राजसमंद। पेट्रोल- डीजल की कीमतों में लगातार पांच माह से दस फीसदी तक गिरावट आई, मगर बस किराए में न तो कोई कमी हुई और न ही किराया घटने की उम्मीद है। ट्रांसपोर्ट किराया जरूर घटा, मगर टैक्सी वाले अब भी बढ़ा किराया ही वसूल रहे हैं।
इधर, ऑटो चालक अवैध संचालन कर मनमाना किराया वसूल रहे हैं, मगर न तो प्रशासन द्वारा ध्यान दिया जा रहा है और न ही परिवहन महकमा गंभीर है। महंगाई का सेंसेक्स भले ही गिर गया, मगर ऑटो, टैक्सी किराया आमजन के लिए मुसीबत बन गया है।
आमतौर पर डीजल की दर बढ़ने के साथ राजस्थान रोडवेज, बस ऑपरेटर व ऑटो संचालक किराया बढ़ा देते हैं। अरसे बाद ऎसा हुआ कि पेट्रोल डीजल की कीमत कम हुई। एक माह पहले डीजल 6 2.25 रूपए प्रति लीटर था, जो अब 56 .58 रूपए रह गया।
पांच माह पहले पेट्रोल 77.40 रूपए प्रति लीटर था, जो अब 6 7.58 रूपए प्रति लीटर रह गया है। ऎसे में करीब दस फीसदी दर गिरने के बावजूद किराए में कमी नहीं हुई। फिर भी न तो जिला प्रशासन द्वारा कोई ध्यान दिया गया और न ही परिवहन विभाग गंभीर है।
नहीं घटा टैक्सी किराया
डीजल के दाम सर्वाधिक 6 2.15 रूपए होने पर इनोवा की दर प्रति किमी 10 से 11 रूपए वसूले जा रहे थे, जबकि बोलेरा, टोयटो आदि टैक्सी का किराया 9 से 10 रूपए प्रति किमी लिया जा रहा है। मौजूदा डीजल के दाम 56 .58 रूपए के आधार पर टैक्सी किराया 7 से 8 रूपए प्रति किमी. ही उचित है।
सरकारी पेंच भी है रोड़ा
रोडवेज, प्राइवेट बसों का किराया सरकार ही तय करती है। सरकार की नजर में ऑटो का संचालन सुविधा के तहत हो रहा है, जबकि सब जगह स्टेट केरिज की तरह सवारी में ऑटो का अवैध संचालन किया जा रहा है। सरकार ने सुविधा के तहत प्रति प्रथम किलोमीटर पर 15 रूपए किराया तय कर रखा है।
ऎसी स्थिति में सरकार द्वारा तय किराया ऑटो पर किसी तरह से लागू नहीं हो रहा है। इसलिए प्रशासन व परिवहन विभाग ऑटो का किराया तय कर सकता है, जबकि निजी बसों व रोडवेज बस किराया घटाने के लिए प्रशासन द्वारा राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा जा सकता है।
इनका कहना है...
बस का किराया सरकार के नोटिफिकेशन से तय होता है। ऑटो का सवारी पर संचालन अवैध है। वैसे सुविधा परमिट पर प्रथम एक किमी 15 रूपए तय है।
वीरेन्द्रसिंह राठौड़, जिला परिवहन अधिकारी
नहीं घटी खाद्यान्न सामग्री की दर
अन्तर्राज्यीय ट्रांसपोर्ट किराए में थोड़ा कम जरूर हुआ, मगर प्रदेश का आंतरिक ट्रांसपोर्ट किराया कम नहीं हो पाया है। इसके चलते बाजार में खाद्यान्न ऑटो मोबाइल के साथ किसी भी तरह की वस्तुओं के दाम कम नहीं हो पाए हैं। राजसमंद से मुंबई या दिल्ली तक ट्रक किराए में जरूर एक से दो हजार रूपए किराया कम हुआ, मगर प्रदेश के आंतरिक ट्रांसपोर्ट किराए में कमी नहीं हो पाई है।
रात में तिगुना किराया
ऑटो संचालक दिन की अपेक्षा रात में दोगुना व तिगुना किराया
वसूलते हैं। दूरी चाहे कितनी भी हो, ऑटो चालक मनमर्जी
से ही किराया मांगते हैं और लोग भी देने को मजबूर हैं।
इसकी शिकायत परिवहन अधिकारी से लेकर प्रशासन
तक कई शिकायतें हो गई, मगर किसी भी स्तर पर
ध्यान नहीं दिया गया। ऑटो का परमिट सुविधा संचालन
का ही है, मगर स्टेट रूट पर अवैध संचालन कर सवारियां बिठा रहे हैं।
छह माह में घटे- बढ़े दाम
तारीख --- पेट्रोल
1 अप्रैल -- 75.93
7 जून -- 75.05
1 जुलाई -- 77.40
1 अगस्त -- 76.26
15 अगस्त -- 73.97
31 अगस्त -- 72.06
1 अक्टूबर -- 71.38
15 अक्टूबर -- 70.11
1 नवम्बर -- 67.58
तारीख--- डीजल
1 अपै्रल-- 58.27
1 जून -- 60.15
1 जून -- 60.15
1 अगस्त -- 61.35
2 अगस्त-- 61.45
31 अगस्त --62.15
1 अक्टूबर -- 62.25
19 अक्टूबर -- 58.81
1 नवम्बर -- 56.58
(नोट : राजसमंद शहर की दर, अन्य तहसील में कुछ अन्तर संभव है।)
यूं समझे डीजल भाव व महंगाई का गणित
डीजल दर के आधार पर ही माल भाड़े में कटौती एवं बढ़ोतरी होती है। अगर डीजल के भाव घटते हैं, तो माल भाड़ा कम हो जाता है। उदाहरण के तौर पर जयपुर, अहमदाबाद या अन्य किसी स्थान से कोई माल हमारे यहां आता है, तो उसके परिवहन किराए में डीजल के घटे भाव के मुताबिक 10 प्रतिशत कमी आनी चाहिए। इसकी वजह से इस माल का बाजार मूल्य भी कम हो जाएगा। लेकिन किसी भी स्तर पर भाव घटने में कोई प्रतिक्रिया नहीं आती। ऎसे में महंगाई यथावत रह जाती है।
ट्रांसपोर्ट किराया घटने पर ही खाद्यान्न के साथ बाजार में किसी तरह की वस्तु की दर घटना संभव है। डीजल के दाम घटे है तो निश्चित तौर पर ट्रांसपोर्ट भाड़ा घटना ही चाहिए। जब भी पचास से एक रूपया भी डीजल के दाम बढ़ते हैं तो ट्रांसपोर्ट का किराया बढ़ा दिया जाता है, तो अब घटाना भी होगा।
महेन्द्र देवपुरा, खाद्यान्न व्यापारी
गत पांच से छह माह में करीब दस फीसदी तक पेट्रोल व डीजल की दर में गिरावट आई है। पेट्रोल में करीब 10 रूपए कम हुए, जबकि डीजल करीब 6 रूपए सस्ता हुआ है। दूरी के लिहाज से अन्य तहसीलों में कुछ पैसे का अन्तर संभव है। -
इधर, ऑटो चालक अवैध संचालन कर मनमाना किराया वसूल रहे हैं, मगर न तो प्रशासन द्वारा ध्यान दिया जा रहा है और न ही परिवहन महकमा गंभीर है। महंगाई का सेंसेक्स भले ही गिर गया, मगर ऑटो, टैक्सी किराया आमजन के लिए मुसीबत बन गया है।
आमतौर पर डीजल की दर बढ़ने के साथ राजस्थान रोडवेज, बस ऑपरेटर व ऑटो संचालक किराया बढ़ा देते हैं। अरसे बाद ऎसा हुआ कि पेट्रोल डीजल की कीमत कम हुई। एक माह पहले डीजल 6 2.25 रूपए प्रति लीटर था, जो अब 56 .58 रूपए रह गया।
पांच माह पहले पेट्रोल 77.40 रूपए प्रति लीटर था, जो अब 6 7.58 रूपए प्रति लीटर रह गया है। ऎसे में करीब दस फीसदी दर गिरने के बावजूद किराए में कमी नहीं हुई। फिर भी न तो जिला प्रशासन द्वारा कोई ध्यान दिया गया और न ही परिवहन विभाग गंभीर है।
नहीं घटा टैक्सी किराया
डीजल के दाम सर्वाधिक 6 2.15 रूपए होने पर इनोवा की दर प्रति किमी 10 से 11 रूपए वसूले जा रहे थे, जबकि बोलेरा, टोयटो आदि टैक्सी का किराया 9 से 10 रूपए प्रति किमी लिया जा रहा है। मौजूदा डीजल के दाम 56 .58 रूपए के आधार पर टैक्सी किराया 7 से 8 रूपए प्रति किमी. ही उचित है।
सरकारी पेंच भी है रोड़ा
रोडवेज, प्राइवेट बसों का किराया सरकार ही तय करती है। सरकार की नजर में ऑटो का संचालन सुविधा के तहत हो रहा है, जबकि सब जगह स्टेट केरिज की तरह सवारी में ऑटो का अवैध संचालन किया जा रहा है। सरकार ने सुविधा के तहत प्रति प्रथम किलोमीटर पर 15 रूपए किराया तय कर रखा है।
ऎसी स्थिति में सरकार द्वारा तय किराया ऑटो पर किसी तरह से लागू नहीं हो रहा है। इसलिए प्रशासन व परिवहन विभाग ऑटो का किराया तय कर सकता है, जबकि निजी बसों व रोडवेज बस किराया घटाने के लिए प्रशासन द्वारा राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा जा सकता है।
इनका कहना है...
