यपुर। करोड़ों के घाटे से जूझ रही बिजली कंपनियों के हजारों कर्मचारियों के पेंशन लाभ कोष के करीब 90 करोड़ रूपए डूबने के कगार पर हैं। कंपनियों ने मोटे ब्याज के लिए पैसा जिस गैर बैंकिंग फाइनेंस कंपनी में निवेश किया, उसके खातों की जांच में अनियमितताएं उजागर हुई।
यह निवेश वर्ष 2012 में चेन्नई की फर्स्ट लीजिंग कंपनी ऑफ इंडिया में हुआ था। आरबीआई ने सालभर पहले इस कंपनी के खातों से लेन-देन सहित कामकाज पर पूर्णतया रोक लगा दी। इसके चलते बिजली कंपनियों को एक साल से निवेश की रकम का 10 करोड़ से अधिक का ब्याज भी नहीं मिला है।
अब अधिकारियों में खलबली मची हुई है। कंपनी से दर्जनभर पत्र व्यवहार का भी कोई लाभ नहीं हुआ तो सरकार को जानकारी दी गई है। सूत्रों के मुताबिक इस मामले में अब कानूनी राय मांगी गई है। वहीं, जिम्मेदार अधिकारी नियमों के तहत निवेश की बात कहकर मामले को दबाने में जुटे हैं।
फिर ब्याज रूका तो फूले हाथ-पांव
कंपनी के खातों पर रोक के बाद बिजली कंपनियों के पास ब्याज आना बंद हो गया। पहले मामला दबा रहा, लेकिन अब ब्याज 10 करोड़ तक पहंुचने पर अधिकारियों के हाथ-पांव फूल गए।
यह है प्रक्रिया
वर्ष 2000 में बिजली कंपनियां बनने के बाद से प्रबंधन कर्मचारियों को पेंशन लाभ देने के लिए वेतन से मासिक कटौती करता है। फिर इस राशि को पांच अलग-अलग खाते खोलकर फायनेंस कंपनियों में निवेश करता है, ताकि फंड समृद्ध हो सके। इस प्रक्रिया का जिम्मा प्रसारण निगम का है।
धड़ल्ले से निवेश
कंपनी में शुरूआती तौर पर दो से पांच करोड़ रूपए निवेश किए गए, लेकिन उसके रिटर्न आदि जांचे-परखे बिना एक साल में ही कुल करीब 90 करोड़ रूपए का निवेश कर दिया गया।
जवाब मांगते सवाल
कंपनी की तहकीकात किए बिना ऎसी कंपनी में निवेश क्यों किया गया? इतनी तेजी से निवेश क्यों किया गया? इसकेे पीछे कौन है? कंपनी किसकी है?
मैंने पिछले दिनोे ही कामकाज संभाला है। मामला पुराना है, जो मेरे पास नहीं आया है। अभी बताने की स्थिति में नहीं हूं कि क्या चल रहा है।
संजय मल्होत्रा, सीएमडी, राजस्थान विद्युत प्रसारण निगम
निवेश की ये पूरी प्रक्रिया किसी विशेष को फायदा पहुंचाने जैसी प्रतीत हो रही है। हमारा पैसा वापस आना चाहिए और दोष्ाी को सजा मिले।
बी.एल जाट, महासचिव, आरएसईबी इंजीनियर एसोसिएशन
चिंता क्यों कंपनियों का निवेश, नहीं मिला 10 करोड़ का ब्याज
निवेश कहां चेन्नई की फर्स्ट लीजिंग इंडिया कंपनी में
अटका क्यों आरबीआई ने कंपनी के खातों पर लगाई रोक
किस फंड में कितना निवेश
फंड निवेश ब्याज दर समय
सुपर एनुऎशन ट्रस्ट 60 करोड़ 12 से 12.30 5 से 10 वर्ष
ग्रेच्युटी ट्रस्ट 13 करोड़ 12 से 12.30 5 से 10 साल
सीपीएफ ट्रस्ट 11.50 करोड़ 12.10 7 साल
