नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को पेंशनभोगियों के लिए आधार संख्या आधारित डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र कार्यक्रम (जीवन प्रमाण) की शुरूआत की जिससे देश के एक करोड़ से अधिक पेंशनरों को लाभ होगा।
मोदी ने इसकी शुरूआत करते हुए कहा कि स्व प्रमाणन के बाद डिजिटल जीवन प्रमाणन पत्र से आम लोगों को बहुत अधिक लाभ होगा। पेंशनभोगियों को प्रति वर्ष नवंबर में पेंशन भुगतान करने वाली एजेंसी के पास स्वयं उपस्थित होकर जीवित होने का प्रमाण या इस संबंध में लिखित प्रमाण पत्र देना पड़ता है और उसके बाद पेंशन विभाग पेंशनर के खाते में भुगतान करती है।
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने एक सॉफ्टवेयर विकसित किया है जोे मोबाइल या कंप्यूटर पर पेंशनभोगियों के आधार संख्या का रिकॉडिट्वग करेगा और बायोमिट्रिक्स तैयार करेगा।
इसके माध्यम से जिस समय पेंशनभोगी के बारे में बायोमिट्रिक्स के माध्यम से संग्रहित आंकडो को देखा जाएगा तब इसको संग्रहित करने का समय और तिथि आदि की पूरी जानकारी मिल जाएगी और उसी समय पर केन्द्रीय डाटा बेस में सुरक्षित हो जाएगा।
इसके माध्यम से पेंशन भुगतान करने वाली एजेंसी को डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र भी प्राप्त हो जाएगा। इससे यह भी साबित हो जाएगा कि जिस समय ये आंकडे संग्रहित किए गए उस समय पेंशनभोगी जीवित था। अभी केन्द्रीय पेंशन वाले 50 लाख लोग है और इतने ही लोग राज्य और संघ शासित प्रदेशों के हैं जिन्हें पेशन मिलता है।
कुछ सरकारी कंपनियों के कर्मचारियों को पेंशन मिलता है। करीब 25 लाख सैन्यकर्मियों को भी पेंशन मिलता है। अब आधार संख्या आधारित इस डिजिटल जीवन प्रमाणन से पेंशन पाने वाले वरिष्ठ नागरिकों को बड़ी राहत मिलेगी।
पेंशनभोगियों को इससे जुड़ा सॉफ्टवेयर उपलब्ध कराया जाएगा और इसके लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। इसका परिचालन किसी कंप्यूटर या स्मार्टफोन के माध्यम से किया जा सकेगा।
मोदी ने इसकी शुरूआत करते हुए कहा कि स्व प्रमाणन के बाद डिजिटल जीवन प्रमाणन पत्र से आम लोगों को बहुत अधिक लाभ होगा। पेंशनभोगियों को प्रति वर्ष नवंबर में पेंशन भुगतान करने वाली एजेंसी के पास स्वयं उपस्थित होकर जीवित होने का प्रमाण या इस संबंध में लिखित प्रमाण पत्र देना पड़ता है और उसके बाद पेंशन विभाग पेंशनर के खाते में भुगतान करती है।
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने एक सॉफ्टवेयर विकसित किया है जोे मोबाइल या कंप्यूटर पर पेंशनभोगियों के आधार संख्या का रिकॉडिट्वग करेगा और बायोमिट्रिक्स तैयार करेगा।
इसके माध्यम से जिस समय पेंशनभोगी के बारे में बायोमिट्रिक्स के माध्यम से संग्रहित आंकडो को देखा जाएगा तब इसको संग्रहित करने का समय और तिथि आदि की पूरी जानकारी मिल जाएगी और उसी समय पर केन्द्रीय डाटा बेस में सुरक्षित हो जाएगा।
इसके माध्यम से पेंशन भुगतान करने वाली एजेंसी को डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र भी प्राप्त हो जाएगा। इससे यह भी साबित हो जाएगा कि जिस समय ये आंकडे संग्रहित किए गए उस समय पेंशनभोगी जीवित था। अभी केन्द्रीय पेंशन वाले 50 लाख लोग है और इतने ही लोग राज्य और संघ शासित प्रदेशों के हैं जिन्हें पेशन मिलता है।
कुछ सरकारी कंपनियों के कर्मचारियों को पेंशन मिलता है। करीब 25 लाख सैन्यकर्मियों को भी पेंशन मिलता है। अब आधार संख्या आधारित इस डिजिटल जीवन प्रमाणन से पेंशन पाने वाले वरिष्ठ नागरिकों को बड़ी राहत मिलेगी।
पेंशनभोगियों को इससे जुड़ा सॉफ्टवेयर उपलब्ध कराया जाएगा और इसके लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। इसका परिचालन किसी कंप्यूटर या स्मार्टफोन के माध्यम से किया जा सकेगा।
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