बस का किराया सरकार के नोटिफिकेशन से तय होता है। ऑटो का सवारी पर संचालन अवैध है। वैसे सुविधा परमिट पर प्रथम एक किमी 15 रूपए तय है।
वीरेन्द्रसिंह राठौड़, जिला परिवहन अधिकारी
नहीं घटी खाद्यान्न सामग्री की दर
अन्तर्राज्यीय ट्रांसपोर्ट किराए में थोड़ा कम जरूर हुआ, मगर प्रदेश का आंतरिक ट्रांसपोर्ट किराया कम नहीं हो पाया है। इसके चलते बाजार में खाद्यान्न ऑटो मोबाइल के साथ किसी भी तरह की वस्तुओं के दाम कम नहीं हो पाए हैं। राजसमंद से मुंबई या दिल्ली तक ट्रक किराए में जरूर एक से दो हजार रूपए किराया कम हुआ, मगर प्रदेश के आंतरिक ट्रांसपोर्ट किराए में कमी नहीं हो पाई है।
रात में तिगुना किराया
ऑटो संचालक दिन की अपेक्षा रात में दोगुना व तिगुना किराया
वसूलते हैं। दूरी चाहे कितनी भी हो, ऑटो चालक मनमर्जी
से ही किराया मांगते हैं और लोग भी देने को मजबूर हैं।
इसकी शिकायत परिवहन अधिकारी से लेकर प्रशासन
तक कई शिकायतें हो गई, मगर किसी भी स्तर पर
ध्यान नहीं दिया गया। ऑटो का परमिट सुविधा संचालन
का ही है, मगर स्टेट रूट पर अवैध संचालन कर सवारियां बिठा रहे हैं।
छह माह में घटे- बढ़े दाम
तारीख --- पेट्रोल
1 अप्रैल -- 75.93
7 जून -- 75.05
1 जुलाई -- 77.40
1 अगस्त -- 76.26
15 अगस्त -- 73.97
31 अगस्त -- 72.06
1 अक्टूबर -- 71.38
15 अक्टूबर -- 70.11
1 नवम्बर -- 67.58
तारीख--- डीजल
1 अपै्रल-- 58.27
1 जून -- 60.15
1 जून -- 60.15
1 अगस्त -- 61.35
2 अगस्त-- 61.45
31 अगस्त --62.15
1 अक्टूबर -- 62.25
19 अक्टूबर -- 58.81
1 नवम्बर -- 56.58
(नोट : राजसमंद शहर की दर, अन्य तहसील में कुछ अन्तर संभव है।)
यूं समझे डीजल भाव व महंगाई का गणित
डीजल दर के आधार पर ही माल भाड़े में कटौती एवं बढ़ोतरी होती है। अगर डीजल के भाव घटते हैं, तो माल भाड़ा कम हो जाता है। उदाहरण के तौर पर जयपुर, अहमदाबाद या अन्य किसी स्थान से कोई माल हमारे यहां आता है, तो उसके परिवहन किराए में डीजल के घटे भाव के मुताबिक 10 प्रतिशत कमी आनी चाहिए। इसकी वजह से इस माल का बाजार मूल्य भी कम हो जाएगा। लेकिन किसी भी स्तर पर भाव घटने में कोई प्रतिक्रिया नहीं आती। ऎसे में महंगाई यथावत रह जाती है।
ट्रांसपोर्ट किराया घटने पर ही खाद्यान्न के साथ बाजार में किसी तरह की वस्तु की दर घटना संभव है। डीजल के दाम घटे है तो निश्चित तौर पर ट्रांसपोर्ट भाड़ा घटना ही चाहिए। जब भी पचास से एक रूपया भी डीजल के दाम बढ़ते हैं तो ट्रांसपोर्ट का किराया बढ़ा दिया जाता है, तो अब घटाना भी होगा।
महेन्द्र देवपुरा, खाद्यान्न व्यापारी
गत पांच से छह माह में करीब दस फीसदी तक पेट्रोल व डीजल की दर में गिरावट आई है। पेट्रोल में करीब 10 रूपए कम हुए, जबकि डीजल करीब 6 रूपए सस्ता हुआ है। दूरी के लिहाज से अन्य तहसीलों में कुछ पैसे का अन्तर संभव है। -
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