधान क्षैत्र (काजरी) टीम द्वारा हमने हमारे स्तर पर आॅडिट करवाया उसकी रिपोर्ट हमारे पास है । इससे यह साफ होता है कि मौके पर पौधे अच्छे है केयर्न द्वारा जानबुझकर सत्य छिपाया गया है और गलत रिपोर्ट तैयार करके ग्रामीणों के पैसे नहीं देना और पौधों के प्रति नकारात्मक रवैये से 25 दिन बाद भी ग्रामीणा व संस्था द्वारा पौधों की देखभाल की जा रही है। यदि पौधों के प्रति इनको इतना ही प्यार है तो आज तक 25 दिन बाद भी इसकी देखभाल करने कोई क्यों नहीं आया। 18 माह के पौधों की अगर संस्था व ग्रामीणा देखभाल नहीं करते तो अब तक सारे पौधे खत्म हो जाते। ग्रामीण कर्मचारियों का वेतन व अन्य भुगतान कई महिनों से लम्बित है। अगर केयर्न की रिपोर्ट सही है तो काजरी व केयर्न द्वारा की गई आॅडिट रिपोर्ट का मिलान किया जावें। भीषण गर्मी के बावजूद ग्रामीण सड़कों पर असहाय अवस्था में धरना व गांवों मंे पेड़ों की देखरेख का कार्य कर रहे है। संसाधनों की कमी के चलते हुए संस्था की मदद से किसी तरह 25 हजार से भी अधिक पेड़ों को बचाने के लिये मटको व बाल्टीयों से पानी डालने को विवष है। चैखला ग्रामवासी रेवन्तसिंह ने कहा कि चैखला स्कुल के अंदर और ग्राम पंचायत की जमीन पर अच्छे पौधे तैयार किये गये है परन्तु केयर्न द्वारा फूट डालो और राज करो की नीति के तहत इस पुरे प्रकरण पर केयर्न की लीपापोती बर्दाष्त नहीं की जायेगी क्योंकि उन्होनें पहले तो पंचायत भूमि पर पेड़ लगाये, फिर सुचारू रूप से कार्य कर रही संस्था व गा्रमवासियों को अचानक कार्यमुक्त करने के बाद पौधों व ग्रामीणों की दुर्दषा कर एक छलावा किया है।
उल्लेखनीय है इन पौधों के देखरेख एवं संरक्षण की जिम्मेदारी पर्यावरण अनुपालन की प्रक्रिया के तहत केयर्न इण्डिया की थी। लेकिन पिछले कई दिनों से उन्होनें इन सारे पौधों को भगवान के भरोसे छोड़ दिया है। केयर्न इण्डिया द्वारा पूर्व में भी कई बार संस्था का भुगतान रोके जाने से ग्रामीणों को मानसिक प्रताड़ना झैलनी पड़ी व पौधे के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। परन्तु इन सबके बावजूद भी संस्था व ग्रामवासियों ने पौधों के सरक्षण का कार्य सुचारू रूप से जारी रखा। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि इस विषय में तुरंत कोई कार्यवाही नहीं की गई तो इस धरने को उग्र जन आदोलन का रूप दिया जायेगा व पेड़ो व धरने पर बैठें ग्रामीणों को भीष्ण गर्मी में कोई स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है तो उसकी जिम्मेदारी भी केयर्न इण्डिया की होगी।
बाड़मेर। इसे विडम्बना ही कहेगें कि जहां पूरा विष्व जैव विविधता दिवस मना रहा था वहीं बाड़मेर के मरूस्थल में हरियाली लाने वाले प्रहरी ग्रामीणों ने अपने बकाया भुगतान व भीषण गर्मी में कयर्न द्वारा भगवान भरोसे छोड़े गये पेड़ पौधों को बचाने के लिये सड़को पर धरना प्रदर्षन करते नजर आये। विदित रहे कि इस पुरे प्रकरण में ग्रामीणों का धरना छठे दिन तक जारी रहा। ग्रामीण हनुमानराम जिसके साये से बचपन से ही पिता का साया उठ गया , संस्था द्वारा पौधों की देखभाल व रोजगार से अपने परिवार का पालन पोषण करता था लेकिन पिछले कई महिनों से उसे न तो वेतन मिला और अब वो बेरोजगार होकर असहाय सा दिखता है। हनुमानराम ने बताया कि जिन पौधों को उसने ग्रामीणों के साथ कड़ी मेहनत से बड़ा किया वे आज केयर्न कंपनी के नकारात्मक रवैये से मुर्झाये खड़े है।
वह यह प्रष्न करता है कि कल ये बड़ी कंपनीया अपने को सारे विष्व के सामने पर्यावरण का सबसे बड़ा प्रेमी होकने का दावा करती है तो वह पिछले 25 दिनों से आधे से अधिक पौधो को मारकर क्या सिद्ध करना चाहती है। स्थानीय करणसिंह ने बताया कि भीषण गर्मी में सुचारू रूप से पौध संरक्षण कार्य को बीच में रोककर केयर्न ने न सिर्फ ग्रामीणों के साथ अत्याचार किया बल्कि दूसरे उनका पर्यावरण प्रेम भी उजागर होता हैं उन्होंने यह बताया कि इस केयर्न के इस पुरे प्रकरण में उदासीन रवैये से न तो उन्होनें पेड़ो ंकी कोई सुध ली और न ही पीडि़त ग्रामीणों का समाधान किया क्या से सामाजिक व पर्यावरण दृष्टि से महत्वपूर्ण पहलू पर उनकी वास्तविकता को उजागर नहीं करता।
