ब्लॉक स्तरीय कार्यशालाओं का आगाज
बाड़मेर फिल्ड टेस्ट किट से जल गुणवत्ता जाँच के गुर सिखाये
बाड़मेर राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के अंतर्गत बाड़मेर के हर ब्लॉक मे जल गुणवत्ता जाँच तालीमी कार्यशालाओं का आगाज बाड़मेर ब्लॉक से मंगलवार को हुआ। स्थानीय ओधोगिक क्षेत्र स्थित जल प्रयोगशाला मे कई लोगो ने इस कार्यशाला मे जाना अपने गाव के जल की गुणवत्ता जांचने के तरीके।जन स्वास्थ्य अभियांत्रिक विभाग वृत बाड़मेर के सीसीडीयू इकाई के आईईसी कंसल्टेंट अशोक सिंह ने बताया ने बताया कि राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के तहत जिले के आठों ब्लाकों में ब्लॉक स्तरीय फिल्ड टेस्ट किट कार्यशाला ओर जिला मुख्यालय बाड़मेर में जिला स्तरीय कार्यशाला का आयोजन की शुरुवात मंगलवार को अधीक्षण अभियंता नेमाराम परिहार के निर्देशन मे हुई । इस मोके पर प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए सहायक अभियंता शिवजी राम चौधरी ने कहा कि किसी स्थान से नमूना लेने से पहले उस स्थान की पूर्व जानकारी होना अत्यन्त आवश्यक है। जैसे कि उस स्थान का एक संक्षिप्त नक्शा, पानी का बहाव, पानी के प्रदूषण का स्रोत, उस पानी का इस्तेमाल, आस-पास का वातावरण तथा आबादी, इत्यादि।नदी अथवा नहर के पानी का नमूना इस प्रकार से लेना चाहिए कि उस पानी के प्रदूषण की पूरी दशा को दर्शाया जा सके। जब कोई नदी या नहर किसी फैक्टरी या और किसी स्रोत के कारण प्रदूषित हो जाती है तो नमूना नदी में उस गन्दगी से पहले और बाद की जगह से लेना चाहिए। इससे प्रदूषण की पूरी स्थिति का पता चल जाता है, साथ में तुलनात्मक आंकडे भी प्राप्त हो जाते हैं। इस अवशर जल प्रयोगशाला प्रभारी डाक्टर नेमीचंद खत्री ने कहा कि पानी में खनिज की मात्रा और अन्य लक्षण मसलन पीएच, चालकता, रंग और गंदलेपन की जांच प्रयोगशाला में की जाती है। प्रयोगों से किसी खास पानी में किसी तत्व की उपस्थिति और उसकी मात्रा का निर्धारण करने मे मदद मिलती है। अधिकतर परीक्षण प्रयोगशाला के उपकरण मसलन फ्लास्क, परखनली, पाइप, बीकर आदि के इस्तेमाल से अनुमापन विधि से किए जाते हैं। यह तकनीक अभी भी प्रभावी है। हालांकि अब स्पेक्ट्रोफोटोमीटर, क्रोमोग्राफ आदि आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल भी होने लगा है। इससे वैसे भी परीक्षण होने लगे हैं जहां अनुमापन विधि का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए एच आर दी जमील अहमद गोरी ने कहा कि जल के परीक्षण का मुख्य उद्देश्य जल की गुणवत्ता का आंकलन करना है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जल स्वच्छ है। किसी स्थान से नमूना लेने से पहले उस स्थान की पूर्व जानकारी होना अत्यन्त आवश्यक है। नदी अथवा नहर के पानी का नमूना इस प्रकार लेना चाहिए कि वह उस पानी के प्रदूषण की पूरी दशा को दर्शायें। नमूना परीक्षण के परिणाम तभी सही आते हैं जब नमूने को सही प्रकार से लिया जाये एवं खराबी से बचाया जाता है।राजपुरोहित के मुताबित राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के तहत नवंबर माह से जिले के आठों ब्लॉकों में कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा है ।जिसमें विभिन्न विषयों के जरिए जलबचत की सीख देने के साथ साथ ग्रामीणो को फिल्ड टेस्ट किट के जरिये जल गुणवत्ता जांचने का ज्ञान भी दिया जा रहा है । वही इसके बाद केंद्र सरकार के एनआरडीडब्ल्यूपी कार्यक्रम के तहत पेयजल स्त्रोतों के जल का फिल्ड टेस्ट किट से जांच की जाएगी। जांच के लिए फिल्ड टेस्ट किट हर गाव को उपलब्ध कराया जाएगा। फिल्ड टेस्ट किट कार्यशाला के बाद गाव गाव में तैयार हो रहे पानी के रिपोर्ट कार्ड बनने मे काफी राहत मिलेगी। इसके लिए हर गाव में मौजूदा पानी के स्रोतों के पानी को भी इकट्ठा किया जा रहा है। इस तरीके से जिला स्तर और ब्लॉक स्तर पर बनी जल प्रोगशालाओ तक हर गाव का पानी पहुंच जायेगा जिससे की हर गाव में मौजूद भूजल की जानकारी हासिल हो जाएगी। अलग-अलग जगहों पर भूजल में मौजूद रसायनो की जानकारी से सरकार अपनी नई योजनाये इस नए आधार के माध्यम से बनाएगी। इस पहल से सरकार को यह जानकारी मिल जाएगी की किस गाव में पानी पिने योग्य है और कहा का पानी जनता शरीर को नुकशान पंहुचा रहा है।जिन-जिन जगहों पर मौजूदा पानी जनता के लिए अत्यंत खराब है वह वह सरकार सीधा मीठा की योजना को धरा पर उतारेगी।फिल्ड टेस्ट किट के हर गाव तक पहुंच जाने से हर गाव का बाशिंदा खुद के गाव के पानी की जानकारी हासिल कर पाएंगे। इस अवशर पर प्रतिभागियों को प्रयोगशाला जांचकर्ता राजू माली ने भी समबोधित किया।
आज शिव मे कार्यशाला
जन स्वास्थ्य अभियांत्रिक विभाग वृत बाड़मेर के अधीक्षण अभियंता नेमाराम परिहार ने बताया कि राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के तहत जिले के आठों ब्लाकों में ब्लॉक स्तरीय फिल्ड टेस्ट किट कार्यशाला का आयोजन है जिसकी शुरुवात मंगलवार को प्रयोगशाला रिको बाड़मेर मे हुई। इन कार्यशालाओं मे अब बुधवार 19 नवंबर को सहायक अभियंता जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग कार्यालय शिव ,21 नवम्बर को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सिणधरी , 24 नवम्बर को सहायक अभियंता जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग कार्यालय बायतु , 25 नवम्बर को सहायक अभियंता जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग कार्यालय चोहटन , 26 नवम्बर को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र धोरीमन्ना ,28 नवम्बर को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सिवाना और 29 नवम्बर को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पचपदरा मे इन कार्यशालाओं का आयोेजन किया जायेगा। इन कार्यशालाओं के लिए जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग में ब्लॉक पर कार्यरत सहायक अभियंता को प्रभारी अधिकारी बनाया गया है वहीं कार्यशालाओं के रिसोर्सः प्रशन जूनियर कैमिस्ट नेमीचंद खत्री को बनाया गया है जमील अहमद गोरी इन कार्यशालाओं के समन्वयक बनाये गए है।
बाड़मेर फिल्ड टेस्ट किट से जल गुणवत्ता जाँच के गुर सिखाये
बाड़मेर राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के अंतर्गत बाड़मेर के हर ब्लॉक मे जल गुणवत्ता जाँच तालीमी कार्यशालाओं का आगाज बाड़मेर ब्लॉक से मंगलवार को हुआ। स्थानीय ओधोगिक क्षेत्र स्थित जल प्रयोगशाला मे कई लोगो ने इस कार्यशाला मे जाना अपने गाव के जल की गुणवत्ता जांचने के तरीके।जन स्वास्थ्य अभियांत्रिक विभाग वृत बाड़मेर के सीसीडीयू इकाई के आईईसी कंसल्टेंट अशोक सिंह ने बताया ने बताया कि राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के तहत जिले के आठों ब्लाकों में ब्लॉक स्तरीय फिल्ड टेस्ट किट कार्यशाला ओर जिला मुख्यालय बाड़मेर में जिला स्तरीय कार्यशाला का आयोजन की शुरुवात मंगलवार को अधीक्षण अभियंता नेमाराम परिहार के निर्देशन मे हुई । इस मोके पर प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए सहायक अभियंता शिवजी राम चौधरी ने कहा कि किसी स्थान से नमूना लेने से पहले उस स्थान की पूर्व जानकारी होना अत्यन्त आवश्यक है। जैसे कि उस स्थान का एक संक्षिप्त नक्शा, पानी का बहाव, पानी के प्रदूषण का स्रोत, उस पानी का इस्तेमाल, आस-पास का वातावरण तथा आबादी, इत्यादि।नदी अथवा नहर के पानी का नमूना इस प्रकार से लेना चाहिए कि उस पानी के प्रदूषण की पूरी दशा को दर्शाया जा सके। जब कोई नदी या नहर किसी फैक्टरी या और किसी स्रोत के कारण प्रदूषित हो जाती है तो नमूना नदी में उस गन्दगी से पहले और बाद की जगह से लेना चाहिए। इससे प्रदूषण की पूरी स्थिति का पता चल जाता है, साथ में तुलनात्मक आंकडे भी प्राप्त हो जाते हैं। इस अवशर जल प्रयोगशाला प्रभारी डाक्टर नेमीचंद खत्री ने कहा कि पानी में खनिज की मात्रा और अन्य लक्षण मसलन पीएच, चालकता, रंग और गंदलेपन की जांच प्रयोगशाला में की जाती है। प्रयोगों से किसी खास पानी में किसी तत्व की उपस्थिति और उसकी मात्रा का निर्धारण करने मे मदद मिलती है। अधिकतर परीक्षण प्रयोगशाला के उपकरण मसलन फ्लास्क, परखनली, पाइप, बीकर आदि के इस्तेमाल से अनुमापन विधि से किए जाते हैं। यह तकनीक अभी भी प्रभावी है। हालांकि अब स्पेक्ट्रोफोटोमीटर, क्रोमोग्राफ आदि आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल भी होने लगा है। इससे वैसे भी परीक्षण होने लगे हैं जहां अनुमापन विधि का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए एच आर दी जमील अहमद गोरी ने कहा कि जल के परीक्षण का मुख्य उद्देश्य जल की गुणवत्ता का आंकलन करना है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जल स्वच्छ है। किसी स्थान से नमूना लेने से पहले उस स्थान की पूर्व जानकारी होना अत्यन्त आवश्यक है। नदी अथवा नहर के पानी का नमूना इस प्रकार लेना चाहिए कि वह उस पानी के प्रदूषण की पूरी दशा को दर्शायें। नमूना परीक्षण के परिणाम तभी सही आते हैं जब नमूने को सही प्रकार से लिया जाये एवं खराबी से बचाया जाता है।राजपुरोहित के मुताबित राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के तहत नवंबर माह से जिले के आठों ब्लॉकों में कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा है ।जिसमें विभिन्न विषयों के जरिए जलबचत की सीख देने के साथ साथ ग्रामीणो को फिल्ड टेस्ट किट के जरिये जल गुणवत्ता जांचने का ज्ञान भी दिया जा रहा है । वही इसके बाद केंद्र सरकार के एनआरडीडब्ल्यूपी कार्यक्रम के तहत पेयजल स्त्रोतों के जल का फिल्ड टेस्ट किट से जांच की जाएगी। जांच के लिए फिल्ड टेस्ट किट हर गाव को उपलब्ध कराया जाएगा। फिल्ड टेस्ट किट कार्यशाला के बाद गाव गाव में तैयार हो रहे पानी के रिपोर्ट कार्ड बनने मे काफी राहत मिलेगी। इसके लिए हर गाव में मौजूदा पानी के स्रोतों के पानी को भी इकट्ठा किया जा रहा है। इस तरीके से जिला स्तर और ब्लॉक स्तर पर बनी जल प्रोगशालाओ तक हर गाव का पानी पहुंच जायेगा जिससे की हर गाव में मौजूद भूजल की जानकारी हासिल हो जाएगी। अलग-अलग जगहों पर भूजल में मौजूद रसायनो की जानकारी से सरकार अपनी नई योजनाये इस नए आधार के माध्यम से बनाएगी। इस पहल से सरकार को यह जानकारी मिल जाएगी की किस गाव में पानी पिने योग्य है और कहा का पानी जनता शरीर को नुकशान पंहुचा रहा है।जिन-जिन जगहों पर मौजूदा पानी जनता के लिए अत्यंत खराब है वह वह सरकार सीधा मीठा की योजना को धरा पर उतारेगी।फिल्ड टेस्ट किट के हर गाव तक पहुंच जाने से हर गाव का बाशिंदा खुद के गाव के पानी की जानकारी हासिल कर पाएंगे। इस अवशर पर प्रतिभागियों को प्रयोगशाला जांचकर्ता राजू माली ने भी समबोधित किया।
आज शिव मे कार्यशाला
जन स्वास्थ्य अभियांत्रिक विभाग वृत बाड़मेर के अधीक्षण अभियंता नेमाराम परिहार ने बताया कि राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के तहत जिले के आठों ब्लाकों में ब्लॉक स्तरीय फिल्ड टेस्ट किट कार्यशाला का आयोजन है जिसकी शुरुवात मंगलवार को प्रयोगशाला रिको बाड़मेर मे हुई। इन कार्यशालाओं मे अब बुधवार 19 नवंबर को सहायक अभियंता जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग कार्यालय शिव ,21 नवम्बर को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सिणधरी , 24 नवम्बर को सहायक अभियंता जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग कार्यालय बायतु , 25 नवम्बर को सहायक अभियंता जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग कार्यालय चोहटन , 26 नवम्बर को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र धोरीमन्ना ,28 नवम्बर को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सिवाना और 29 नवम्बर को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पचपदरा मे इन कार्यशालाओं का आयोेजन किया जायेगा। इन कार्यशालाओं के लिए जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग में ब्लॉक पर कार्यरत सहायक अभियंता को प्रभारी अधिकारी बनाया गया है वहीं कार्यशालाओं के रिसोर्सः प्रशन जूनियर कैमिस्ट नेमीचंद खत्री को बनाया गया है जमील अहमद गोरी इन कार्यशालाओं के समन्वयक बनाये गए है।
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