परम विशिष्ट सेवा मेडल, महावीर चक्र विजेता लेफ्टिनेंट जनरल हणुत सिंह महासमाधि में लीन हो गए हैं। संत जनरल के नाम से प्रसिद्ध हणुत सिंह पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह के बड़े भाई हैं। वह शुक्रवार सुबह साढ़े 10 बजे समाधि में बैठे। 24 घंटे तक समाधि में लीन होने के बाद शनिवार सुबह उन्होंने सांसारिक देह त्याग दी। सेना से रिटायर होने के बाद से वह राजपुर रोड स्थित साईं मंदिर के पास शिवा बालयोगी आश्रम में रह रहे थे। 82 वर्षीय जनरल हणुत सिंह के महासमाधि में लीन होने की खबर सुनकर बड़ी संख्या में उनके अनुयायी और प्रशंसक आश्रम में पहुंचने शुरू हो गए। सोमवार को उनका अंतिम संस्कार होगा।
जनरल हणुत सिंह का जन्म 6 जुलाई 1933 को राजस्थान के बाड़मेर की जसोल रियासत में हुआ था। स्कूली शिक्षा दून के कर्नल ब्राउन स्कूल से हुई थी। 1991 में सेना से रिटायर होने के बाद जनरल हणुत सिंह दून में रह रहे थे। पिछले कई साल से वह मौन साधना में थे। वह आजीवन ब्रह्मचारी थे। वह 1968 में शिवबालयोगी महाराज के संपर्क में आए और उनके शिष्य बन गए। राजस्थान की महिला संत श्रीबाप जी से भी अत्यधिक प्रभावित थे। 1991 में सेना से रिटायर होने के बाद उन्होंने सांसारिक संपर्क पूरी तरह त्याग दिए और दून आकर शिव बालयोगी आश्रम में परिसर में अपना घर बनाकर साधना में लीन रहने लगे। संत और धार्मिक प्रवृत्ति के जनरल हणुत सिंह ध्यान योगी थे। इन्हें सेना और सामाजिक जीवन में ‘संत जनरल’ के नाम से जाना जाता था। इनके देश और विदेश में हजारों अनुयायी हैं। शनिवार सुबह से ही आश्रम में इनके आनुयायी अंतिम दर्शन के लिए पहुंचने लगे थे। इनमें बड़ी संख्या में सेना के साथी शामिल हैं।
बसंतारा युद्ध के हीरो
1971 में पाकिस्तान से हुए बसंतारा युद्ध में जनरल हणुत सिंह हीरो रहे। उन्होंने भारतीय सेना की 17 पूना हार्स रेजिमेंट को कमांड किया, जो एकमात्र ऐसी रेजीमेंट है जिसे दो परमवीर चक्र मिले। इस युद्ध में भारतीय सेना ने जनरल हणुत सिंह के नेतृत्व में पाकिस्तान के 8 आर्म्ड ब्रिगेड को पूरी तरह से तबाह किया था। 1971 के युद्ध में असाधारण पराक्रम के लिए जनरल हणुत सिंह को ‘महावीर चक्र’ से सम्मानित किया गया था।
पाकिस्तान ने भी माना लोहा
बसंतारा युद्ध में पाकिस्तानी सेना ने भी उनका लोहा माना। इस बहादुरी के लिए दुश्मन सेना पाकिस्तान ने भी 17 पूना हार्स रेजीमेंट को ‘फा ए हिंद’ की उपाधि से नवाजा था। जनरल हणुत सिंह असाधारण प्रतिभा के धनी थे। सेना में मौजूद टैंकों का मैनुअल भी जनरल हणुत सिंह ने लिखा।
देश-विदेश से पहुंच रहे लोग
हणुत सिंह के अनुयायी कुंवर नृपेंद्र सिंह ने बताया कि उनके महासमाधि में लीन होने की खबर सुनकर देश-विदेश से लोग दून पहुंचना शुरू हो गए हैं। राजस्थान के राजघरानों से भी कई शख्सियतें दून पहुंची हैं। रविवार को कई वीवीआईपी के दून पहुंचने की संभावना है। सोमवार को अंतिम संस्कार होगा, लेकिन कैसे होगा इस पर अनुयायी अभी स्थिति साफ नहीं कर पाए हैं।
कुर्सी पर ली समाधि
आश्रम में मौजूद अनुयायी बताते हैं कि शुक्रवार सुबह वह ध्यान में बैठे और इसके बाद वह आंखें खोलकर उसी कुर्सी पर बैठे हैं। पिछले 24 घंटे में सिर्फ उनकी गर्दन झुकी है। जबकि सांस और नब्ज शनिवार सुबह से नहीं चल रही है।
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