जयपुर। नरक-सी अंधेरी कोठरी... 8-10 साल के 35 मासूम... और सिर पर मंडराता निर्दयी। खाने के नाम पर सूखे चावल वो भी दिन में सिर्फ एक बार। दिन के 20 घंटे हाड़तोड़ काम। जरा-सी झपकी आते ही डंडे से पिटाई...और रूलाई फूटी तो और मार।
जुल्म की इंतेहा यहीं खत्म नहीं होती, दो महीने में एक बार भी नहाने नहीं दिया...मैल से चमड़ी कट गई...पर उन दरिंदों को रहम ना आया। भला हो मुखबिर का जिसने पुलिस को सूचना दी और पुलिस ने उन्हें मुक्त करा लिया, नहीं तो बचपन यूं ही सिसकियां भरता रहता।
दिल को झकझोर देने वाली ये दास्तां है जयसिंहपुरा खोर की शिव वाटिका कॉलोनी से शनिवार को मुक्त कराए 35 बाल श्रमिकों की। सभी से कॉलोनी के मकान नंबर 9 के तहखाने में बंधक बना चूडियां बनवाई जाती थीं।
बच्चों को पढ़ाने-काम दिलाने के नाम पर बिहार के समस्तीपुर से लाया गया था। बच्चों को लाने वाले बिहार निवासी अकबर खान को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। बच्चों को बाल कल्याण समिति को सौंप दिया है।
लालटेन की रोशनी में काम
तहखाने में हवा और रोशनी पर्याप्त नहीं थी। बच्चों से लालटेन की रोशनी में काम कराया जाता था। जरा-सी गलती होने पर पीटा जाता था।
खुल नहीं पा रहे मुंह
बच्चों के होंठ बुरी तरह फटे हुए हैं। चमड़ी कटने से गले पर घाव बन गए हैं। पीने के लिए भी पूरा पानी न मिलने से इनके मुंह भी ठीक से नहीं खुल पाते।
दरिंदगी के निशान
बच्चों के पूरे शरीर पर दरिंदगी के निशान हैं। माथे से पांव तक पिटाई के कारण बने घाव तो हैं ही, एलर्जी से भी घाव बन गए हैं।
इसलिए नहीं नहाने दिया?
नहाने के लिए पानी और समय दोनों लगते। सर्दी के कारण पानी भी गर्म देना पड़ता।
काम सिखाने और पढ़ाने की कहकर लाया था
पुलिस की ओर से बच्चों से पूछताछ में सामने आया है कि आरोपित अकबर खान बच्चों के माता-पिता से काम सिखाने और पढ़ाने की बात कहकर जयपुर लाया था।
बच्चों के परिजन को कुछ पैसे भी देने की बात सामने आ रही है। मानव तस्करी विरोधी यूनिट में कांस्टेबल अरविंद कुमार और उनकी टीम दो वष्ाü में 61 जगह कार्रवाई कर 784 बच्चों को मुक्त करा चुके हैं।
अधिकांश बच्चे बिहार, झारखंड के
अरविंद ने बताया कि मुक्त कराए अधिकांश बच्चे बिहार, झारखण्ड व छत्तीसगढ़ राज्य के रहने वाले हैं। ये कार्रवाइयां मुखबिर की सूचना पर राजधानी के भट्टा बस्ती, शास्त्रीनगर, ब्रह्मपुरी, संजय सर्कल, विद्याधर नगर व गलता गेट आदि थाना क्षेत्र में की है। -
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