जयपुर। प्रदेश में कन्या भ्रूण हत्या रोकने व भ्रूण लिंग जांच को रोकने के लिए अभी तक गर्भवती महिलाओं के लिए ही स्टेट पीसीपीएनडीटी सेल ने नियम-कायदे बनाए हैं। अब सेल ने गर्भवती महिलाओं की सोनोग्राफी कराने वाले संबंधित चिकित्सकों के लिए भी नियम बनाने शुरू कर दिए हैं।
सेल ने हाल ही में फार्म एफ में एक नया नियम जोड़ दिया है कि सरकारी अस्पताल में चाहे आउटडोर हो या वार्ड, वहां आने वाली गर्भवती महिला की सोनोग्राफी कराने के लिए चिकित्सक को पर्ची लिखनी होगी और अपना नाम और रजिस्ट्रेशन नंबर भी लिखना होगा।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार स्टेट पीसीपीएनडीटी सेल ने गर्भवती महिलाओं से गर्भ की जांच से पहले अस्पतालों में भरवाए जाने वाले फार्म एफ में कुछ और बदलाव किए हैं, ताकि कन्या भ्रूण हत्या और लिंग परीक्षण पर लगाम कसी जा सके।
जानकारी के अनुसार फार्म एफ के सेक्शन ए के बिंदु संख्या 7 में सब क्लॉज बी विशेष्ा तौर पर जोड़ा गया है। जिसमें स्पष्ट किया गया है कि अगर किसी भी चिकित्सक को सरकारी अस्पताल या निजी अस्पताल में किसी भी गर्भवती महिला के गर्भ की जांच करानी है तो चिकित्सक को बाकायदा पर्ची भरनी होगी और पर्ची पर अपना नाम और रजिस्ट्रेशन नंबर लिखना होगा।
पर्ची पर होगा डॉक्टर का नाम व पता
सेल के अधिकारियों के मुताबिक चिकित्सक की लिखी पर्ची को फार्म एफ के साथ ही संभाल कर रखा जाएगा, जिससे जरूरत पड़ने पर जांचा-परखा जाएगा कि किस चिकित्सक ने किस महिला की सोनोग्राफी के लिए पर्ची लिखी थी और सोनोग्राफी लिखने के क्या कारण थे।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस नए नियम से गर्भवती महिलाओं की सोनोग्राफी को चिकित्सक बेहद ही सोच-समझ कर लिखेंगे, क्योंकि सोनोग्राफी लिखने वाले चिकित्सक का नाम व पता और उसका रजिस्ट्रेशन नंबर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के पास मौजूद रहेगा। इससे पता चल जाएगा कि डॉक्टर ने क्यों और किस कारण से जांच के लिए लिखा है।
सेल ने हाल ही में फार्म एफ में एक नया नियम जोड़ दिया है कि सरकारी अस्पताल में चाहे आउटडोर हो या वार्ड, वहां आने वाली गर्भवती महिला की सोनोग्राफी कराने के लिए चिकित्सक को पर्ची लिखनी होगी और अपना नाम और रजिस्ट्रेशन नंबर भी लिखना होगा।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार स्टेट पीसीपीएनडीटी सेल ने गर्भवती महिलाओं से गर्भ की जांच से पहले अस्पतालों में भरवाए जाने वाले फार्म एफ में कुछ और बदलाव किए हैं, ताकि कन्या भ्रूण हत्या और लिंग परीक्षण पर लगाम कसी जा सके।
जानकारी के अनुसार फार्म एफ के सेक्शन ए के बिंदु संख्या 7 में सब क्लॉज बी विशेष्ा तौर पर जोड़ा गया है। जिसमें स्पष्ट किया गया है कि अगर किसी भी चिकित्सक को सरकारी अस्पताल या निजी अस्पताल में किसी भी गर्भवती महिला के गर्भ की जांच करानी है तो चिकित्सक को बाकायदा पर्ची भरनी होगी और पर्ची पर अपना नाम और रजिस्ट्रेशन नंबर लिखना होगा।
पर्ची पर होगा डॉक्टर का नाम व पता
सेल के अधिकारियों के मुताबिक चिकित्सक की लिखी पर्ची को फार्म एफ के साथ ही संभाल कर रखा जाएगा, जिससे जरूरत पड़ने पर जांचा-परखा जाएगा कि किस चिकित्सक ने किस महिला की सोनोग्राफी के लिए पर्ची लिखी थी और सोनोग्राफी लिखने के क्या कारण थे।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस नए नियम से गर्भवती महिलाओं की सोनोग्राफी को चिकित्सक बेहद ही सोच-समझ कर लिखेंगे, क्योंकि सोनोग्राफी लिखने वाले चिकित्सक का नाम व पता और उसका रजिस्ट्रेशन नंबर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के पास मौजूद रहेगा। इससे पता चल जाएगा कि डॉक्टर ने क्यों और किस कारण से जांच के लिए लिखा है।
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