भगवती श्री सीता जी की महिमा अपार है। वेद, शास्त्र, पुराण, इतिहास तथा धर्मशास्त्रों में इनकी अनंत महिमा का वर्णन है। ये भगवान् श्रीराम की प्राणप्रिया आद्याशक्ति हैं। ये सर्वमंगलदायिनी, त्रिभुवन की जननी तथा भक्ति और मुक्ति का दान करने वाली हैं। महाराज सीरध्वज जनक की यज्ञ भूमि से कन्या रूप में प्रकट हुई भगवती सीता ही संसार का उद्भव, स्थिति और संहार करने वाली पराशक्ति हैं। ये पतिव्रताओं में शिरोमणि तथा भारतीय आदर्शों की अनुपम शिक्षिका हैं।
आज फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि है। इस दिन को सीता अष्टमी के रूप में मनाया जाता है। निर्णय सिंधु के कल्पतरु ग्रंथ के मतानुसार आज के दिन पृथ्वी के गर्भ से माता सीता का जन्म हुआ था। कुछ विद्वानों का मत है की माता सीता का जन्म वैशाख शुक्ल नवमी को हुआ था। आज के दिन माता सीता के पूजन का विशेष महत्व है।
सर्वप्रथम गणेश जी एवं माता अंबिका का पूजन करने के उपरांत माता सीता का पूजन करें। पूजन में निम्न ध्यान मंत्र का उच्चारण करें-
ताटम मण्डलविभूषितगण्डभागां,
चूडामणिप्रभृतिमण्डनमण्डिताम्।
कौशेयवस्त्रमणिमौक्तिकहारयुक्तां,
ध्यायेद् विदेहतनयां शशिगौरवर्णाम्।।
आज फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि है। इस दिन को सीता अष्टमी के रूप में मनाया जाता है। निर्णय सिंधु के कल्पतरु ग्रंथ के मतानुसार आज के दिन पृथ्वी के गर्भ से माता सीता का जन्म हुआ था। कुछ विद्वानों का मत है की माता सीता का जन्म वैशाख शुक्ल नवमी को हुआ था। आज के दिन माता सीता के पूजन का विशेष महत्व है।
सर्वप्रथम गणेश जी एवं माता अंबिका का पूजन करने के उपरांत माता सीता का पूजन करें। पूजन में निम्न ध्यान मंत्र का उच्चारण करें-
ताटम मण्डलविभूषितगण्डभागां,
चूडामणिप्रभृतिमण्डनमण्डिताम्।
कौशेयवस्त्रमणिमौक्तिकहारयुक्तां,
ध्यायेद् विदेहतनयां शशिगौरवर्णाम्।।
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