पीएमसीएफ ट्रस्ट 80 लाख 12.10 7 साल
(इसके अलावा जीपीएफ में से भी 5 करोड़ रूपए निवेश किया गया है)
यह निवेश वर्ष 2012 में चेन्नई की फर्स्ट लीजिंग कंपनी ऑफ इंडिया में हुआ था। आरबीआई ने सालभर पहले इस कंपनी के खातों से लेन-देन सहित कामकाज पर पूर्णतया रोक लगा दी। इसके चलते बिजली कंपनियों को एक साल से निवेश की रकम का 10 करोड़ से अधिक का ब्याज भी नहीं मिला है।
अब अधिकारियों में खलबली मची हुई है। कंपनी से दर्जनभर पत्र व्यवहार का भी कोई लाभ नहीं हुआ तो सरकार को जानकारी दी गई है। सूत्रों के मुताबिक इस मामले में अब कानूनी राय मांगी गई है। वहीं, जिम्मेदार अधिकारी नियमों के तहत निवेश की बात कहकर मामले को दबाने में जुटे हैं।
फिर ब्याज रूका तो फूले हाथ-पांव
कंपनी के खातों पर रोक के बाद बिजली कंपनियों के पास ब्याज आना बंद हो गया। पहले मामला दबा रहा, लेकिन अब ब्याज 10 करोड़ तक पहंुचने पर अधिकारियों के हाथ-पांव फूल गए।
यह है प्रक्रिया
वर्ष 2000 में बिजली कंपनियां बनने के बाद से प्रबंधन कर्मचारियों को पेंशन लाभ देने के लिए वेतन से मासिक कटौती करता है। फिर इस राशि को पांच अलग-अलग खाते खोलकर फायनेंस कंपनियों में निवेश करता है, ताकि फंड समृद्ध हो सके। इस प्रक्रिया का जिम्मा प्रसारण निगम का है।
धड़ल्ले से निवेश
कंपनी में शुरूआती तौर पर दो से पांच करोड़ रूपए निवेश किए गए, लेकिन उसके रिटर्न आदि जांचे-परखे बिना एक साल में ही कुल करीब 90 करोड़ रूपए का निवेश कर दिया गया।
जवाब मांगते सवाल
कंपनी की तहकीकात किए बिना ऎसी कंपनी में निवेश क्यों किया गया? इतनी तेजी से निवेश क्यों किया गया? इसकेे पीछे कौन है? कंपनी किसकी है?
मैंने पिछले दिनोे ही कामकाज संभाला है। मामला पुराना है, जो मेरे पास नहीं आया है। अभी बताने की स्थिति में नहीं हूं कि क्या चल रहा है।
संजय मल्होत्रा, सीएमडी, राजस्थान विद्युत प्रसारण निगम
निवेश की ये पूरी प्रक्रिया किसी विशेष को फायदा पहुंचाने जैसी प्रतीत हो रही है। हमारा पैसा वापस आना चाहिए और दोष्ाी को सजा मिले।
बी.एल जाट, महासचिव, आरएसईबी इंजीनियर एसोसिएशन
चिंता क्यों कंपनियों का निवेश, नहीं मिला 10 करोड़ का ब्याज
निवेश कहां चेन्नई की फर्स्ट लीजिंग इंडिया कंपनी में
अटका क्यों आरबीआई ने कंपनी के खातों पर लगाई रोक
किस फंड में कितना निवेश
फंड निवेश ब्याज दर समय
सुपर एनुऎशन ट्रस्ट 60 करोड़ 12 से 12.30 5 से 10 वर्ष
ग्रेच्युटी ट्रस्ट 13 करोड़ 12 से 12.30 5 से 10 साल
सीपीएफ ट्रस्ट 11.50 करोड़ 12.10 7 साल
पीएमसीएफ ट्रस्ट 80 लाख 12.10 7 साल
(इसके अलावा जीपीएफ में से भी 5 करोड़ रूपए निवेश किया गया है)
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