जयपुर। अधीक्षण अभियंता अपने विभाग से वाहन का किराया एक महीने में दो-दो बार उठाता रहा। यह सिलसिला नौ महीने तक जारी रहा। सरकार को लाखों का नुकसान हुआ। यह विभाग की जांच में सामने आया। मामला ग्रामीण विकास विभाग का है। किराए पर जिस वाहन का इस्तेमाल किया उसके कार्यादेश ही जारी नहीं हुए।
सूचना के अधिकार से प्राप्त सूचना पर शिकायत मिलने के बाद विभाग के अधीक्षण अभियंता के के शर्मा ने इसकी जांच की। इसमें विभाग में कार्यरत अधीक्षण अभियंता हित वल्लभ शर्मा पर लगे आरोपों की पुष्टि हुई है।
दौरे के लिए शर्मा ने किराए पर जिन कम्पनियों की गाड़ी का इस्तेमाल किया, उनको कार्यादेश ही जारी नहीं किया गया था। इसके बावजूद वे इन कम्पनियों से किराए का बिल लेकर भुगतान उठाते रहे। हित वल्लभ शर्मा ने मुख्यमंत्री ग्रामीण बीपीएल आवास योजना, इंदिरा आवास योजना में निरीक्षण के दौरान किराए की रकम उठाई।
मामले को दबाने के लिए शर्मा ने रकम राज्य मद से लेने की बजाय बाड़मेर, बांसवाड़ा, श्रीगंगानगर, करौली जिला परिष्ाद् से किराया उठा लिया। इन जिला परिष्ाद्ों से वाहनों के पेटे 5 लाख 45 हजार रूपए का भुगतान किया गया।
सरकार और लोकायुक्त को किया गुमराह
जांच रिपोर्ट के अनुसार शर्मा ने बिना कार्यादेश, बिना लॉगबुक, बिना उपस्थिति पत्रक और बिना वाहन संख्या के एक ही वाहन का 9 माह तक माह में दो बार किराया उठाया। यह लेखा एवं वित्तीय नियमों का उल्लंघन है। इसमें यह भी कहा है कि शर्मा ने राज्य सरकार और लोकायुक्त को भी गुमराह किया है। के के शर्मा ने यह रिपोर्ट पिछले माह ही ग्रामीण विकास विभाग के उच्च अधिकारियों को सौंपी है।
अनुमति दे रखी थी
"ग्रामीण विकास सचिव ने अनुमति दे रखी है कि 1500 किलोमीटर से ज्यादा गाड़ी चलती है तो किराया उठा लिया जाए। यह रिपोर्ट मेरे जूनियर ने तैयार की है। गाड़ी अधिकारियों के अनुमोदन से चली है और भुगतान भी उनकी अनुमति से ही हुआ है। बजट नहीं होने पर जिला परिष्ाद् से पैसा उठाया गया।" हित वल्लभ शर्मा, तत्कालीन अधीक्षण अभियंता, ग्रामीण विकास विभाग -
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