एवरेस्ट फतह 50 डिग्री में रक्षा ड्यूटी से आसान : बछेंद्री
जैसलमेर ! पहली महिला एवरेस्ट पर्वतारोही बछेंद्री पाल ने कहा है कि रेगिस्तान में 50 डिग्री से भी अधिकतम तापमान में सीमा की रक्षा में ड्यूटी करने से आसान है एवरेस्ट पर चढ़ना। बछेंद्री पाल ने जैसलमेर पहुंचने पर रविवार सुबह संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि महिलाओं के लिए कोई भी कार्य कठिन नहीं है। किसी भी कार्य के लिए अगर कोई मेहनत करे तो उसे कोई रोक नहीं सकता। जब महिला एवरेस्ट पर पहुंच सकती है तो कोई भी लक्ष्य उसकी पहुंच से बाहर नहीं है।
सीमा सुरक्षा बल की स्थापना के 50वें वर्ष के तहत आयोजित होने वाले कार्यक्रमों की कड़ी में महिला केमल सफारी जैसलमेर पहुंची है। 24 फरवरी को गुजरात के भुज से रवाना हुई ये केमल सफारी देश की सीमा से सटे गांवों से होती हुई जैसलमेर पहुंची। यह सफारी सीमा से लगे गांवों-शहरों से होती हुई अटारी बाघा बार्डर पर संपन्न होगी। यह यात्रा करीब 2,300 किलोमीटर का सफर पूरा करेगी।
महिला केमल सफारी में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन की 27 महिलाएं शामिल हैं, जिनका नेतृत्व भारत की पहली एवरेस्ट पर्वतारोही बछेंद्री पाल एवं पद्मश्री प्रेमलता अग्रवाल कर रही हैं।
महिला सशक्तीकरण का संदेश लिए भुज से रवाना हुई इस केमल सफारी ने बीएसएफ की रायथनवाला सीमा चौकी से जैसलमेर में प्रवेश किया। भुज से ऊंटों पर रवाना हुए महिलाओं के दल ने महिला सशक्तीकरण का अनुपम उदाहरण सबके सामने रखा है।
महिलाओं ने भुज से रवाना होकर जैसलमेर तक ऊंटों पर सफर किया। सीमा सुरक्षा बल से प्रशिक्षण प्राप्त महिलाएं जवानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर देश की रक्षा भी कर रही हैं। एडवेंचर अभियानों में भी हिस्सा लेकर अपना जज्बा बता रही हैं।
सफारी का उद्देश्य सीमा क्षेत्र के लोगों के दिल में देश प्रेम की भावना का संचार करना और सीमा सुरक्षा बल के प्रति सद्भावना पैदा करना एवं नौजवानों को सीमा सुरक्षा बल के प्रति आकर्षित करना है। 24 फरवरी से शुरू हुई सफारी भुज से शुरू होकर पाकिस्तान के साथ लगी अंतरराष्ट्रीय सीमा में भारत के सीमाई गांव से गुजरती हुई 22 मार्च को अटारी पर र्रिटीट के दौरान समाप्त होगी।
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