धरने पर बैठे ग्रामीणांे ने शनिवार की रोज अपने कार्य पर केयर्न के अधिकारीयों द्वारा दिये जा रहे गैर जिम्मेदाराना बयानों पर भी नाराजगी जाहिर की गई साथ ही केयर्न द्वारा संस्था के कार्यो को आॅडिट पार्टी के निरीक्षण पर खरा नहीं उतरने की बात कही गई है जो कि तथ्यों से परे है ग्रामीणों ने संस्थान के कार्यो को थर्ड पार्टी की आॅडिट रिपोर्ट व काजरी की रिपोर्ट का मुल्याकन करने की मांग की। ज्ञात रहे कि पूर्व में नियुक्त संस्था के कार्यमुक्त होने के 25 दिन बाद भी पिडि़त ग्रामवासीयों व लगाये गए हरे भरे पौधे व्याकुल व भुखे प्यासे नजर आये। ग्रामीणांे ने बाड़मेर स्थित केयर्न आॅफिस के पास धरना प्रदर्षन किया। इस पुरे प्रकरण पर केयर्न के उदासीन रवैये पर अपूर्व भंडारी ने कहा कि केयर्न द्वारा तीसरी पार्टी द्वारा आॅडिट करवाने पर कयर्न द्वारा पुरी रिपोर्ट को परिवर्तित कर दिया गया। मौेके पर आज भी पौधे अच्छे और पुरी संख्या में है जो कि केन्द्रिय शुष्क अनुसंधान क्षैत्र (काजरी) टीम द्वारा हमने हमारे स्तर पर आॅडिट करवाया उसकी रिपोर्ट हमारे पास है । इससे यह साफ होता है कि मौके पर पौधे अच्छे है केयर्न द्वारा जानबुझकर सत्य छिपाया गया है और गलत रिपोर्ट तैयार करके ग्रामीणों के पैसे नहीं देना और पौधों के प्रति नकारात्मक रवैये से 25 दिन बाद भी ग्रामीणा व संस्था द्वारा पौधों की देखभाल की जा रही है। यदि पौधों के प्रति इनको इतना ही प्यार है तो आज तक 25 दिन बाद भी इसकी देखभाल करने कोई क्यों नहीं आया। 18 माह के पौधों की अगर संस्था व ग्रामीणा देखभाल नहीं करते तो अब तक सारे पौधे खत्म हो जाते। ग्रामीण कर्मचारियों का वेतन व अन्य भुगतान कई महिनों से लम्बित है। अगर केयर्न की रिपोर्ट सही है तो काजरी व केयर्न द्वारा की गई आॅडिट रिपोर्ट का मिलान किया जावें। भीषण गर्मी के बावजूद ग्रामीण सड़कों पर असहाय अवस्था में धरना व गांवों मंे पेड़ों की देखरेख का कार्य कर रहे है। संसाधनों की कमी के चलते हुए संस्था की मदद से किसी तरह 25 हजार से भी अधिक पेड़ों को बचाने के लिये मटको व बाल्टीयों से पानी डालने को विवष है। चैखला ग्रामवासी रेवन्तसिंह ने कहा कि चैखला स्कुल के अंदर और ग्राम पंचायत की जमीन पर अच्छे पौधे तैयार किये गये है परन्तु केयर्न द्वारा फूट डालो और राज करो की नीति के तहत इस पुरे प्रकरण पर केयर्न की लीपापोती बर्दाष्त नहीं की जायेगी क्योंकि उन्होनें पहले तो पंचायत भूमि पर पेड़ लगाये, फिर सुचारू रूप से कार्य कर रही संस्था व गा्रमवासियों को अचानक कार्यमुक्त करने के बाद पौधों व ग्रामीणों की दुर्दषा कर एक छलावा किया है।
उल्लेखनीय है इन पौधों के देखरेख एवं संरक्षण की जिम्मेदारी पर्यावरण अनुपालन की प्रक्रिया के तहत केयर्न इण्डिया की थी। लेकिन पिछले कई दिनों से उन्होनें इन सारे पौधों को भगवान के भरोसे छोड़ दिया है। केयर्न इण्डिया द्वारा पूर्व में भी कई बार संस्था का भुगतान रोके जाने से ग्रामीणों को मानसिक प्रताड़ना झैलनी पड़ी व पौधे के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। परन्तु इन सबके बावजूद भी संस्था व ग्रामवासियों ने पौधों के सरक्षण का कार्य सुचारू रूप से जारी रखा। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि इस विषय में तुरंत कोई कार्यवाही नहीं की गई तो इस धरने को उग्र जन आदोलन का रूप दिया जायेगा व पेड़ो व धरने पर बैठें ग्रामीणों को भीष्ण गर्मी में कोई स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है तो उसकी जिम्मेदारी भी केयर्न इण्डिया की होगी।
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