विवादास्पद स्वयंभू संत रामपाल के 30 हजार जवानों को चकमा देखकर अपने बरवाला स्थित सतलोक आश्रम से चुपचाप निकल जाने की खबर है। बताया जा रहा है कि उनके समर्थक रामपाल को इलाज के बहाने आश्रम से किसी अज्ञात स्थान पर ले गए हैं।
आश्रम के प्रवक्ता राज कपूर ने भी रामपाल के अब आश्रम में न होने की बात कही है। आश्रम के मुताबिक पुलिस की रोक-टोक से आश्रम में दवाएं और चिकित्सकीय उपकरण नहीं पहुंच पा रहे थे, इसलिए अस्वस्थ संत को आश्रम छोड़ना पड़ा।अस्पताल या शहर के नाम का खुलासा करने से इनकार करते हुए उन्होंने कहा, 'हमें उनका उपचार करने में दिक्कत हो रही थी, क्योंकि प्रशासन ने आश्रम में दवाओं समेत सभी प्रकार के सामान की आपूर्ति पर रोक लगा रखी थी।' उन्होंने कहा, 'हमारे पास उन्हें किसी अज्ञात स्थान पर अस्पताल में ले जाने के अलावा और कोई चारा नहीं था।'
सोमवार को रामपाल को पेश न कर पाने पर हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार और पुलिस को कड़ी फटकार लगाई थी। कोर्ट ने फिर गैर जमानती वॉरंट जारी करके 21 नवंबर तक पेश करने को कहा। इसके बाद पुलिस ने सतलोक आश्रम से लोगों को हटाना शुरू किया तो दो दर्जन लोगों ने आत्मदाह की कोशिश की।
जानिए सोमवार दिन भर चला क्या ड्रामा
सोमवार को सतलोक आश्रम के बाहर स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई थी। सुबह संत रामपाल को हाईकोर्ट में पेश किया जाना था। लेकिन ना रामपाल मिले और ना पेशी हुई। सारा दिन सतलोक आश्रम के बाहर पुलिस के एक्शन और उसके सिफर नतीजे में बीत गया।
सुबह
सतलोक आश्रम के प्रवक्ता राहुल ने बताया कि संत रामपाल आश्रम के भीतर नहीं हैं। प्रशासन द्वारा आश्रम की बिजली-पानी और राशन सप्लाई बंद कर दिए जाने के कारण दवाइयों की कमी हो गई है। संत को खराब सेहत के चलते रात को ही यहां से एक प्राइवेट अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया। उधर, कोर्ट में रामपाल केस में हरियाणा सरकार को फटकार लगी और पुलिस प्रशासन को आश्रम के दावे पर यकीन नहीं हुआ। पुलिस और सुरक्षा बलों का मूवमेंट तेज हुआ। वहीं, महिलाएं और बच्चे आगे आ गए।
दोपहर
सतलोक आश्रम बरवाला के सभी श्रद्धालुओं को हिसार के डीसी एमएल कौशिक ने आदेश दिया कि हाई कोर्ट ने संत रामपाल के खिलाफ गैर जमानती वॉरंट जारी किया है। पुलिस को संत रामपाल को गिरफ्तार करके कोर्ट में पेश करने का आदेश मिला है। इसलिए श्रद्धालु आश्रम तुरन्त खाली कर दें, कानून के पालन में बाधा ना डालें। श्रद्धालुओं को आश्रम से बाहर आने पर शांतिपूर्वक रेलवे स्टेशन एवं बस स्टैंड तक पहुंचा दिया जाएगा। लेकिन लोग वहां से नहीं हटे। सतलोक आश्रम के मुख्य सेवक पुरुषोत्तम दास ने कहा कि आश्रम खाली करवाना है तो करवा लो, पर इसके लिए आश्रम के अदंर और बाहर मौजूद एक-एक अनुयायी को मारना होगा। ग्लाइडर के जरिए भी आसमान से सतलोक आश्रम की गतिविधियों पर नजर रखी जा रही थी।
शाम
पुलिस का ऐक्शन शुरू, बस समेत आश्रम के 70 वाहनों को क्रेन की मदद से हटाया गया। पुलिस कार्रवाई करते हुए आश्रम के सामने जा पहुंची, लेकिन अनुयायियों ने मेन गेट से हटने से इनकार कर दिया। सीआरपीएफ और पुलिस के जवानों ने आश्रम के सामने से कई बार फ्लैग मार्च किया। आश्रम की ओर से लाउड स्पीकर पर अनाउंस किया गया कि कोई भी श्रद्धालु फ्लैग मार्च कर रहे जवानों को कुछ नहीं कहेगा। शाम करीब 6 बजे जेसीबी की सहायता से आश्रम के पीछे की दीवार को गिराने की कोशिश की। लेकिन लोग जेसीबी मशीन के आगे लेट गए, इसके बाद जेसीबी मशीनें और पुलिस पीछे हट गई। देर शाम, पुलिस ने आश्रम के गेट की तरफ बढ़ने की कोशिश की तो आश्रम के दो दर्जन युवा अनुयायी अचानक आगे आए और अपने ऊपर तेल छिड़क लिया और आग लगाने की कोशिश की। पुलिस ने बड़ी मुश्किल से उन्हें रोका और फिर युवाओं को वहीं छोड़ लौट गई।
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