वाशिंगटन। एक तरफ दुनिया के तमाम देश परमाणु निरस्त्रीकरण की बात कर रहे हैं वहीं दक्षिण एशियाई देश पाकिस्तान अपना परमाणु कार्यक्रम तेजी से बढ़ा रहा है या बढ़ाने वाला है।
इस बाबत एक शीर्ष अमेरिकी थिंकटैंक ने कहा कि दुनिया के कई देश जहां अपनी परमाणु क्षमता में कटौती कर रहे हैं, वहीं एशिया के देश इसमें बढ़ोतरी कर रहे हैं।
काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस (सीएफआर) का मानना है कि पाकिस्तान के पास 2020 तक पाकिस्तान के पास इतनी परमाणु सामग्री होगी कि उससे 200 परमाणु हथियार बन सकते हैं।
जार्ज मैसन यूनिवर्सिटी के ग्रेगरी कोब्लेनज की ओर से तैयार रिपोर्ट `स्ट्रैटजिक स्टैबिलिटी इन द सेकंड न्यूक्लियर ऎज` में दक्षिण एशिया को अनसुलझे क्षेत्रीय विवादों, सीमा पार आंतकवाद और बढ़ते परमाणु हथियारों के विस्फोटक मिश्रण के कारण रणनीतिक स्थिरता में कमी के खतरे वाला क्षेत्र माना गया।
रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान का पूरी तरह ध्यान भारत से उत्पन्न होने वाले खतरे को लेकर है। पाकिस्तान ने लड़ाकू विमान, बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलों सहित परमाणु हथियारों के लिए 11 डिलीवरी सिस्टम विकसित किया है या विकसित कर रहा है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पाकिस्तान ने औपचारिक रूप से परमाणु हथियारों का प्रयोग नहीं करने की घोषणा नहीं किया है। पाकिस्तान ने संकेत दिया है कि वह मुख्य रूप से अपनी क्षेत्रीय अखंडता या क्षेत्र को बचाने की कोशिश कर रहा है।
रिपोर्ट की माने तो पाकिस्तान परमाणु हथियार जब्त करने के लिए मिलिट्री ऑपरेशन चलाने की अमेरिकी क्षमता से भी चिंतित है।
सीएफआर का अनुमान है कि भारत के पास 90 से 100 के बीच परमाणु हथियार बनाने के लिए पर्याप्त सामग्री है और वह अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ा रहा है।
वहीं चीन के पास मध्यम, इंटरमीडिएट और अंतरमहाद्वीपीय दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों के डिलीवरी के लिए 250 परमाणु हथियार हैं। -
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें