मुंबई। मुनिश्री अजीतचंद्र सागरजी (24) ने रविवार को अनूठा रिकॉर्ड बनाया। उन्होंने पहले तो मंच की ओर से लोगों से किए गए 500 सवाल-जवाब सुने, फिर उन्हें उसी क्रम में लोगों को सुनाया।
फिर वही सवाल-जवाब आरोही-अवरोही क्रम में भी सुनाए। इस दौरान करीब 5000 लोग मौजूद थे। यह रिकॉर्ड मुंबई के वरली में सरस्वती साधना रिसर्च फाउंडेशन की ओर से मंच से किए गए सवाल-जवाब में 5.30 घंटे लगे, जबकि मुनि ने ये सारे सवाल-जवाब आधे घंटे में ही सुना दिए।
राजा भोज के दरबार में पहले हुआ था ऎसा
दुनिया में ऎसा पहली बार हुआ है, जब किसी साधु ने एक साथ 500 सवालों का जवाब आरोही या अवरोही क्रम में बिल्कुल सटीक दिया है। पहले राजा भोज के दरबार में एक जैन मुनि सुंदर सुरीश्वरजी महाराज साहेब ने क्रमवार 1000 सवालों के जवाब दिए थे।
उनकी इस कला से प्रसन्न होकर राजा भोज ने सुरीश्वरजी को "सहस्त्रावधानी" उपाधि से नवाजा था। अजीतचंद्र सागरजी ने महाशतावधान की उपाधि भी हासिल कर ली। उन्हें देक सभी लोग हैरान रह गए।
पहला शिष्य
आचार्य पी.पी. नयाचंद्र सागरजी अपने दस शिष्यों में से पांच को शतावधान की उपाधि दिला चुके हैं और उनका यह पहला शिष्य है, जिसने खुद को ंसाबित कर दिखाया है।
बल आत्मा से
अहमदाबाद के न्यूरोलॉजिस्ट सुधीर शाह ने बताया कि आत्मा में कई तरह की शक्तियां हैं। आत्मा से ही हमें बल मिलता है। मौन धारण करने से विचारों को शक्ति मिलती है। इन्हीं सारी बातों को ध्यान में रखते हुए सागरजी ने इस साधना में महारात हासिल की है।
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